कश्मीर में सेना के कर्नल, मेजर और डीएसपी की शहादत के बीच जी-20 की सफलता के जश्न में डूबी भाजपा

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नई दिल्ली। 13 सितंबर के दिन बीजेपी के दिल्ली स्थिति केंद्रीय मुख्यालय में भारी चहल-पहल थी। जी-20 सम्मेलन के सफल समापन और सम्मेलन में संयुक्त बयान जारी किये जाने की सफलता के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चमत्कारिक व्यक्तित्व का पार्टी जश्न मना रही थी। जिस किसी ने भी पीएम मोदी के भव्य स्वागत की तैयारियों और उनके वाहनों के काफिले के भाजपा कार्यालय में प्रवेश के वक्त का स्वागत-सत्कार न देखा हो, उन्होंने वाकई में बहुत-कुछ मिस कर दिया है।

पीएम मोदी की गाड़ियों का काफिला जैसे ही मुख्यद्वार के सामने रुका, कार्यालय की ऊपरी मंजिल पर फूलों की थाल लिए पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा फूलों की वर्षा, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का लपककर फूलों का बड़ा सा गुलदस्ता भेंट करना, पीएम मोदी द्वारा कार्यकर्ताओं और समर्थकों को हाथ हिला-हिलाकर अभिवादन स्वीकारना, स्वागत के लिए वरिष्ठता क्रम से प्रतीक्षारत केंद्रीय रक्षा मंत्री, राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा गुलाब के फूल के साथ पीएम मोदी का इंतजार बता रहा था कि इस पल को किसी बड़े प्रयोजन और शो-केसिंग के लिए बेहद योजनाबद्ध ढंग से संजोने की योजना है।

इसके बाद पीएम मोदी का पैदल चलकर धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए अपने दोनों तरफ हाथ हिलाना और ऊपर से फूलों की लगातार हो रही बारिश के बीच दोनों हाथों को लहराते हुए पार्टी कार्यालय के भीतर प्रवेश करने के दृश्यों को कथित राष्ट्रीय मीडिया के सभी हिंदी, अंग्रेजी समाचार चैनलों ने किसी बेहद आकर्षक साउंड ट्रैक के साथ करीब 14-15 मिनट तक दिखाया।

हाथों में गुलाब का फूल लिए, हाथ बांधे नेताओं में केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और अमित शाह ही नहीं थे, बल्कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस सहित पचासों केंद्रीय और राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री देखे जा सकते थे। पीएम मोदी के पीछे-पीछे मुख्यालय के भीतर जाते गृहमंत्री और रक्षा मंत्री उस दरवाजे से नहीं घुसते हैं, जिससे पीएम मोदी ने प्रवेश किया, बल्कि आगे की ओर बढ़ जाते हैं।

कैमरा अब इस स्वागत की औपचारिकता के खात्मे के बाद कार्यकर्ताओं के अपने-अपने गंतव्य की ओर लौटने का दृश्य दिखाकर खुद भी अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ किसी और ब्रेकिंग न्यूज़ की तलाश में चल पड़ता है। इस वीडियो शूट की उपलब्धि यही कही जा सकती है कि इसके द्वारा भारत के जी-20 के देशों की अध्यक्षता और उसकी सफलता को मोदी के नेतृत्व में विश्व राजनीति के मानचित्र पर बड़ी छलांग के रूप में देश के मतदाताओं को 2024 के लोकसभा चुनावों में दिखाकर एक और माइलस्टोन बताया जा सकता है।

हालांकि पीएम मोदी के जखीरे में ऐसे सैकड़ों वीडियो शूट पहले से मौजूद हैं, लेकिन इनमें एक और इजाफा होता है तो भला उस मौके को कैसे हाथ से जाने दिया जा सकता है। आखिर देश ने इसी प्रकार के गुजरात मॉडल की चकाचौंध के आधार पर ही तो 2014 में मोदी मॉडल पर मुहर लगाई थी।

लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि 13 सितंबर 2023 के दिन देश के दो अलग-अलग हिस्सों में देश के जवान हताहत हो रहे थे, लेकिन राजधानी के इस जश्न में इस भयानक त्रासदी को लेकर अधिकांश मीडिया ख़ामोशी की चादर ओढ़े खुद भी जश्न में डूबा हुआ है।

13 सितंबर को कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ हुए भीषण मुठभेड़ में सेना के कर्नल, मेजर सहित जम्मू-कश्मीर के डीएसपी की भी जान चली गई है।

अजीब विडंबना है कि कल से अभी तक जब यह लेख लिखा जा रहा है, 16 घंटे से ऊपर हो चुके हैं, लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से कोई बयान, शोक संदेश या इस घटना को लेकर कड़ी भर्त्सना वाला संदेश नहीं आया है। इसी प्रकर अमित शाह की ओर से भी मणिपुर में जारी हिंसा के एक बार फिर से तेज होने की स्थिति में भी कोई बयान नहीं आया है। हालांकि गृहमंत्री अमित शाह की ओर से हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी राजभाषा के लिए वाराणसी सहित देश के अन्य शहरों में होने वाले आयोजनों की जानकारी देते हुए एक वक्तव्य तमाम चैनलों पर अवश्य सुना जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भी अनंतनाग की दुखद घटना पर बोलने के लिए शायद कुछ नहीं है। आज मध्य प्रदेश में बीना रिफाइनरी के पेट्रोकेमिकल काम्प्लेक्स एवं अन्य विकास कार्यों के सरकारी समारोह में बोलते हुए अपने 38 मिनट के वीडियो को उन्होंने X पर साझा किया है, जिसमें उन्होंने विपक्षी गठबंधन के सहयोगी दल द्रमुक द्वारा सनातन धर्म पर कथित टिप्पणी पर पार्टी कार्यकर्ताओं और देश को आगाह अवश्य किया है।

कल के भाजपा मुख्यालय पर हुए भव्य आयोजन और जवानों के परिवारों की रोती-बिलखती तस्वीरों को ट्विटर (अब x) पर एक यूजर ने साझा करते हुए लिखा है: “क्या कोई भरोसा कर सकता है कि इन दोनों वीडियो को दर्ज करने की टाइमिंग एक ही थी? नरेंद्र मोदी और बीजेपी जिस समय जी-20 की सफलता का जश्न मना रहे थे, ठीक उसी समय शहीदों के परिवार के लोग इस शहादत पर बिलख रहे थे। भारत इसे कभी नहीं भूलने जा रहा है।”

क्या वास्तव में ये घटनाएं आज देश को झकझोर पाती हैं? 2014 से पहले भारत-पाक सीमा पर यदि एक भी जवान के हताहत होने की खबर आया करती थी, तो उसी दिन पीएम से जवाब-तलब करने के लिए राष्ट्रीय मीडिया पर बहस छिड़ जाती थी। आज के समाचार-पत्रों में सिर्फ द टेलीग्राफ ने ही इसे अपनी प्रमुख खबर बनाते हुए साथ में पीएम मोदी के भव्य स्वागत की तस्वीर को जारी करते हुए कुछ बेहद गंभीर सवाल उठाये हैं।

इंडियन एक्सप्रेस ने भी अपने पहले पृष्ठ पर कोकरनाग वन में आतंकवाद-विरोधी अभियान में राष्ट्रीय राइफल के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोंचक और कश्मीर के डिप्टी एसपी हुमायूं मुज़म्मिल भट की तस्वीर साझा की है, और साथ ही भाजपा मुख्यालय में पीएम मोदी के प्रवेश और हाथों में गुलाब लिए कतारबद्ध खड़े केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह और अमित शाह की तस्वीर प्रकाशित की है।

इंडियन एक्सप्रेस एक ऐसा अखबार बन चुका है, जिसमें खबर और तथ्य तो आपको अवश्य मिलेगा, लेकिन उसमें छिपे संदेश को आपको खुद निकालना होगा। टेलीग्राफ कैसे और कब तक इसे जारी रखेगा, कहा नहीं जा सकता है।

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एक तरफ जम्मू-कश्मीर में देश की सुरक्षा में तैनात जवान अपने जीवन का बलिदान कर रहे थे, और उनके परिवार इस दुःख की घड़ी में खुद को संभालने की स्थिति में नहीं थे, वहीं दूसरी तरफ देश की राजधानी में विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा जी-20 की सफलता का सेहरा पीएम मोदी को बांधने के लिए, उनके स्वागत में पुष्प वर्षा कर रही थी। इस पर कांग्रेस पार्टी का कहना है कि चाहे कुछ भी हो जाये, पीएम मोदी आत्मप्रशंसा के किसी भी अवसर को हाथ से जाने नहीं दे सकते हैं।

बता दें कि बुधवार की सुबह कश्मीर के अनंतनाग जिले के गरोल क्षेत्र में आतंकवादियों के साथ हुए भीषण मुठभेड़ में 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोंकर और कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट हताहत हुए हैं।

सोशल मीडिया X पर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री को ‘संवेदनहीन’ बताते हुए एक शहीद के बिलखते परिवार और भाजपा मुख्यालय में पीएम मोदी के भव्य स्वागत का वीडियो साझा किया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि, ऐसे समय में जब हमारी सेना के तीन जवानों के शहीद हो जाने की खबर आ रही थी, उसी दौरान भाजपा मुख्यालय पर “बादशाह के लिए जश्न का आयोजन किया जा रहा था।”

कांग्रेस नेत्री, सुप्रिया श्रीनेत ने जवानों की शहादत पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है, “उनके छोटे-छोटे बच्चों की तस्वीरें देख मेरा दिल रो रहा है। और यहां पर जश्न रुकने का नाम नहीं ले रहा है? पुलवामा में 40 बहादुर जवानों की शहादत के बाद भी उनकी शूटिंग बंद नहीं हुई थी। यह अकल्पनीय संवेदनहीनता है।”

शिवसेना (उद्धव गुट) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी भाजपा मुख्यालय पर पीएम मोदी के भव्य स्वागत का वीडियो साझा करते हुए टिप्पणी की है, “इस जश्न को टाला जा सकता था, कहीं अधिक संवेदनशीलता की उम्मीद की जाती है, विशेषकर ऐसे दिन जब हमारे जवान कश्मीर में आतंकवादियों के साथ जबर्दस्त लड़ाई लड़ रहे हों।”

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने भी X पर ट्वीट करते हुए वीडियो जारी किया है। उन्होंने कहा है, “कल हमारे जवानों की शहादत हुई प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी जश्न मना रही थी। उनको जश्न मनाने का अधिकार है लेकिन वे थोड़ा इंतजार कर सकते थे। वे इसको 1-2 दिन टाल सकते थे।”

केंद्र द्वारा जारी संसद के विशेष सत्र के एजेंडे की अस्थायी सूची में सीईसी और ईसी नियुक्ति विधेयक पर उन्होंने कहा, “अगर यह बिल पास हुआ तो हम पढ़ा करेंगे कि, ‘इस देश में एक लोकतंत्र हुआ करता था।’ इस कमेटी का कोई मतलब नहीं है? इसमें स्वायत्तता कहां रही? इसके बाद शिकायत के लिए भी नहीं जा पाएंगे। सरकार को ऐसा विधेयक लाने से पहले सोचना चाहिए।”

उधर मणिपुर में पिछले 133 दिनों से जारी हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले एक सप्ताह से इसमें एक बार फिर से तेजी देखने को मिल रही है। कल के घटनाक्रम में एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर ओंखोमंग होकिप की स्नाइपर हमले में मौत की खबर है। एक पुलिस अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है कि होकिप में माथे पर सटीक निशाना साधकर उस दौरान हमला किया गया, जब वे ऑन-ड्यूटी पर थे। यह स्नाइपर अटैक लगता है, और इसमें हमें मैतेई उग्रवादियों का हाथ होने की आशंका है। 

उधर चुराचानपुर स्थित कुकी-ज़ो जनजाति के संगठन आईटीएलएफ ने भी दावा किया है कि सब-इंस्पेक्टर को “मैतेई उग्रवादियों द्वारा स्नाइपर राइफल से गोली मारी गई है।”

इससे पहले मंगलवार 12 सितंबर को 3 कुकी समुदाय के लोगों की कांग्कोक्पी जिले में तब हत्या कर दी गई, जब वे लोग जिप्सी में बैठकर अपनी यात्रा कर रहे थे। पुलिस की वर्दी धारण किये और स्वचालित हथियारों से लैस 9 लोगों द्वारा घात लगाकर यह हमला किया गया था। 4 मई से जारी इस हिंसा में अभी तक आधिकारिक तौर पर 183 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है और 67,000 से अधिक लोग मणिपुर में विस्थापितों का जीवन जीने के लिए मजबूर हैं।

भारत जैसे देश में, जिसने अभी-अभी जी-20 देशों के सम्मेलन की मेजबानी की हो, और दुनिया के सामने विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर और भारत को ‘मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी’ बताने का दावा हो, उसके दो-दो राज्यों में जारी हिंसा और मणिपुर में राज्य की प्रत्यक्ष भूमिका को लगातार नजरअंदाज कर, जब ऐसी हृदय-विदारक घटनाएं सुनने को आ रही हों, एक सम्मेलन की सफलता को भुनाने की छटपटाहट हमारे नीति-निर्माताओं की हृदयहीनता को और भी खुलकर स्पष्ट बयां कर देती है।

(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)  

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