Tuesday, March 19, 2024

बीजेपी नेता बीएल संतोष को विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में हाईकोर्ट से राहत

तेलंगाना में टीआरएस के चार विधायकों को कथित तौर पर खरीद-फरोख्त की साजिश के मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता बीएल संतोष के गिरेबान तक एसआईटी की जाँच पहुँच गयी थी लेकिन न्यायपालिका से उन्हें राहत मिल गयी। इस बीच पिछले कुछ दिनों में टीआरएस नेताओं पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के कई छापे पड़ गये।

तेलंगाना में टीआरएस के चार विधायकों को कथित तौर पर खरीद-फरोख्त की साजिश के मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता बीएल संतोष को शुक्रवार (25 नवंबर, 2022) को तेलंगाना हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। तेलंगाना उच्च न्यायालय ने उन्हें नोटिस जारी करने पर 5 दिसंबर तक के लिए रोक लगा दी है।

इधर बीएल संतोष का नाम सामने आया उधर पिछले कुछ दिनों में टीआरएस नेताओं पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के कई छापे पड़ गये। मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कथित तौर पर अपनी पार्टी के सदस्यों से कहा है कि केंद्रीय एजेंसियों द्वारा टीआरएस नेताओं पर चल रहे छापे गुलाबी पार्टी को बेनकाब करने के प्रतिशोध में टीआरएस को परेशान करने के लिए “दिल्ली के शासकों” (बीजेपी) के इशारे पर थे। राव ने अपने मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं से कहा कि वे छापों से घबराएं नहीं और पार्टी से नैतिक और कानूनी समर्थन का आश्वासन दिया। उन्होंने टीआरएस को परेशान करने के प्रयास के रूप में पिछले कुछ दिनों में मंत्रियों गंगुला कमलाकर, तलसानी श्रीनिवास यादव के परिवार के सदस्यों और राज्यसभा सदस्य वद्दीराजू रविचंद्र पर छापे का हवाला दिया।

दरअसल मंगलवार को मल्ला रेड्डी और उनके परिवार के सदस्यों पर आईटी के छापे ने टीआरएस हलकों में खलबली मचा दी। पिछले कुछ दिनों में टीआरएस नेताओं पर आईटी, ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के कई छापे टीआरएस नेताओं की रीढ़ की हड्डी को हिला रहे हैं।जैसे ही मंगलवार को आईटी छापे की खबर फैली, जीएचएमसी सीमा के तहत मंत्री और विधायक इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तेलंगाना भवन पहुंचे। मंत्री तलसानी श्रीनिवास यादव, मो. महमूद अली व नगर विधायक उपस्थित थे।

विशेष जांच दल (एसआईटी) आरोपों की जांच कर रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएलसंतोषऔर तीन अन्य को गुरुवार को तेलंगाना पुलिस ने आरोपी बनाया था। पोचगेट मामले में आरोपियों की संख्या सात हो गई है। संतोष को उच्च न्यायालय के आदेश पर दूसरा नोटिस दिया गया था, जिसमें उन्हें 26 या 28 नवंबर को पूछताछ के लिए उपस्थित होने के लिए कहा गया था।

दूसरे नोटिस के बाद बीएल संतोष ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। बीएल संतोष अभी तक जांच दल के सामने पेश नहीं हुए हैं।21 नवंबर को उन्होंने कहा था कि उन्हें पहला नोटिस नहीं मिला है, जिसकी तारीख 16 नवंबर थी। अदालत ने तब कहा था कि यह उन्हें ई-मेल और व्हाट्सएप के जरिए भेजा जा सकता है। इसके बाद उन्हें 26 नवंबर या 28 नवंबर को पूछताछ के लिए एसआईटी के सामने पेश होने को कहा गया था।

एसआईटी ने गुरुवार को हैदराबाद में एक विशेष भ्रष्टाचार ब्यूरो (एसीबी) अदालत में एक नोटिस दायर किया था, जिसमें संतोष और केरल के दो व्यक्तियों जग्गू स्वामी और तुषार वेल्लापल्ली के अलावा बी श्रीनिवास को आरोपी बनाया गया था।

एसआईटी ने उन्हें 21 नवंबर को पूछताछ के लिए पेश होने के लिए कहा था। समन जारी होने के बाद भाजपा नेता बीएल संतोष भी अंतरिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। इस पर हाईकोर्ट की एक सदस्यीय बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि एसआईटी को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी.एल. सतोष की गिरफ्तारी या कठोर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष और तीन अन्य को गुरुवार को तेलंगाना पुलिस ने आरोपी बनाया था ।पोचगेट मामले में आरोपियों की संख्या सात हो गई है। संतोष को उच्च न्यायालय के आदेश पर दूसरा नोटिस दिया गया था, जिसमें उन्हें 26 या 28 नवंबर को पूछताछ के लिए उपस्थित होने के लिए कहा गया था।कथित घोटाले की जांच एक विशेष जांच दल द्वारा की जा रही है, जिसमें टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रिश्वत देकर दल-बदल करना शामिल है। अक्टूबर में घोटाला सामने आने के बाद तीन लोगों को पहले आरोपी बनाया गया था।

इसके अलावा तुषार वेल्लापल्ली, केरल के डॉक्टर जग्गू कोटिलिल और अधिवक्ता भुसारापु श्रीनिवास को मामले में आरोपी बनाया गया है। मामला साइबराबाद सीमा के मोइनाबाद पुलिस थाने में दर्ज किया गया था। मुख्य आरोपी रामचंद्र भारती, के नंद कुमार और सिंहयाजी स्वामी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

एसआईटी कर्मी सीआरपीसी की धारा 41-ए के तहत वाईएसआर कांग्रेस के बागी सांसद के रघु राम कृष्ण राजू को भी नोटिस भेजने की योजना बना रहे हैं, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि असंतुष्ट विधायक इस मामले में कैसे शामिल हैं। डॉ जग्गू के भाई को एसआईटी धारा 41-ए के तहत नोटिस भेज रही हैमणिलाल, उनके तीन निजी सहायक – शरथ, प्रशांत औरविमल- और प्रतापन, मुख्य सुरक्षा अधिकारी (सीएसओ) अमृता हॉस्पिटल के, जहां डॉक्टर कार्यरत थे।

विशेष जांच दल ने पहले ही सीआरपीसी की धारा 160 (गवाहों की उपस्थिति की आवश्यकता के लिए एक पुलिस अधिकारी की शक्ति) के तहत मणिलाल, तीन पीए और सीएसओ को नोटिस जारी कर उन्हें जांच अधिकारी के सामने पेश होने के लिए कहा है। सूत्रों ने कहा कि चूंकि वे पेश नहीं हुए, इसलिए एसआईटी ने धारा 41-ए के तहत नोटिस जारी करने का फैसला किया।

टीआरएस के विधायकों में से एक पी रोहित रेड्डी की शिकायत के आधार पर 26 अक्टूबर की रात में रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा, नंद कुमार और सिम्हाजी स्वामी के खिलाफ संबंधित धाराओं- आपराधिक साजिश, रिश्वत की पेशकश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के प्रावधानों के तहत मामले दर्ज किए गए थे।प्रथमिकी के मुताबिक, रोहित रेड्डी ने आरोप लगाया कि आरोपी ने उन्हें 100 करोड़ रुपये की पेशकश की। इसके बदले में उसने शर्त रखी थी कि उन्हें टीआरएस छोड़कर  भाजपा में शामिल होना पड़ेगा।

अदालत ने इस नोटिस पर इस आधार पर रोक लगा दी थी कि इसमें धारा 41-ए के तहत आवश्यक साक्ष्य या आधार जिसके तहत इसे तामील किया गया था, का उल्लेख नहीं किया गया। बीएल संतोष के वकील ने प्रस्तुत किया था कि एसआईटी ने भाजपा नेता को दिए गए नोटिस में इनमें से किसी भी बिंदु का उल्लेख नहीं किया था। संतोष का नाम पिछले महीने पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित बीजेपी एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आया था, जब वह टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देकर बीजेपी के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को अदालत की निगरानी में बीजेपी एजेंटों द्वारा चार टीआरएस विधायकों की खरीद-फरोख्त के कथित प्रयासों की जांच करने की अनुमति दी गई थी। जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने आदेश में कहा कि डिवीजन बेंच द्वारा पारित 15 नवंबर 2022 के विवादित फैसले और आदेश को रद्द किया जाता है। 15 नवंबर को, उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया था और पुलिस आयुक्त के अधीन एसआईटी को रिपोर्ट करने के लिए कहा था।

उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली तीन अभियुक्तों की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि हमने पाया है कि खंडपीठ के न्यायाधीशों द्वारा जारी किए गए कुछ निर्देश कानून में टिकाऊ नहीं हैं। हालांकि, शीर्ष अदालत ने आत्मसमर्पण करने के निर्देश के खिलाफ तीनों आरोपियों की अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया, लेकिन हाईकोर्ट से उनकी जमानत याचिकाओं पर शीघ्रता से विचार करने को कहा।

21 नवंबर को पारित एक आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एकल न्यायाधीश से अनुरोध किया जाता है कि वह वर्तमान याचिकाकर्ता (याचिकाओं) द्वारा दायर रिट याचिकाओं पर अपनी योग्यता और कानून के अनुसार, यथासंभव आज से चार सप्ताह के भीतर शीघ्रता से विचार करें। इस मामले में आदेश 23 नवंबर को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था।

(जे.पी.सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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