Sunday, April 28, 2024

यौन उत्पीड़न मामले में बृजभूषण के खिलाफ चार्जशीट दाखिल, पाक्सो रद्द करने की अलग से सिफारिश 

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ ‘नाबालिग’  मामले में आज 15 जून को 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल कर पुलिस ने नाबालिग द्वारा सिंह के खिलाफ दायर यौन उत्पीड़न के मामले को रद्द करने की सिफारिश की है। पुलिस ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट को बताया कि जांच में कोई सबूत नहीं मिला है। साथ ही उसका कहना था कि ऐसा पीड़िता और उसके पिता के बयान के आधार पर किया गया है। दिल्ली पुलिस के इस स्टैंड से अब बृजभूषण पर से पॉक्सो एक्ट की धाराएं खत्म हो सकती हैं। लेकिन बाकी महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न और उनका पीछा करने के मामले में भाजपा सांसद को आरोपों का सामना करना पड़ेगा। 

यह मामला अब कमजोर तो हो ही गया है लेकिन अभी भी अदालत के विवेक पर निर्भर करता है कि वो मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए दूसरे वाले बयान को स्वीकार करे या नहीं? इसे देखते हुए अब पॉक्सो एक्ट की गेंद पॉक्सो अदालत के पाले में चली गयी है। अगर पॉक्सो अदालत पुलिस के वर्जन को नहीं स्वीकार करती तो भाजपा सांसद पर पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा चल सकता है। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली के कनॉट प्लेस थाने में दो एफआईआर दर्ज की गई थी। दूसरी एफआईआर नाबालिग पहलवान की शिकायत पर थी। इस मामले की अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी।

दिल्ली पुलिस की पीआरओ सुमन नलवा ने बताया है कि पॉक्सो मामले में जांच पूरी होने के बाद हमने सीआरपीसी की धारा 173 के तहत एक पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें शिकायतकर्ता के बयानों के आधार पर मामले को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

हाल ही में खिलाड़ियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। वहां क्या तय हुआ, कोई नहीं जानता लेकिन यह बात ज़रूर सामने आई कि शाह ने खिलाड़ियों को केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात करने को कहा था। खेल मंत्री ठाकुर ने पिछले सप्ताह ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक से मुलाकात की थी और उन्हें आश्वासन दिया था कि मामले में आरोप पत्र 15 जून तक दाखिल कर दिया जाएगा। इस आश्वासन के बाद पहलवानों ने अपना विरोध प्रदर्शन स्थगित कर दिया था।

दिल्ली पुलिस ने सिंह से जुड़े कथित यौन उत्पीड़न की घटनाओं के बारे में पांच देशों के कुश्ती महासंघों से जानकारी मांगी थी । जांच दल ने टूर्नामेंट और उन जगहों से तस्वीरें, वीडियो और सीसीटीवी फुटेज मांगे हैं जहां पहलवान अपने मैचों के दौरान रुके थे। जांच के दौरान दिल्ली पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 180 से अधिक लोगों से पूछताछ की।

यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के तहत दिल्ली पुलिस पिछले शुक्रवार को एक महिला पहलवान को बृजभूषण सिंह के दफ्तर ले गई। पहलवान के साथ महिला पुलिस अधिकारियों की एक टीम भी थी। सिंह के आधिकारिक निवास से ही भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का दफ्तर चल रहा था। 

पुलिस कैंसिलेशन रिपोर्ट उन मामलों में दायर की जाती है जहां आरोपों की पुष्टि करने वाला कोई सबूत नहीं मिलता है। नाबालिग पहलवान के पिता ने बृजभूषण के खिलाफ झूठा मामला दर्ज करने की बात स्वीकार की और कहा कि वह बृजभूषण से नाराज थे क्योंकि 2022 अंडर -17 एशियाई चैंपियनशिप के ट्रायल फाइनल में उनकी बेटी हार गई थी। यह मामला अब कमजोर तो हो ही गया है लेकिन अभी भी अदालत के विवेक पर निर्भर करता है कि वो मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए दूसरे वाले बयान को स्वीकार नहीं करे। हालांकि इसी के साथ उनका यह भी कहना था कि वह यह सब कुछ डर और दबाव में आने के चलते कर रहे हैं।

इस मामले में मात्र नाबालिग पहलवान के आरोपों से पलटने पर पूरा मामला कमजोर हो गया है। ऐसे में पहलवानों के पास पूरी तरह चुप बैठने या फिर आंदोलन का रास्ता चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। रोहतक में कल बुधवार को खाप पंचायतों ने रोहतक-दिल्ली राजमार्ग को कुछ देर के लिए बंद करके अपने तेवर दिखा दिए। लेकिन अब यह मामला चूंकि कोर्ट में चलेगा और तारीख पर तारीख मिलेगी तब तक अदालत भी पहलवानों को शांति बनाए रखने का निर्देश दे सकती है। क्योंकि इस संबंध में अब अगर जिस भी तरफ से बयान बाजी होगी,अदालत उसे गंभीरता से ले सकती है।

इसमें कोई शक नहीं है कि पहलवानों के आंदोलन को व्यापक समर्थन मिला है। तमाम संगठन और खाप पंचायतें अभी भी उनके समर्थन में हैं। लेकिन पुलिस और अदालत को इस मामले में सबूत चाहिए। छेड़छाड़ या आरोपी की कथित गलत हरकतों का सबूत भला कोई पहलवान कैसे दे सकती है, जब तक कि उसे यह न मालूम हो कि उसके साथ ऐसा कुछ होने वाला है। कुल मिलाकर अब सारा दारोमदार पहलवानों पर है कि वे अदालत के फैसले का इंतजार करेंगी या आंदोलन का रास्ता पकड़ेंगी। क्योंकि मामला तो अभी सेशन कोर्ट में है। फिर यह हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट भी जा सकता है।

दिल्ली पुलिस ने कहा है कि पहलवानों द्वारा दर्ज प्राथमिकी में, जांच पूरी होने के बाद, हम आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 354, 354 ए, 354 डी के तहत और उनके पूर्व सेक्रेटरी विनोद तोमर के खिलाफ आईपीसी की धारा 109, 354, 354 ए, 506 के तहत आरोप पत्र दाखिल कर रहे हैं।

आईपीसी की धारा 354: महिला की इज्जत भंग करने के उद्देश्य से उसका उत्पीड़न या आपराधिक बल का प्रयोग।

आईपीसी की धारा 354 ए: यौन उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न के लिए सजा।

आईपीसी की धारा 354 डी: पीछा/स्टॉकिंग के लिए सजा निर्दिष्ट करता है।

विनोद तोमर पर लगी धाराएं

आईपीसी की धारा 109: अपराध के लिए उकसाने के लिए दण्ड।

आईपीसी की धारा 354: महिला की इज्जत भंग करने के उद्देश्य से उसका उत्पीड़न या आपराधिक बल का प्रयोग।

आईपीसी की धारा 354 ए: यौन उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न के लिए सजा।

आईपीसी की धारा 506: आपराधिक धमकी।

बृजभूषण सिंह के खिलाफ एक नाबालिग समेत 7 महिला पहलवानों ने यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके खिलाफ 2 एफआईआर दर्ज हैं, जिसमें एक पॉक्सो के तहत है। ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया समेत देश के कई बड़े पहलवान बृजभूषण सिंह के खिलाफ जनवरी से ही प्रदर्शन कर रहे हैं। जनवरी में सरकार के आश्वासन के बाद पहलवानों ने प्रदर्शन खत्म कर दिया था।

किसी तरह की कार्यवाही न होने के बाद अप्रैल में फिर से अपना प्रदर्शन शुरू कर दिया, हालांकि इसके महीने भर बाद 5 जून को पुलिस ने पहलवानों को हिरासत में लेकर जंतर-मंतर पर उनके प्रदर्शन स्थल को खत्म कर दिया था।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।) 

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