‘President of Bharat’: वैश्विक नेताओं के रात्रिभोज के लिए निमंत्रण-पत्र पर छिड़ गया विवाद

नई दिल्ली। जी-20 शिखर सम्मेलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहादुरी, देशप्रेम और संविधान प्रेम की असलियत को खोलकर सामने रख देने के साथ ही संघ-भाजपा के गुप्त एजेंडे को भी बेनकाब कर दे रहा है। मोदी का देशप्रेम और बहादुरी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने पूरे देश की जनता ने देख लिया। अब जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान विश्व नेताओं के लिए आयोजित होने वाले रात्रिभोज का निमंत्रण-पत्र उनके संविधान प्रेम और प्रतिबद्धता को सामने रख दिया है।

नई दिल्ली में आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान विश्व नेताओं के लिए 9 सितंबर को भारत मंडपम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित रात्रिभोज के निमंत्रण-पत्र में पारंपरिक तरीके से लिखे जाने वाले ‘President of India-भारत के राष्ट्रपति’ के बजाय ‘President of Bharat- भारत के राष्ट्रपति’ के नाम पर भेजा गया है। जी-20 नेताओं का शिखर सम्मेलन 9-10 सितंबर को प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र के भारत मंडपम में होगा।

नियम-कानून, आदेश और संविधान में शब्दों का बहुत महत्व होता है। राष्ट्रीय और विदेश मामलों के किसी सम्मेलन और कार्य-व्यवहार में शब्दों का विशेष ख्याल रखा जाता है। वह भी जब देश के संवैधानिक प्रमुख के नाम से कोई मामला जुड़ा होता है तो विशेष सावधानी बरती जाती है। लेकिन यहां असावधानी का कोई मामला नहीं है। मोदी सरकार जानबूझकर संविधान की धज्जियां उड़ाने में लगी है। क्योंकि विपक्षी दलों के गठबंधन का नाम इंडिया ( I.N.D.I.A) करने से संघ-भाजपा खेमा खीझ गया है, दूसरे गठबंधन दलों की एकता से मोदी सरकार भयभीत है।

खबरों के मुताबिक चूंकि संपूर्ण जी20 से संबंधित कार्यक्रमों का संचालन विदेश मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है, इसलिए यह कदम उसी के अनुरूप होगा।

कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहाकि हम इंडिया और भारत दोनों पर गर्व महसूस करते हैं। देश के कई संस्थानों में इंडिया लगा है। लेकिन मोदी सरकार इंडिया गठबंधन से इतना डर गयी है कि बेबुनियाद काम कर रही है।

कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया कि ” श्री मोदी इतिहास को विकृत करना और भारत को विभाजित करना जारी रख सकते हैं, जो भारत है, जो राज्यों का संघ है। लेकिन हम विचलित नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि अब इस “राज्यों के संघ” पर भी हमला हो रहा है।”


कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने राष्ट्रपति के निमंत्रण-पत्र पर कहा कि मोदी जी को इंडिया नाम से तकलीफ हो रही है, अब वेइसका नाम बदलकर भारत कर रहे हैं। आज पूरी दुनिया उनके नाम पर हंस रही है।

अभी दो दिन पहले, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुवाहाटी में सकल जैन समाज द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए ‘इंडिया’ को ‘भारत’ कहने की वकालत की थी। भागवत ने लोगों से आदत डालने का आग्रह करते हुए कहा था कि भारत नाम प्राचीन काल से चला आ रहा है और इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ”हम सभी को ‘इंडिया’ शब्द का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए और ‘भारत’ का इस्तेमाल शुरू करना चाहिए। हमारे देश का नाम सदियों से ‘भारत’ ही रहा है। भाषा कोई भी हो, नाम वही रहता है।”

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने “प्रेसिडेंट ऑफ भारत” के मुद्देृ पर आपत्ति जताने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधा। नड्डा ने एक्स पर पोस्ट किया कि “भारत जोड़ो के नाम पर राजनीतिक यात्रा करने वालों को ‘भारत माता की जय’ के नारे से नफरत क्यों है? यह स्पष्ट है कि कांग्रेस के मन में देश, संविधान या संवैधानिक संस्थाओं के प्रति कोई सम्मान नहीं है। उन्हें सिर्फ एक खास परिवार की तारीफ करने से मतलब है। पूरा देश कांग्रेस के राष्ट्र-विरोधी और संविधान-विरोधी इरादों को अच्छी तरह से जानता है।”

विपक्ष को संसद के प्रस्तावित विशेष सत्र (18-22 सितंबर) के दौरान संविधान के साथ छेड़-छाड़ की आशंका है। जिसमें व्यापक रूप से अटकलें लगाई जा रही हैं कि संविधान से ‘इंडिया’ शब्द को हटाने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। विशेष रूप से, सत्तारूढ़ व्यवस्था के कुछ वर्गों से यह मांग की गई है कि संविधान के अनुच्छेद 1 से “इंडिया, दैट इज़ भारत” को हटा दिया जाए और केवल ‘भारत’ शब्द का उपयोग किया जाए।

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