राजस्थान चुनाव में उतरी ईडी, कांग्रेस अध्यक्ष के ठिकानों पर छापे और वैभव गहलोत को समन

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नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विदेशी मुद्रा कानून के कथित उल्लंघन से संबंधित एक मामले में पूछताछ के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को समन जारी कर तलब किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईडी ने वैभव को शुक्रवार, 27 अक्टूबर को जयपुर या नई दिल्ली में संघीय एजेंसी के कार्यालय में पेश होने के लिए कहा है।

ईडी द्वारा भेजा गया ये समन राजस्थान स्थित हॉस्पिटैलिटी ग्रुप ट्राइटन होटल्स एंड रिसॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, वर्धा एंटरप्राइजेज प्रा. लिमिटेड और इसके निदेशक और प्रमोटर शिव शंकर शर्मा, रतन कांत शर्मा और अन्य के खिलाफ हाल ही में ईडी की छापेमारी से जुड़े हैं। ईडी ने अगस्त में तीन दिनों तक जयपुर, उदयपुर, मुंबई और दिल्ली में समूह और उसके प्रमोटरों की तलाशी ली थी। इन तलाशी के बाद ईडी ने 1.2 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की थी।

चर्चा है कि रतन कांत शर्मा के साथ वैभव गहलोत के कथित संबंध ईडी की जांच के दायरे में हैं और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत उनसे पूछताछ और बयान दर्ज करने की उम्मीद है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को समन जारी करने के अलावा ईडी ने गुरुवार को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, महुआ विधानसभा सीट से पार्टी उम्मीदवार ओमप्रकाश हुडला और कुछ अन्य नेताओं के परिसरों पर छापेमारी की। सूत्रों के मुताबिक ईडी ने यह छापेमारी राजस्थान लोकसेवा आयोग की परीक्षा में पेपर लीक मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में की है।

वैभव गहलोत को ईडी के समन जारी होने और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष समेत अन्य नेताओं के यहां ईडी की छापेमारी की पुष्टि करते हुए राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक्स पर पोस्ट किया कि “राज्य में हर रोज ईडी के छापे मारे जा रहे हैं। क्योंकि भाजपा नहीं चाहती कि कांग्रेस पार्टी की गारंटी महिलाओं, किसानों और गरीबों तक पहुंचे।”

प्रवर्तन निदेशालय के छापे की सूचना पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पार्टी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि “राजस्थान चुनाव में बीजेपी की करारी हार होना तय है। अपनी हार को देख बीजेपी बौखला गई है और अपने सहयोगी ED को काम पर लगा दिया है। राजस्थान में कांग्रेस नेताओं के यहां ED की कार्यवाही मोदी सरकार की बौखलाहट, कुंठित मानसिकता और सत्ता के निरंकुश दुरुपयोग का सबूत है। लेकिन…हमने डरना नहीं सीखा है, झुकना नहीं सीखा है। आने वाले चुनाव में जनता इन्हें करारा जवाब देगी। हम साथ मिलकर मोदी सरकार की तानाशाही का डटकर मुकाबला करेंगे। लड़ेंगे और जीतेंगे। सत्यमेव जयते!”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर पोस्ट किया कि “चुनाव आते ही ED, CBI, IT आदि भाजपा के असली ‘पन्ना प्रमुख’ बन जाते हैं। राजस्थान में अपनी निश्चित हार को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने चलाया अपना आख़िरी दांव! ED ने छत्तीसगढ़ के बाद राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव अभियान में उतरते हुए कांग्रेसी नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू कर दी है। मोदी सरकार की तानाशाही लोकतंत्र के लिए घातक है। हम एजेंसियों के दुरुपयोग के ख़िलाफ़ लड़ते रहेंगे, जनता भाजपा को क़रारा जवाब देगी।”

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक्स पर पोस्ट किया कि “आज राजस्थान में फिर से ED पहुंच चुकी है। पहले जहां चुनाव होता था, वहां मोदी जी जाते थे। अब जहां चुनाव होता है, वहां ED पहुंच जाती है। राजस्थान के लोग सब देख रहे हैं। वो दिल्ली के आगे ना कभी झुके हैं और ना झुकेंगे।”

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार को सीकर और जयपुर में पूर्व स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के परिसरों के अलावा दौसा की महुआ सीट से पार्टी उम्मीदवार ओमप्रकाश हुड़ला और कुछ अन्य लोगों के परिसरों की तलाशी ली। ईडी टीमों के साथ केंद्रीय अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ का एक सशस्त्र एस्कॉर्ट भी चल रहा था।

200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा के लिए 25 नवंबर को चुनाव होंगे। डोटासरा सीकर की लक्ष्मणगढ़ सीट से भाजपा के सुभाष महरिया के खिलाफ पार्टी के उम्मीदवार हैं। वह इस सीट से मौजूदा विधायक भी हैं। हुडला निर्दलीय विधायक हैं और कांग्रेस ने उन्हें इस बार महुआ विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है।

पेपर लीक मामले में राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के पूर्व सदस्य बाबूलाल कटारा और अनिल कुमार मीना और भूपेन्द्र सरन नाम के दो अन्य लोगों को ईडी ने गिरफ्तार किया था। जून में इस जांच के तहत इसने सबसे पहले राजस्थान में कई स्थानों पर छापेमारी की थी। मनी लॉन्ड्रिंग का मामला राजस्थान पुलिस द्वारा आरोपियों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर से उपजा है।

अशोक गहलोत के 9 करीबी जांच एजेंसियों के निशाने पर

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार को भाजपा पचा नहीं पा रही है। इसलिए लंबे समय से राजस्थान की सरकार मोदी सरकार के निशाने पर है। पहले तो भाजपा ने विधायकों को दल-बदल कराकर गहलोत सरकार को गिराने की कोशिश की, लेकिन सफल न हो पाने पर सीएम अशोक गहलोत के कई करीबियों पर सीबीआई और ईडी का दुरुपयोग करके केस दर्ज कराया।

दिसंबर 2018 में गहलोत के सत्ता में आने के बाद से करीब 9 नेता विभिन्न दर्ज मामलों का सामना कर रहे हैं। जिसमें अग्रसैन गहलोत (सीएम के भाई), वैभव गहलोत (सीएम के बेटे), महेश जोशी (कैबिनेट मंत्री), गोविंद सिंह डोटासरा (राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष) ओम प्रकाश हुड़ला (निर्दलीय विधायक), लोकेश शर्मा (गहलोत के ओएसडी), राजीव अरोड़ा (गहलोत के सहयोगी), धर्मेंद्र राठौड़ (गहलोत के करीबी सहयोगी) और गृह राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह यादव शामिल हैं।

प्रदीप सिंह https://www.janchowk.com

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

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