Sunday, April 28, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

सिंधिया समर्थकों को मिला ज्यादा टिकट, गुटबाजी और भितरघात से हलकान भाजपा

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने है। कांग्रेस टिकट वितरण से लेकर चुनावी मुद्दों के चयन तक में अति सावधानी बरत रही है। साथ ही वह पिछले दिनों कांग्रेस के साथ हुए ‘राजनीतिक छल’ को जनता के बीच ले जाकर एक बार फिर अपने पक्ष में मतदान की अपील कर रही है। सत्तारूढ़ भाजपा भी अपना कदम फूंक-फूंक कर आगे बढ़ा रही है। लेकिन दो दर्जन से अधिक सिटिंग विधायकों का टिकट कटने और सिंधिया समर्थकों को भारी संख्या में टिकट मिलने से स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता और नेता नाराज हो गए है। असंतुष्टों को समझाने में भाजपा नेतृत्व को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।

सिंधिया राजघराने के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की सरकार को गिराकर अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एक बार फिर भाजपा की सरकार बन गयी थी। लेकिन कुछ दिनों बाद ही भाजपा के नेता और कार्यकर्ता सिंधिया का विरोध करने लगे थे। पार्टी हाईकमान के सख्त संदेश के बावजूद पार्टी में सिंधिया का विरोध कम नहीं हुआ। लेकिन अब पार्टी का शीर्ष नेतृत्व सिंधिया के अहसानों का बदला चुका रही है। लेकिन शीर्ष नेतृत्व के फैसले से पार्टी में असंतोष और गुटबाजी बढ़ गयी है। कार्यकर्ता नाराज हैं। कांग्रेस से आए लोगों को तवज्जों देना भाजपा के लिए आत्मघाती कदम साबित हो सकता है।  

21 अक्टूबर को ग्वालियर में सिंधिया स्कूल के 125वें संस्थापक दिवस समारोह में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आकर्षण का केंद्र थे। पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम में सिंधिया की प्रशंसा करते हुए उन्हें “गुजरात का दामाद” कहा। इसके कुछ ही समय बाद भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की पांचवी सूची जारी की। जिसमें सिंधिया के प्रमुख वफादारों के नाम थे। पांचवी सूची जारी होने के बाद गुटों और खेमों में बंटी राज्य भाजपा इकाई की अंदरूनी कलह चरम पर पहुंच गई।   

सिंधिया के 25 प्रमुख वफादार, जो उनके साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे, उनमें से 18 निवर्तमान विधायकों को भाजपा ने इस चुनाव में उतारा है। इस सूची में 10 मौजूदा मंत्री शामिल हैं। ये हैं प्रद्युम्न सिंह तोमर (ग्वालियर), जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट (सांवेर, इंदौर), औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव (बदनावर, धार), लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री प्रभुराम चौधरी (सांची, रायसेन), राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत (सुरखी, सागर), खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह (अनूपपुर), पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा, मंसूर), पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री, महेंद्र सिंह सिसौदिया (बमोरी, गुना), मप्र राज्य नागरिक आपूर्ति निगम अध्यक्ष प्रद्युम्न सिंह लोधी (मलहरा, छतरपुर), और राज्य के लोक निर्माण मंत्री सुरेश धाकड़ (पोहरी, शिवपुरी)।

भाजपा द्वारा फिर से मैदान में उतारे गए पांच मौजूदा सिंधिया वफादार विधायक – जयपाल सिंह जज्जी (अशोक नगर), कमलेश जाटव (अंबाह, मुरैना), ब्रजेंद्र सिंह यादव (मुंगावली, अशोक नगर), मनोज चौधरी (हाटपिपलिया, देवास), और नारायण पटेल (मांधाता, निमाड़) हैं।

भाजपा ने अपने पुराने नेताओं की नाराजगी का जोखिम लेते हुए सिंधिया के तीन वफादारों को भी फिर से टिकट दिया है, जो 2020 के दलबदल के बाद उपचुनाव हार गए थे। इनमें पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी (डबरा, ग्वालियर) भी शामिल हैं। ऐदल सिंह कंसाना (सुमावली, मुरैना) और रघुराज सिंह कंसाना (मुरैना) शामिल हैं।

वहीं टिकट न मिलने पर सिंधिया समर्थक मुन्ना लाल गोयल (ग्वालियर पूर्व के समर्थकों ने ग्वालियर में सिंधिया के जय विलास पैलेस के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। नाराज पार्टीजनों को शांत करने के लिए सिंधिया को बाहर आकर जमीन पर बैठकर बात करनी पड़ी।

टिकट की दौड़ में पिछड़ गए सिंधिया के अन्य वफादार काफी हद तक चुप रहे। इनमें से गिरिराज दंडोतिया (दिमनी), रणवीर जाटव (गोहद) और जसवंत जाटव (करेरा) पिछले चुनाव में अपनी सीट हार गए थे।

भाजपा आलाकमान ने सिंधिया को खुद विधानसभा चुनाव लड़ने की चुनौती से बख्शा है, जबकि मध्य प्रदेश से उनके कैबिनेट सहयोगियों को मैदान में उतारा है, जिनमें प्रह्लाद पटेल (नरसिंहपुर), नरेंद्र सिंह तोमर (दिमनी) और फग्गन कुलस्ते (निवास) शामिल हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी मैदान में उतारा गया है।

सिंधिया के एक वफादार ने कहा, “महाराज का चल गया (सिंधिया की इच्छाएं पूरी हुईं)। वह अपने सभी करीबी समर्थकों को टिकट दिलाने में कामयाब रहे। वह मोदी और अमित शाह को पसंद हैं, उनके पास उनके लिए बड़ी योजनाएं हैं।”

फिलहाल, मध्य प्रदेश में भाजपा ने जनता के बीच अलोकप्रियता का हवाला देते हुए कई विधायकों का टिकट काट दिया है। पार्टी द्वारा 22 अक्टूबर को जारी 92 उम्मीदवारों की पांचवीं सूची से तीन राज्य मंत्रियों सहित लगभग 29 विधायकों को टिकट नहीं दिया गया। लेकिन तीन विधायकों का टिकट अनुशासनहीनता के कारण काटा गया है। टिकट कटने से नाराज विधायकों से अब सत्तारूढ़ भाजपा को भितरघात का डर सता रहा है।

बल्ले से अधिकारी को पीटने वाले आकाश का कटा टिकट

भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय को इंदौर-3 से टिकट नहीं दिया गया है। वह वर्तमान विधायक हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि आकाश का टिकट बल्लाकांड की वजह से कटा है। उनकी जगह इंदौर-3 से राकेश शुक्ला को मैदान में उतारा गया है। सूत्रों के अनुसार टिकट कटने के बाद आकाश विजयवर्गीय ने भोपाल से लेकर दिल्ली दरबार तक में दस्तक दी, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। आकाश ने 2019 में इंदौर नगर निगम के एक अधिकारी को बैट (बल्ले) से पीटा था। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने से भाजपा की बहुत किरकिरी हुई थी।   

‘मूत्र कांड’ की भेंट चढ़े केदारनाथ शुक्ल

भाजपा ने सीधी के विधायक केदारनाथ शुक्ला की जगह रीति पाठक को टिकट दे दिया है। दरअसल, शुक्ला के एक करीबी ने कुछ दिन पहले एक आदिवासी पर पेशाब कर दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पीड़ित के पैर धोने के लिए मजबूर होना पड़ा। भाजपा ने प्रवेश शुक्ला को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार करके नुकसान को कम करने की कोशिश की।  

सार्वजनिक कार्यक्रमों में गुस्सा करने से ओपीएस भदौरिया से नेतृत्व नाराज

मध्य प्रदेश में भाजपा ने अपनी ताजा सूची में जिन तीन मंत्रियों को हटाया है उनमें ओपीएस भदौरिया भी शामिल हैं। जबकि अन्य दो- यशोधरा राजे खराब स्वास्थ्य के कारण चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था और गौरीशंकर बिसेन की जगह उनकी बेटी मौसम बिसेन को टिकट दिया गया है। लेकिन ग्वालियर-चंबल संभाग में सिंधिया के वफादार भदौरिया का टिकट कटना चर्चा का विषय बना हुआ है।

दरअसल, ओपीएस भदौरिया का टिकट कटने के पीछे का कारण उनका एक वीडियो है। मेहगांव सीट पर उनकी जगह रक्षा शुक्ला को टिकट दिया गया है। पिछले साल अक्टूबर में, सोशल मीडिया पर मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री के एक वीडियो में उन्हें कुछ  “चतुर जातियों” पर क्षत्रियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए दिखाया गया था, जबकि वे एकजुट होने और ‘क्षत्रिय राज’ स्थापित करने की बात कर रहे थे। उन्होंने एक कदम आगे बढ़कर ग्वालियर की एक बैठक में किसी भी राजनीतिक विचारधारा वाले क्षत्रिय नेता को “समर्थन” देने का वादा किया। यह बयान बीजेपी को रास नहीं आया।

इस साल अगस्त में बीजेपी की शुरुआती चुनावी तैयारियों के बीच भदौरिया ने भिंड जिले में एक मीडिया कार्यक्रम के दौरान अपना आपा खो बैठे और कैमरे के सामने ही एक युवक को धमकी दे डाली। एक असहज सवाल पर उन्होंने जवाब दिया, “बैठ जाओ चुप चाप। वहीं आ कर ठीक कर दूंगा।  

(प्रदीप सिंह की रिपोर्ट।)

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