राम मंदिर उद्घाटन में शामिल नहीं होगा हिंदू महासभा, बीजेपी प्रायोजित कार्यक्रम से कई संगठनों ने किया किनारा 

नई दिल्ली। राम मंदिर उद्घाटन समारोह में आमंत्रित अतिथियों की सूची में किसका नाम शामिल है और किसका नहीं, इसको लेकर मीडिया और सोशल मीडिया पर लंबे समय से बहस छिड़ी है। राम मंदिर के निर्माण की देखरेख करने वाले ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से समारोह में न आने का आग्रह करने के बयान ने संघ-भाजपा के अंदर बेचैनी पैदा कर दी थी। लेकिन अब हिंदू महसभा ने राम मंदिर के उद्धाटन समारोह में आने से इनकार कर दिया है। महासभा का कहना है कि यह “राम मंदिर का उद्धाटन कार्यक्रम” नहीं बल्कि “भाजपा प्रायोजित राजनीतिक कार्यक्रम” है।

हिंदू महासभा ने बताया ‘बीजेपी प्रायोजित कार्यक्रम’

राम मंदिर निर्माण की देखरेख करने वाली संस्था “श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट” के लेटरहेड पर चंपत राय के हस्ताक्षर से 22 नवंबर को एक पत्र हिंदू महासभा को इस आशय के साथ भेजा गया कि महासभा के लोग 22 जनवरी,2024 को राम मंदिर में रामलला के नूतन विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे।

हिंदू महासभा ने 16 दिसंबर को एक पत्र भेजकर चंपत राय को अवगत कराया कि वह राम मंदिर उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं हो रहे हैं। महासभा ने दावा किया है कि यह एक “भाजपा प्रायोजित राजनीतिक कार्यक्रम” होगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के निमंत्रण का जवाब देते हुए, हिंदू महासभा ने 16 दिसंबर को भेजे पत्र में लिखा है कि ट्रस्ट ने आठवीं शताब्दी के धार्मिक विद्वान आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार पीठों या धार्मिक मंदिरों के प्रमुखों को आमंत्रित नहीं करके सनातन धर्म का अपमान किया है।

भारत की सबसे पुरानी हिंदुत्व पार्टियों में से एक, हिंदू महासभा के महासचिव सुनील कुमार ने कहा कि “हमें ऐसी जगह क्यों जाना चाहिए जहां सनातन धर्म को उचित सम्मान नहीं दिया जाता है?” कुमार ने कहा कि “हमारे पास हासिल करने के लिए कोई राजनीतिक लक्ष्य नहीं है।”

सुनील कुमार ने कहा, “यह हम ही हैं जिन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन शुरू किया था, लेकिन बीजेपी अब ऐसा व्यवहार कर रही है जैसे वह मंदिर की ठेकेदार है।” “हमें ख़ुशी है कि आख़िरकार मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा लेकिन अकेले भाजपा को इसका श्रेय नहीं मिलना चाहिए।”

सिर्फ हिंदू महासभा ही नहीं अन्य हिंदुत्व समर्थक भी चंपत राय और “श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट” के कर्ताधर्ता से नाराज हैं। दरअसल यह ट्रस्ट मोदी सरकार के इशारे पर काम कर रहा है। ट्रस्ट के शत-प्रतिशत सदस्य या तो संघ-भाजपा के पदाधिकारी हैं या समर्थक है।

कुछ हिंदुत्व समर्थकों ने 18 दिसंबर को राय के उस बयान के बाद भी गुस्सा व्यक्त किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से उनके खराब स्वास्थ्य के कारण समारोह में शामिल नहीं होने का अनुरोध किया गया है।

ट्रस्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आमंत्रित करके राजनीतिक निशाना साधने की कोशिश की है। ट्रस्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा को भी उद्घाटन समारोह में आमंत्रित किया है। लेकिन मोदी सरकार के इशारे पर काम करने वाले ट्रस्ट की जमकर आलोचना हो रही है। ट्रस्ट कुछ ऐसे लोगों को भी आमंत्रित कर रहा है जिसे आम आदमी भी बता सकता है कि वह इस कार्यक्रम में नहीं आएंगे। 

सोशल मीडिया पर अपने को “सभ्यतावादी हिंदू कार्यकर्ता” के रूप में वर्णित करने वाली रितु राठौड़ ने लिखा कि भाजपा लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मंदिर को एक “राजनीतिक परियोजना” के रूप में मान रही है।  

उन्होंने कहा, “बीजेपी और चंपत राय ने एक कार्यक्रम बनाने के लिए निहंग सिखों, विपक्षी नेताओं और बॉलीवुड अभिनेताओं को उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया है, लेकिन आडवाणीजी और चार पीठों के शंकराचार्यों को नहीं।”

चंपत राय मोदी सरकार के इशारे पर किस तरह से काम कर रहे होंगे, इसका उत्तर एक न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार से लगाया जा सकता है। 17 दिसंबर को एक समाचार चैनल के साथ एक साक्षात्कार में,  चंपत राय ने पीएम नरेंद्र मोदी की तुलना विष्णु के अवतार से करते हुए कहा था कि हिंदू परंपराओं के अनुसार, भूमि का शासक विष्णु का अवतार है।

इस गुस्से का कारण क्या है?

भाजपा के कुछ समर्थक चंपत राय और मोदी सरकार से इसलिए नाराज है कि “भाजपा सरकार ने मंदिर में मुस्लिम मूर्तिकारों और कारीगरों को अनुमति दी है।”  

दावा किया जा रहा है कि मंदिर निर्माण स्थल पर मुस्लिम कारीगरों को अनुमति दी गई थी क्योंकि भाजपा राम मंदिर को सभी समुदायों तक पहुंच बनाने के लिए इस्तेमाल कर रही है।

15 दिसंबर को, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की देखरेख करने वाले ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि स्थल पर स्थापित की जाने वाली हिंदू देवता की मूर्तियां विशेषज्ञों द्वारा बनाई जा रही हैं और इसमें कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है।  

चंपत राय राम मंदिर निर्माण को लेकर सोशल मीडिया पर हिंदुत्व समर्थकों की आलोचना का जवाब दे रहे थे। कई लोगों ने आरोप लगाया कि संरचना के निर्माण और मूर्तियां गढ़ने में गैर-हिंदू शामिल थे। कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि मंदिर में इस्लामी रूपांकन थे।

मंदिर में मुसलमानों को नियुक्त किए जाने के विवाद को सोशल मीडिया पर इतना समर्थन मिला कि स्पष्टीकरण की जरूरत पड़ी। मंदिर ट्रस्ट ने तीन मूर्तिकारों के नाम प्रचारित किए, जिनकी कृतियों में से एक को देवता की मुख्य मूर्ति के रूप में चुना जाएगा।  

(प्रदीप सिंह जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।)

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