Tuesday, April 23, 2024

चुनाव नतीजे आने से पहले ही शुरू हो गयी हॉर्स ट्रेडिंग! कांग्रेस ने जयपुर शिफ्ट किए अपने और AIUDF के प्रत्याशी

असम में हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका को देखते हुए कांग्रेस ने अपने और एआईयूडीएफ के प्रत्याशियों को एयरपोर्ट से फेयर माउंट होटल शिफ्ट किया है। सभी प्रत्याशी 2 मई को चुनाव परिणाम घोषित होने तक जयपुर में ही रहेंगे। बता दें कि असम में एआईयूडीएफ क्षेत्रीय दल है जिसके साथ कांग्रेस ने मिलकर विधानसभा चुनाव 2021 लड़ रही है। और एआईयूडीएफ ने 20 सीटों पर कांग्रेस के सहयोगी दल के तौर पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।

कांग्रेस के इस कदम के पीछे सहयोगी दल बीपीएफ के उम्मीदवारों का चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल होना है। जब वोटिंग से महज कुछ दिन पहले ही बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF) के उम्मीदवार रंगजा खुंगूर बासुमतरी ने पार्टी छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गये। बीपीएफ ने बासुमतरी को तामुलपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था, जहां तीसरे चरण में मतदान हुआ। 

गौरतलब है कि बीपीएफ असम में कांग्रेस की सहयोगी है। लेकिन चुनाव से ठीक पहले बीपीएफ प्रत्याशी बासुमतरी कथित तौर पर दो दिन तक लापता  रहे थे। इसके बाद बीजेपी नेता हिमंता बिस्वा सरमा ने ट्वीट करके जानकारी दी थी कि उन्होंने बीपीएफ उम्मीदवार बासुमतरी से मुलाकात की और वह बीजेपी में शामिल होंगे। इसके बाद रंगजा खुंगूर बासुमतरी, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गए थे। 

रंगजा खुंगूर बासुमतरी के दल बदल लेने के बाद कांग्रेस और बीपीएफ ने चुनाव आयोग का रुख करते हुए एएतामुलपुर सीट पर चुनाव टालने की मांग की थी लेकिन उनकी मांग नकारते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि सुनवाई के दौरान ऐसा कोई भी दस्तावेजी साक्ष्य पेश नहीं किया गया, जो कि यह साबित करे कि बसुमतारी भाजपा में शामिल हुए हैं अथवा उन्हें बीपीएफ से निकाला गया है, इसलिए मांग खारिज़ की जाती है। 

2014 के लोकसभा चुनाव में ठीक ऐसा ही गौतमबुद्ध नगर से कांग्रेस पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी रमेश चंद्र तोमर ने किया था। कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर नरेंद्र सिंह तोमर ने नामांकन से लेकर सभी प्रक्रिया पूरी की। इस बीच वह भाजपा से भी मिलते रहे। और 10 अप्रैल को होने वाले मतदान से ठीक एक हफ्ते पहले 3 अप्रैल 2014 को रमेश चंद्र तोमर कांग्रेस छोड़कर मोदी के साथ जा खड़े हुए थे। लोकसभा चुनाव में इसका सीधा फायदा भाजपा को हुआ। गौतमबुद्ध नगर के भाजपा प्रत्याशी महेश शर्मा ने इसकी जीत हासिल की थी।

अतीत की घटनाओं से सबक लेते हुए कांग्रेस ने अपने और अपने सहयोगी दल एआईयूडीएफ के विधायक प्रत्याशियों को जयपुर शिफ्ट किया है।  सूत्रों के मुताबिक करीब डेढ़ दर्जन नेता जयपुर पहुंचे हैं। इन सभी को एयरपोर्ट से फेयर माउंट होटल ले जाया जा रहा है। इन नेताओं में कुछ पूर्व विधायक भी शामिल हैं। इनमें मुख्य सचेतक महेश जोशी और रफ़ीक ख़ान भी साथ हैं। कांग्रेस को आशंका है कि नतीजों में बहुमत के आंकड़े को पाने के लिए उसके विधायकों के साथ ख़रीद फ़रोख्‍त की जा सकती है। सभी प्रत्याशी मतगणना के दिन यानी दो मई तक जयपुर में ही रहेंगे। दो मई को चुनाव के नतीजे आने के बाद इन सभी की असम वापसी होगी। 

गौरतलब है कि असम में तीन चरणों में चुनाव हुए हैं।

6 अप्रैल को असम में मतदान संपन्न हो गया है और नतीजों का इंतज़ार है। निर्वाचन आयोग के मुताबिक असम की 126 विधानसभा सीटों पर तीन चरणों में हुए चुनावों में कुल 82.04 फीसद मतदान दर्ज़ किया गया। बीते मंगलवार को अंतिम चरण में सबसे अधिक 85.20 फीसद मतदान दर्ज़ किया गया था। एक अप्रैल को दूसरे चरण में 80.96 फीसद जबकि पहले चरण में 79.33 फीसद मतदाताओं ने वोट डाले थे।

हाल ही में, पुडुचेरी में नारायणस्वामी की सरकार ने विधानसभा में बहुमत खो दिया क्योंकि कांग्रेस के कई विधायकों ने पार्टी छोड़ दी।

इससे पहले कोरोना-काल के दौरान अगस्त 2020 में राजस्थान में अपनी सरकार बचाने के लिए अपने 102 विधायकों को पहले जयपुर के एक होटल में और फिर जैसलमेर के होटल सूर्यगढ़ में ठहराया था। 

वहीं 2018 में विधानसभा चुनाव के ठीक बाद कांग्रेस और जेडीएस ने अपने-अपने विधायकों को बचाने के लिए पहले बेंगलुरु के रिजॉर्ट में फिर हैदराबाद के होटल ले जाया गया था। गौरतलब है कि कर्नाटक में अल्पमत में होने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी ने आनन-फानन में सरकार बना ली थी। और भाजपा के राज्यपाल की ओर से बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन की मोहलत दिए जाने के बाद विपक्षी कांग्रेस और जेडीएस अपने-अपने विधायकों को बचाने की कोशिश में जुट गए थे। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा को शनिवार शाम 4 तक बहुमत साबित करने का वक्त दिया। जिसके बाद येदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा था लेकिन कुछ ही महीने बाद भाजपा ने विधायकों की ख़रीद फरोख्त करके सत्ता कब्जिया ली थी। 

साल 2017 में गुजरात के कांग्रेसी विधायक को बेंगलुरु में  रिजॉर्ट में ठहराया गया था। तब कांग्रेस ने अपने 44 विधायकों को बचाने व एकजुट बनाए रखने के लिए बेंगलुरु के ईगलटन रिजॉर्ट में कई दिनों तक रखा था। तब पूरा संख्या बल होने के दिवंगत दिग्गज नेता अहमद पटेल को राज्यसभा पहुंचाने के लिए कांग्रेस को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा था। इसके लिए कांग्रेस ने अपने विधायक बेंगलुरु में एक रिजॉर्ट में रखा और विधायकों की बाकायदा परेड भी कराई थी। 

वहीं साल 2002 में महाराष्ट्र में कांग्रेस के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को अपनी सरकार बचाने के लिए 40 विधायकों के साथ बेंगलुरु में शरण लेनी पड़ी थी और यहीं से सीधे महाराष्ट्र विधानसभा में जाकर उन्होंने अपना बहुमत साबित किया था। 

साल 2004 में भी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी 90 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि कांग्रेस को 65 और जेडीएस को 58 सीटें हासिल हुई थीं। तब जेडीएस ने अपने विधायकों को बचाने के लिए बेंगलुरु के एक रिजॉर्ट में छिपाकर रखा था। तब भी जेडीएस ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया और उसके विधायक रिजॉर्ट से सीधे विधानसभा में वोट डालने पहुंचे थे। 

इसके 2 साल बाद ही साल 2006 में  जेडीएस को अपने विधायकों को लेकर फिर रिजॉर्ट जाना पड़ा था। क्योंकि तब पार्टी के नेता कुमारस्वामी ने पिता एचडी देवेगौड़ा को नाराज़ कर बीजेपी के साथ सरकार बना ली और वह अपने समर्थक विधायकों के साथ बेंगलुरु के एक रिजॉर्ट में ठहरे हुए थे। बाद में सिद्धारमैया सरकार के गिरने के बाद वह विधायकों के साथ गोवा में ठहरे रहे। 

इसके 2 साल बाद यानि साल 2008 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 110 सीटों के साथ बहुमत के बेहद करीब पहुंची बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था। तब कांग्रेस और जेडीएस ने अपने विधायकों को बचाए रखने के लिए बेंगलुरु के एक रिजॉर्ट में कई दिनों तक रोके रखा था। 

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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