इंदिरा गांधी का घोषित आपातकाल, मोदी-योगी अघोषित आपातकाल से ही कुचल रहे जनअधिकारों को

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केंद्र की यही मोदी सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने का एलान किया। भारतीय जनता पार्टी मनाती भी है। 25 जून 1974 को ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी। इंदिरा गांधी ने आपातकाल को घोषित किया, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के राज में अघोषित आपातकाल है। इस सरकार को सहयोग कर रहे दल ताली बजा रहे हैं। आखिर हो क्या रहा है भारत में।

सबसे पहले चर्चा बनारस की करते हैं। बनारस में राजघाट पर सर्व सेवा संघ की जमीन को हथियाने के विरोध में गांधीवादियों ने 100 दिन का सत्याग्रह शुरू किया है। इस सत्याग्रह से किसी को कोई परेशानी भी नहीं थी। पहले तय था कि मुख्य सड़क के किनारे सत्याग्रह किया जाएगा, लेकिन प्रशासन के अनुरोध पर इसे मुख्य सड़क से हटाकर बसंत कॉलेज वाली रोड पर ले जाया गया। देव दीपावली के दिन काफी भीड़ होती है। लेकिन, उस दिन भी सत्याग्रह के कारण कोई व्यवधान नहीं आया। 13 दिन सत्याग्रह के और बचे थे। 87 दिन के सत्याग्रह से न तो प्रशासन को कोई परेशानी हुई और न ही आम जनता को। शुक्रवार 6 दिसंबर को अचानक प्रशासन ने सत्याग्रही राम धीरज, नंदलाल मास्टर, अशोक शरण और जोखन सिंह यादव को गिरफ्तार कर लिया। इसके पहले पुलिस ने बैनर आदि नोच कर फेंक दिया। जाहिर है पुलिस ने खुद यह कदम नहीं उठाया। अचानक ऐसा क्या हुआ जो सत्याग्रह को रोका गया, यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण है?

जिस वक्त गिरफ्तारी हुई उस वक्त सिर्फ चार व्यक्ति थे। इसे निषेधाज्ञा का उल्लंघन भी नहीं माना जा सकता। वैसे इस स्थान पर निषेधाज्ञा नहीं लगाई गई थी। किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई। फिर प्रशासन का यह रवैया क्यों?

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को संभल जाने से क्या असर पड़ता, क्या नहीं पड़ता, इसकी चर्चा बाद में। पहले मिर्जापुर की बात।

5 दिसंबर 2024 को संभल कांड के विरोध में तथा कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को संभल जाने से रोके जाने के विरोध में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर पूरे प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा कैंडल मार्च निकाला जा रहा था।

इसी क्रम में मिर्ज़ापुर कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर घंटाघर मैदान में कैंडल मार्च निकालने के लिए जुटे कांग्रेस नेताओं को पुलिस ने न केवल रोक दिया, बल्कि उन्हें धक्के देकर कोतवाली उठा ले गई। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ है। वीडियो में क्षेत्राधिकारी सीटी विवेक चावला “चल हट-हट…” साफ कहते हुए सुनाई दे रहें हैं। क्षेत्राधिकारी सिटी का यह बर्ताव कांग्रेस नेताओं के लिए असहनीय होता है, जिसका वह प्रतिकार करते हुए क्षेत्राधिकारी को जब लोकतांत्रिक विधि व्यवस्थाओं का हवाला देते हुए उनके बोले गए शब्दों पर आपत्ति करते हैं तो सीओ सिटी आपे से बाहर हो जाते हैं, फिर जो होता है वह देखते ही बनता है।

संभल प्रकरण को लेकर कैंडल जलाकर सत्याग्रह कर रहे कांग्रेसियों को पहले तो मार्च की अनुमति नहीं दी गई, फिर बैठने पर सीओ स्तर के अधिकारी द्वारा अभद्र व्यवहार किया गया। इनके कैंडल जलाने से कौन सी आग लग रही थी? क्या सूबे में प्रतिरोध का लोकतांत्रिक अधिकार समाप्त हो गया है?

अब आते हैं राहुल गांधी पर। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और उनकी सांसद बहन प्रियंका गांधी वाड्रा घटना के कई दिनों बाद संभल जाना चाहते थे। वे वहां पर हिंसा से प्रभावित परिवारों का दुख बांटने जा रहे थे। पुलिस ने उनको दिल्ली से बाहर ही नहीं निकलने दिया। पुलिस ने कहा कि संभल में निषेधाज्ञा लागू है। इस पर राहुल अकेले जाने को तैयार हुए। फिर कहा कि पुलिस के ही साथ ले चलो। वह मीडिया कर्मियों को भी न ले जाने की बात कह करे थे। उनके अकेले जाने से संभल में कौन सी निषेधाज्ञा का उल्लंघन हो जाता। क्या नेता प्रतिपक्ष को यह भी अधिकार नहीं है कि कहीं किसी घटना से प्रभावित लोगों का हाल-चाल लेने जा सके। वह अकेले जाते तो क्या हो जाता।

बीजेपी के प्रवक्ता कहते हैं कि राहुल गांधी मुस्लिम वोट के चक्कर में जा रहे थे। कितनी हास्यास्पद बात है। प्रशासन को कौन सा डर सता रहा था कि राहुल और प्रियंका को संभल नहीं जाने दिया।

पंजाब की बात करें तो नौ महीने से ज्यादा समय से धरना दे रहे हजारों किसानों में से मात्र 101 किसान पूर्व में घोषणा करके छह दिसंबर को दिल्ली की तरफ आगे बढ़े थे। उनको रोकने के लिए हरियाणा की बीजेपी सरकार ने क्या किया, किसी से छिपा नहीं है। किसान दिल्ली चले जाते तो क्या संसद को जोत देते। ये घटनाएं किस तरह के भविष्य का संकेत हैं। गांधीवादी तरीके से आंदोलन को यह सरकार जैसे कुचल रही है, इसके पहले इंदिरा जी ने आपातकाल में ही कुचला था। बात फिर वहीं पर आकर अटक जाती है। उस समय घोषित आपातकाल था, और इस समय अघोषित। अघोषित वाला और ज्यादा खतरनाक होता है।

(राजेश पटेल स्वतंत्र पत्रकार तथा सच्ची बातें डॉट कॉम के संचालक-प्रधान संपादक हैं)

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