Sunday, April 28, 2024

अहमद पटेल की बेटी ने ‘जनचौक’ से कहा- पार्टी ने मौका दिया तो लड़ सकती हूं लोकसभा का चुनाव

अहमदाबाद। लोकसभा चुनाव को लगभग 8 महीने बाकी हैं। सभी दल अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं। INDIA एलायंस बनने के बाद से गुजरात की डेडियापाड़ा से आम आदमी पार्टी के विधायक चैतर वसावा ने भरूच लोकसभा पर दावेदारी ठोक दी है। भरूच कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता मरहूम अहमद पटेल का गृह ज़िला भी है। जहां से पटेल 3 बार लोकसभा सांसद रहे हैं।

पिछले 35 वर्षों से इस सीट पर बीजेपी का कब्ज़ा है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटों पर कब्ज़ा किया था। आम आदमी पार्टी के चैतर वसावा की दावेदारी के बाद अहमद पटेल की बेटी मुमताज़ पटेल ने FICCI के अहमदाबाद चैप्टर द्वारा आयोजित “Women in leadership role” कार्यक्रम में एक प्रश्न के उत्तर में कहा- “हां अगर कांग्रेस पार्टी ने मुझे मौका दिया तो मैं 2024 लोकसभा चुनाव भरूच से ज़रूर लडूंगी।” इसके बाद से भरूच लोकसभा क्षेत्र चर्चा में बना हुआ है।

2011 की जनगणना के अनुसार भरूच जिले में 37.65 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। भरूच लोकसभा में बड़ौदा की करजन विधानसभा और नर्मदा जिले की डेडियापाड़ा को जोड़ा गया है। जिस कारण लोकसभा में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या घट कर 22.2 प्रतिशत हो गई। भरूच लोकसभा में 2019 के आंकड़ों के अनुसार अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की संख्या 497459 है, जबकि मुस्लिम वोटों की संख्या 402512 है। तीसरे नंबर पर कोली मतदाता हैं। जिनकी संख्या 234565 है। चौथे नंबर पर अनुसूचित जाति के मतदाता हैं, जिनकी संख्या 172928 है। इनके अलावा पाटीदार, राजपूत, बनिया और ब्राह्मण मतदाता भी हैं।

कांग्रेस पार्टी में मज़बूत पकड़ रखने वाले मरहूम अहमद पटेल की यूपीए शासन काल में तूती बोलती थी। 2022 में तीस्ता सीतलवाड़ को एफिडेविट मामले में जब गिरफ्तार किया गया था। तो उस समय कोर्ट में दिए गए हलफनामे में भी मरहूम अहमद पटेल का नाम भी घसीटा गया था। उस समय मुमताज़ पटेल अपने पिता के बचाव में उतरी थीं। मुमताज़ ने कहा था कि उनके पिता के नाम में अभी भी वजन है। इसीलिए राजनीतिक फायदे के लिए उनके नाम का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। अगर आरोप सही हैं तो तीस्‍ता सीतलवाड़ को यूपीए की सरकार में राज्‍यसभा सांसद क्‍यों नहीं बनाया गया? उन्‍होंने यह भी पूछा कि 2020 तक आखिर इस सरकार ने इतनी बड़ी साजिश की जांच क्‍यों नहीं करवाई?

25 नवंबर 2020 को कोरोना के कारण अहमद पटेल की मृत्यु हो गई थी। मरहूम अहमद पटेल ने अपने बेटे और बेटी को राजनीति से दूर रखा। दिल्ली यूनिवर्सिटी से इतिहास में बी.ए. और फिर यूनाइटेड किंगडम की लीड यूनिवर्सिटी से Masters in marketing and advertising की डिग्री लेने वाली मुमताज़ पटेल ने फैशन और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में काम किया है। इनके इस एक बयान से गुजरात की राजनीति में भरूच लोकसभा क्षेत्र चर्चा में है।

मुमताज़ पटेल से ‘जनचौक’ संवाददाता कलीम सिद्दीक़ी ने बात की है। जिसके कुछ अंश यहां दिए जा रहे हैं…

प्रश्न: आपके पिता कांग्रेस ही नहीं देश के बड़े नेता थे। आप क्या कांग्रेस से आधिकारिक रूप में जुड़ चुकी हैं? कांग्रेस में आपकी क्या जगह है? FICCI के अहमदाबाद चैप्टर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अचानक 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा क्यों कर दिया?

उत्तर: मार्च 2023 से मैं AICC की डेलीगेट हूं। लंबे समय से कांग्रेस की कार्यकर्ता रही हूं। रही बात इलेक्शन की तो FICCI के एक कार्यक्रम में मुझसे पूछा गया कि “क्या आप 2024 लोकसभा का चुनाव लड़ेंगी? तो सवाल के जवाब में मैने कहा कि अगर पार्टी द्वारा मुझे मौका मिला तो मैं 2024 का लोकसभा चुनाव ज़रूर लडूंगी। इस बयान को मीडिया ने बढ़ा-चढ़ा कर तिल का ताड़ बना दिया। जो बहुत आम सी बात थी। क्योंकि मेरे वालिद अहमद पटेल हैं, इसलिए बात बड़ी हो गई।

प्रश्न: मरहूम अहमद पटेल के साथ गुजरात में कई बड़े नेता हुए जैसे- माधवसिंह सोलंकी, अमरसिंह चौधरी, चिमनभाई पटेल- सभी ने अपनी राजनीतिक विरासत को बेटों द्वारा आगे बढ़ाया। लेकिन अहमद पटेल ने अपनी राजनीतिक विरासत को बेटे या बेटी द्वारा आगे नहीं बढ़ाया गया। ऐसा क्यों?

उत्तर: उनकी इच्छा थी कि हम राजनीति से दूर रहकर सोशल वर्क करें। गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करें। इसीलिए पापा हमें हमेशा राजनीति से दूर रखते थे। सोशल वर्क के लिए जो भी फाउंडेशन वगैरा पापा ने खड़ा किया है। हम उसे ही आगे बढ़ाएं। उनकी ऐसी ही इच्छा थी। लेकिन पापा जिस ओहदे पर थे वहां से सोशल वर्क करना आसान था। हम भी सोशल वर्क से जुडे़ हुए हैं और हमारा मानना है कि राजनीति भी एक सोशल वर्क ही है, इसीलिए हम राजनीति में आए हैं।

प्रश्न: भारत का समाज एक पुरुष प्रधान समाज माना जाता है। अधिकतर राजनीतिक विरासतें भी बेटों को ही मिलती हैं। ऐसे में फैसल पटेल के बजाए लोकसभा की उम्मीदवारी पर मुमताज़ पटेल की चर्चा चल रही है।

उत्तर: ऐसा नहीं है। मेरा भाई भी राजनीतिक तौर पर सक्रिय है और काम भी कर रहा है। महिलाओं को कम आंकने वाला जो माइंड सेट है उसे बदलने की आवश्यकता है। Women Representation Bill अभी तक पार्लियामेंट से पास नहीं हुआ। कांग्रेस के रायपुर सेशन में इस बिल को लेकर चर्चा भी हुई थी। पार्टी ने रिजॉल्यूशन भी पास किया था कि महिलाओं और युवाओं को कांग्रेस अधिक मौका देगी।

प्रश्न: भले ही आप ने एक सवाल के जवाब में लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई हो। सीधे लोकसभा के बजाए विधानसभा के रास्ते भी राजनीतिक ताकत दिखाई जा सकती है। आपने विधानसभा चुनाव 2022 में दावेदारी क्यों नहीं किया था?

उत्तर: 2022 में चुनाव लड़ने के लिए पार्टी ने हमसे पूछा था। लेकिन उस समय ज़हनी तौर पर हम इलेक्शन लड़ने के लिए तैयार नहीं थे। विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए खूब काम किया था। पहले भी हमने कहा था कि जनता कहेगी तो ही चुनाव लड़ेंगे। मीडिया में कुछ भी स्पेक्युलेशन चल रहा हो, अब भी चुनाव तभी लड़ेंगे जब जनता चाहेगी। मीडिया में जो चल रहा है कि मुमताज़ पटेल ने भरूच लोकसभा से टिकट की दावेदारी की है मात्र स्पेक्युलेशन है।

प्रश्न: प्रदेश की राजनीति में आर्टिक्यूलेटेड मुस्लिम नेताओं की कमी है, विशेषकर मुस्लिम वूमेन लीडरशिप की। आपकी सक्रियता के बाद क्या यह कमी पूरी हो सकती है?

उत्तर: प्रदेश के सभी नेता अपनी जगह सही हैं और काम भी करते हैं। रही बात आर्टिक्यूलेट वूमेन लीडरशिप की तो कोई भी क्राइसेज या कमी रातों रात पूरी नहीं होती है। समय लगता है। पहले आपने मुझसे एक महिला होने के नाते Patriarchal Society की बात की। क्या आपको नहीं लगता है कि अब समय आ गया है कि- पढ़े लिखे युवा, पढ़ी लिखी महिलाएं विशेष कर अगर माइनोरिटी से हों या न भी हों- उनको मौका मिलना चाहिए। मैं यह नहीं कहती कि सब कुछ रातों रात बदल जाएगा, लेकिन कुछ तो बदलाव करना पड़ेगा।

“Somebody has to start from somewhere and be the change” मैं इसी मकसद से आई हूं, जो थोड़ा भी राजनीति में बदलाव ला सकूं, तो मेरे लिए यह बहुत बड़ा अचीवमेंट होगा। मैं केवल मुस्लिम महिलाओं को ही नहीं बल्कि सभी महिलाओं और युवाओं को कहती हूं कि घर पर बैठकर शिकायत करने के बजाए बदलाव के लिए राजनीति में आओ। बदलाव की कोशिश करो।

बदलाव के लिए शिक्षा ज़रूरी है। यदि मुझे मौका मिला तो इंशाल्लाह कुछ अलग करके दिखाऊंगी। पापा के साथ मैंने शिक्षा और स्वास्थ के क्षेत्र में काम किया है। राजनीति में रुचि रही है। बेहतर काम करने के लिए राजनीति में भी बने रहना ज़रूरी है। मैं और मेरे भाई दोनों मिलकर पापा की इस विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। उसके लिए काम भी कर रहे हैं।

प्रश्न: नफरत और सांप्रदायिकता को बीजेपी एक राजनीतिक हथियार की तरह उपयोग करती है। अहमद पटेल के नाम से बीजेपी चुनाव में ध्रुवीकरण करती थी। क्या आपको यह नहीं लगता है कि मुमताज़ पटेल के नाम से भी बीजेपी राजनीतिक लाभ लेगी?

उत्तर: हो सकता है। होता आया है। मेरे फादर के नाम से भी बीजेपी इसी प्रकार की राजनीति करती थी। हमारे वालिद के द्वारा जो भी फाउंडेशन खड़े किए गए हैं। जिससे हम लोग सेवा का काम करते हैं। वह सबके लिए है। हम सभी के लिए काम करते हैं। मेरे वालिद को आप या कोई भी यह नहीं कह सकता कि वह माइनॉरिटी लीडर थे। वह सबके लिए थे। हमने उनसे यही सीखा है।

जैसा कि मैंने कहा है “Politics is social service for us” हमें तो अपना काम करना है। हम सबके लिए खड़े होते आए हैं। आगे भी सबके लिए खड़े होते रहेंगे। कौन क्या राजनीति करता है, हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वे लोग नफरत की राजनीति करते हैं और वही करेंगे। हम तो मोहब्बत का पैगाम लेकर चलने वाले लोग हैं। और यही पैगाम आगे भी लेकर चलेंगे।

प्रश्न: INDIA एलायंस के बाद प्रदेश आम आदमी पार्टी गठबंधन को लेकर उत्साहित है। चैतर वसावा ने पहले से ही दावेदारी ठोक रखी है। आपकी तरफ से भी लोकसभा लड़ने की इच्छा जताई गई है। यदि पार्टी का निर्णय कुछ और होता है। तो आप क्या करेंगी?

उत्तर: एलायंस में जो तय होगा मैं उस निर्णय को दिल से सपोर्ट करूंगी।

(कलीम सिद्दीकी स्वतंत्र पत्रकार हैं और गुजरात में रहते हैं।)

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