लगता नहीं कि हम केंद्र-राज्य सरकारें हैं, वैमनस्यता की हदें पार : झारखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री

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(कोविड से निपटने की सरकार की नीत कहिए या फिर उसके तरीके या फिर मसला वैक्सिनेशन का हो सारे मुद्दों पर केंद्र और राज्य के बीच मतभेद खड़े हो जा रहे हैं। जिसके चलते जो काम सुचारू रूप से आगे बढ़ना चाहिए उसमें तमाम किस्म की बाधाएं खड़ी हो जा रही हैं। इस मामले में केंद्र का रवैया बेहद बचकाना है। इस समय जबकि महामारी ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले रखा है तब उसमें केंद्रीय नेतृत्व को सीधे सामने आकर उससे मुकाबले की कमान संभालनी चाहिए थी। लेकिन यहां खुद की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़कर सभी चीजों को राज्यों और स्थानीय प्रशासनिक इकाइयों के कंधों पर डाल दिया जा रहा है। जबकि संसाधन और तमाम मामलों में ये उतने सक्षम नहीं हैं कि उस जिम्मेदारी का निर्वहन कर सकें। लिहाजा आखिरी तौर पर इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। इन्हीं सारे मसलों पर वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कुमार ने झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से बात की। पेश है पूरा साक्षात्कार-संपादक)

प्रश्न: बन्ना गुप्ताजी, आप झारखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री हैं। आज देश में सबसे बड़ा सवाल है वैक्सिनेशन। इसे लेकर तकरार है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच आमने-सामने की लड़ाई जैसी स्थिति बन गयी है। वेस्टेज ऑफ वैक्सीन को लेकर झारखण्ड सरकार पर बड़ी तोहमत लगी है। क्या कहना चाहेंगे? 

बन्ना गुप्ता : केंद्र सरकार अपने कुकर्म छिपाने के लिए यह तोहमत लगा रही है। गलत आयात-निर्यात नीति और जिस तरीके से साढ़े 6 करोड़ वैक्सीन विदेश भेज दी गयी, उस पर पर्देदारी की कोशिश है। केंद्र सरकार की नीति अदूरदर्शी है। केंद्र सरकार की कोविड पॉलिसी पूरी तरह फेल हो गयी है। जनता त्राहिमाम करने लगी है, आलोचना करने लगी है। ऐसे में इन लोगों ने एक सोची समझी साजिश के तहत बदनाम करने का तरीका अपनाया है। 

इन लोगों ने कहा कि 1 मई से 18 से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन देनी है। मैं आपसे पूछता हूं कि क्या झारखण्ड में कोई मैन्यूफैक्चरिंग का प्लांट है वैक्सीन का? आखिर हम तो निर्भर हैं केंद्र के ऊपर। और, जो भारतीय जनता पार्टी कल तक “एक देश, एक विधान, एक संविधान” का नारा बुलंद करती थी, कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक को एक करने की बात कहती थी, वही भारतीय जनता पार्टी और उसकी सरकार ने जीवन रक्षक दवाई वैक्सीन को भी तीन तरह से टैरिफ में बांध दिया। तीन मूल्य का निर्धारण कर दिया। केंद्र के लिए डेढ़ सौ रुपया, हमारे लिए 3 सौ और 4 सौ रुपया। मैं पूछना चाहता हूं कि केंद्र की सरकार ने बजट में 35 हजार करोड़ रुपया क्यों एलोकेट (आवंटित) किया था? 

प्रश्न: यह सवाल आप मीडिया से करेंगे तो इसका उत्तर नहीं मिलेगा। क्या आपने यह सवाल केंद्र सरकार से बतौर स्वास्थ्य मंत्री किया है कि क्यों हमें अकेला छोड़ा जा रहा है? क्यों नहीं आप खरीद करके हमें वैक्सीन देते हैं?

बन्ना गुप्ता : मैंने चिट्ठी लिखी है। मैंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में आदरणीय हर्षवर्धन जी से बातचीत की। उनसे निवेदन किया, अनुनय-विनय किया। उनके संज्ञान में यह भी लाया कि 35 हजार करोड़ रुपया आपने एलोकेट किया है और देश में 118 करोड़ लोगों को वैक्सिनेट करना है। 300 रुपये के हिसाब से अंदाजन 40 करोड़ रुपये के आसपास खर्च होगा। 

मेरा सीधा यह कहना है कि चूंकि ये भ्रामक प्रचार कर रहे हैं। पूरे हिन्दुस्तान का वेस्टेज रेट है 6.30 प्रतिशत। हमारे राज्य में वेस्टेज रेट है 4.65 प्रतिशत। लेकिन, इन लोगों ने गलत तरीके से बदनाम करने के लिए एक सोची समझी साजिश के तहत इसे 37 प्रतिशत से ज्यादा दिखा दिया। 

प्रश्न: आप बता रहे हैं कि वैक्सीन का जो वेस्टेज रेट है उस बारे में भारत सरकार की ओर से जो आंकड़े दिए गये हैं वो बिल्कुल गलत हैं? 

बन्ना गुप्ता : भ्रामक हैं। फेडरल गवर्नमेंट में हम एक-दूसरे के सहयोगी के तौर पर काम करते हैं। राजनीति मानव हित है। यह पहली सरकार है जिसने सारी सीमाओं को तोड़ा है और भ्रामक प्रचार का सहारा लिया है।

प्रश्न: आप झारखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री तो हैं ही, आप कांग्रेस के भी बड़े नेता हैं। छत्तीसगढ़ में भी वेस्टेज ऑफ वैक्सीन ज्यादा है। इस बारे में भी क्या जानकारी है आपके पास कांग्रेस नेता के तौर पर?

बन्ना गुप्ता: आज से 10 दिन पहले वीडियो कान्फ्रेंसिंग में हमारी बातचीत हो रही थी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री आदरणीय हर्षवर्धन सिंह जी से। उनके पोर्टल में यह दिखाया जा रहा था। मैं एकदम ऑन रिकॉर्ड बोल रहा हूं। चाहें तो आप जांच कर लें। उनके पोर्टल में दे रहा था कि झारखण्ड देश का पहला ऐसा राज्य है जिसने सौ फीसदी हेल्थ वर्कर को वैक्सिनेट किया। फ्रंट लाइन वर्कर का (आंकड़ा) दे रहे थे वो 85 प्रतिशत से ज्यादा। उनके पोर्टल का मैं बता रहा हूं। आप मेरी बात को रिकॉर्ड कर लें। उनके रिकॉर्ड में था कि 9 लाख 13 हजार लोगों को हमें दूसरा डोज देना बाकी है। हमने उनसे प्रार्थना की कि हमारे पास दो लाख डोज बचे हैं। निवेदन है कि कम से कम 7 लाख 13 हजार डोज दे दिया जाए तो हम 30 मार्च से 11 मई तक के लोगों को दूसरा डोज दे पाएंगे। लेकिन देखिए कहीं न कहीं… वो कहते हैं ना… 

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ऐसा नही लगता है कि (ये) केंद्र और राज्य की सरकारें हैं। ऐसा लगता है…मतलब वैमनस्यता है… देखिए लोकतंत्र की एक पहचान है। वैचारिक मतांतर होना स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान है। विचारों में मतांतर हो सकते हैं लेकिन एक-दूसरे के सम्मान में, एक-दूसरे के साथ बातचीत में…ऐसी बात नहीं होनी चाहिए…

प्रश्न: संघीय ढांचे में केंद्र और राज्य सरकार के बीच ऐसा संबंध पहले कभी नहीं देखा गया था। आप वैमनस्यता की बात उठा रहे हैं..

बन्ना गुप्ता : मैं समझता हूं कि यह सिर्फ वैमनस्यता नहीं है, बल्कि यह केंद्र की ओछी राजनीति है। यह जरूरी थोड़े ही है कि हर राज्य में डबल इंजन की सरकार होगी। हो सकता है कि केंद्र में भाजपा की हो, राज्य में किसी और की सरकार हो। इसका मतलब ये थोड़े ही है कि हम एक-दूसरे के विरोधी हैं।

प्रश्न: झारखण्ड में अभी वैक्सिनेशन की क्या स्थिति है? क्या सभी वर्ग में वैक्सिनेशन चल रहा है?

बन्ना गुप्ता : हमने 50 लाख कोवैक्सीन और 50 लाख कोविशील्ड का ऑर्डर दिया है। इसमें मात्र पांच लाख (18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए)  हमें उपलब्ध हुआ है। 

प्रश्न: ये ऑर्डर कब दिए गये थे?

बन्ना गुप्ता: ये तो हम लोगों ने ऑर्डर शुरू में ही दे दिया था। पहले 25-25 लाख का दिया था। बाद में उसको 50-50 लाख कर दिया। हालांकि हमारे यहां 1 करोड़ 57 लाख ऐसे हैं जो 18 से 44 साल के हैं। तो, 1.57 करोड़ गुणा दो यानी 3 करोड़ से कुछ ज्यादा हमें (वैक्सीन) चाहिए। हमने 1 करोड़ का ऑर्डर किया। उसके बाद इन्होंने हमें 12 या 13 मई को 1 लाख 24 हजार कोवैक्सीन और 1 लाख कोविशील्ड भेजा। आप सोचिए कि जो लोग ये कहते हैं कि एक मई को ही हमें वैक्सीन कार्यक्रम चालू करना चाहिए था। कहां से हम कर पाते?

प्रश्न: अब तक आप प्रदेश में 48 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सिनेट कर चुके हैं।

बन्ना गुप्ता : आप एक चीज बताइए। जो भी पढ़े-लिखे गणितज्ञ होंगे। वो तो तुरंत हिसाब निकाल लेंगे कि कितना प्रतिशत का लॉस है। आप यूपी, हरियाणा के आंकड़े देखिए। हरियाणा में 6 प्रतिशत से ज्यादा वेस्टेज है। हमारे राज्य में 4.65 प्रतिशत वेस्टेज है।

मैं एक साधारण सी बात बोल रहा हूं कि कि यदि मेरी थाली में दो कटोरे चावल हैं। हम तो गरीब आदिवासी राज्य हैं। हम गरीब लोग कोशिश करते हैं, चावल का टुकड़ा-टुकड़ा उठाकर खाते हैं। जो लोग बड़े होते हैं वो बड़े-बड़े होटलों में जाते हैं, फाइव स्टार में जाते हैं तो वे अपने सामान को वेस्टेज कर देते हैं। हम तो गरीब राज्य हैं। हमारे पास तो वैक्सीन उत्पादन का कोई साधन नहीं है। जो वैक्सीन आएगी, उसका हम सदुपयोग करेंगे।

प्रश्न: देखिए बन्ना गुप्ताजी, वैक्सीन वेस्टेज कई कारणों से होता है…कई बार हम इस्तेमाल करना नहीं जानते और कई बार तकनीकी और व्यावहारिक दिक्कतें होती हैं…

बन्ना गुप्ता : वो मैं समझता हूं। मैं आपको एक चीज से और अवगत कराता हूं। ये बहुत महत्वपूर्ण बात मैं कहने जा रहा हूं। मैं वैज्ञानिकों के प्रति बहुत आभार व्यक्त करता हूं और साधुवाद-धन्यवाद देता हूं। लेकिन, मैंने शुरू में भी कहा कि जब कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों कंपनियों ने अपनी-अपनी कंपनी के पक्ष और विपक्ष में समाचार पत्रों में कुछ ऐसे संवाद किए जिससे लोगों में यह बात गयी कि कुछ न कुछ गड़बड़ियां हैं…

बिल्कुल, मुझे याद आता है कोविशील्ड ने कोवैक्सीन को कहा था कि यह पानी है और भारत बायोटेक ने कहा था कि कोविशील्ड से साइड इफेक्ट्स होते हैं…

मैंने उस समय यह कहा था कि जब देश के प्रधानमंत्री जी थाली बजा रहे हैं, ताली बजा रहे हैं, मोमबत्ती जला रहे हैं और लोगों में विश्वास पैदा कर रहे हैं कि कोरोना से हमें विश्वास के साथ लड़ना है, योद्धाओं का मनोबल ऊंचा करना है। तो, मैंने कहा कि दुनिया के राष्ट्राध्यक्षों ने वैक्सीन का पहला डोज लिया..और इसलिए हमारे प्रधानमंत्री और हमारे स्वास्थ्यमंत्री भी लें। मैंने भी निवेदन किया था कि मैं लेना चाहता हूं। मैंने लिखित भी भेजा, लेकिन मुझे नहीं दिया।

मैंने यह कहा कि देखिए वैक्सीन की आवश्यकता है। और, आवश्यकता जब है तभी आविष्कार भी हुआ है। और जब आविष्कार हुआ है तो आविष्कार की प्रासंगिकताएं हैं…

प्रश्न: लेकिन बन्ना गुप्ताजी,

बन्ना गुप्ता : मेरी पूरी बात होने दीजिए…

प्रासंगिकता को विश्वसनीयता में बदलना होगा। और, विश्वसनीयता के लिए देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्रीजी को खुद वैक्सीन का पहला डोज लेना चाहिए। लोगों में कोई अव्यवस्था नहीं होगी। सब लोग ये कहेंगे- नहीं, हमारे प्रधानमंत्रीजी ने (वैक्सीन) लिया है। सारे भारत के लोग (वैक्सीन) लेंगे। लेकिन, उस समय जब मंजिल करीब थी, तो पांव फिसल गए। जब मंजिल दूर है तो हाय-तौबा कर रहे हैं!

प्रश्न: बन्ना गुप्ताजी, मैं याद दिलाना चाहता हूं कि आपने कहा था कि झारखण्ड के लोग क्या ट्रायल करने के लिए हैं, पशु हैं क्या, जानवर हैं क्या?

बन्ना गुप्ता : मैंने यह कहा था कि झारखण्ड के लोग प्रयोगशाला के चूहे नहीं हैं। मैंने जो कहा था, उसका पूरा प्रसंग समझें। मैंने कहा था कि जब दोनों वैक्सीन कंपनियां आपस में विरोधाभाषी बयान देती हैं तो प्रधानमंत्री जी को सामने आना चाहिए और प्रधानमंत्री को पहला डोज लेना चाहिए। 

प्रश्न: एक सवाल बन्ना गुप्ता जी आपसे भी बनता है कि क्या विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी सामने आए, क्या आप या झारखण्ड सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन सामने आए कि हम वैक्सीन लेंगे?

बन्ना गुप्ता : हमारे मुख्यमंत्री जी ने तो कहा था कि वे वैक्सीन लेने को तैयार हैं लेकिन चूंकि इन लोगों ने ऐसी गाइडलाइन बना दी कि वे नहीं ले सके। अब आईसीएमआर भी फेरबदल पूरे राजनीतिक दृष्टिकोण से करता है। अब आईसीएमआर भी वही कर रही है (जो सरकार चाहती है)। वह पॉलिटिक्स करने लग गयी है।

प्रश्न: आप बहुत गंभीर आरोप लगा रहे हैं?

बन्ना गुप्ता : बिल्कुल..बिल्कुल…अगर सच कहना बगावत है तो समझो बन्ना गुप्ता बागी है। सच्चाई कहना अगर गुनाह है तो मैं गुनहगार हूं…मैं दुनिया में सिर्फ और सिर्फ भगवान से डरता हूं, परमात्मा से। बाद बाकी दुनिया में मैं किसी से नहीं डरता। चाहे जो हो जाए।

बन्ना गुप्ता जी, बहुत-बहुत धन्यवाद। 

बन्ना गुप्ता : आपसे निवेदन है कि मेरी भावना को तोड़-मरोड़ कर नहीं, पूरी-पूरी मेरी भावना को जनता के बीच लाया जाए।

मैं भरोसा दिलाता हूं कि जिन शब्दों में आपने बातें रखी हैं, उन्हीं शब्दों में यह जनता के बीच होगा।

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