Sunday, April 28, 2024

पत्रकारों पर मोदी सरकार के दमन के खिलाफ अभिव्यक्ति के खतरे उठाने ही होंगे 

नई दिल्ली। दिवंगत साहित्यकार गजानन माधव मुक्तिबोध ने अपनी बहुचर्चित लंबी कविता अंधेरे में यूं ही नहीं लिखा था- अब अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने ही होंगे, तोड़ने होंगे मठ और गढ़ सब। तो अभिव्यक्ति के क्या खतरे उठाने होंगे, यह दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के आज तड़के न्यूज-क्लिक से जुड़े कई पत्रकारों और लेखकों के घरों पर छापे मार कर उनके लैपटॉप और मोबाइल फोन जब्त कर लिए जाने से एक बार फिर साफ हो गया।

समझा जाता है कि यह कार्रवाई न्यूज-क्लिक के कथित आतंकी संबंधी फंडिंग के आरोप में 1967 के उस अत्यंत खतरनाक ‘अनफ़ेयर एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट (यूएपीए) की धारा 13, 16, 17, 18, 22 और भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए और आपराधिक षड्यन्त्र रचने के आरोप की धारा 120 (बी) के तहत 17 अगस्त 2023 को दर्ज एफआईआर नंबर 224/2023 के पुराने मामले में की गई, जिसके तहत जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व शोध छात्र उमर खालिद पूर्वी दिल्ली में दंगा भड़काने के आरोप में 13 सितंबर 2020 से तिहाड़ जेल में बंद हैं।

यह सिर्फ संयोग नहीं है कि जिन पत्रकारों के घर दबिश देकर उनके लैपटॉप, मोबाइल फोन जब्त किये गए उनमें से चार- डी रघुनन्दन, न्यूज-क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ, सोहेल हाशमी और वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश जेएनयू के पूर्व छात्र हैं। डी रघुनन्दन जेएनयू छात्र संघ के हमारे समकालीन अध्यक्ष रहे हैं और अकादमिक जगत में लोकप्रिय ‘दिल्ली साइंस फोरम’ के लिए भी काम करते हैं।

सोहेल हाशमी देश के प्रसिद्ध नाट्यकर्मी सफ़दर हाशमी (12 अप्रैल 1954-2 जनवरी 1989) के बड़े भाई हैं, जिन्हें दिल्ली के पास उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के झंडापुर में एक नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन करने के दौरान वहां के कुछ गुंडों ने दिन दहाड़े हिंसक हमला कर मार डाला था।

सोहेल, उनकी याद में विख्यात साहित्यकार भीष्म साहनी (अब दिवंगत) एवं अन्य द्वारा कायम सफ़दर हाशमी मेमोरियल ट्रस्ट (सहमत) से जुड़े हैं और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर नई दिल्ली में केंद्र सरकार के प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) के पास कांग्रेस मालिकाना वाले जवाहर भवन परिसर में 2 से 21 अक्टूबर तक सहमत की आयोजित प्रदर्शनी में लगे हुए हैं।

जिन अन्य के घरों, दफ्तरों पर पुलिसिया दबिश दी गई उनमें स्वतंत्र यूट्यूबर अभिसार शर्मा, पत्रकार भाषा सिंह, मुकुल सरल, परंजोय गुहा ठाकुरता, अनिंदो चक्रवर्ती, लेखक गीता हरिहरन, अनुराधा रमण, सत्यम तिवारी, अदिति निगम, सुमेढ़ा पाल और संजय राजोरा शामिल हैं।

जानी-मानी सेकुलर एक्टिविस्ट और सबरंग इंडिया पत्रिका की संपादक तीस्ता सीतलवाड़ के भी मुंबई के घर और द टाइम्स ऑफ इंडिया के पूर्व पत्रकार और देश के प्रख्यात नाटककार एवं जेएनयू में प्रोफेसर रहे जीपी देशपांडे (अब दिवंगत) के दामाद सुबोध वर्मा के घर पर छापा मारने की खबर है।  

प्रबीर पुरकायस्थ को पुलिस उनके घर से पकड़ कर न्यूज-क्लिक के दफ्तर ले गई। न्यूज-क्लिक दफ्तर में उसके कुछ अन्य पत्रकारों और कर्मचारियों से किसान आंदोलन और कोविड महामारी के दौरान की खबरों के बारे में पूछताछ की गई। एफआईआर न्यूयॉर्क टाइम्स में अगस्त 2023 में छपी एक रिपोर्ट के सिलसिले में दर्ज की गई थी जिसका भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में उल्लेख कर दावा किया था कि न्यूज-क्लिक और कांग्रेस नेताओं ने भारत-विरोधी प्रचार के लिए चीन से धन प्राप्त किये थे।  

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, महिला पत्रकारों के संगठन, इंडियन वुमन्स प्रेस कॉर्प, जन हस्तक्षेप और जनवादी लेखक संघ (जलेस) समेत कई वामपंथी व अन्य संगठनों और गणमान्य नागरिकों ने पुलिस की आज की कारवाई की भर्त्सना की है। जन-हस्तक्षेप के अनिल दुबे द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार यह सब लेखकों-पत्रकारों के उत्पीड़न के ज़रिये उन्हें और दूसरों को भी ख़ामोश करने की कोशिश है।

जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार नलिनी रंजन मोहंती ने इस पुलिस कारवाई की भर्त्सना की है। इंडियन वुमन्स प्रेस कॉर्प की शोभना जैन और महासचिव अंजू ग्रोवर ने बयान जारी कर मोदी सरकार से तत्काल इस दमन को रोकने की मांग की है। जलेस ने दमन की इन कोशिशों की निंदा कर देश में अभिव्यक्ति की आजादी के बढ़ते हनन पर चिंता व्यक्त की है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज के राजनीतिक विभाग के रिटायर्ड प्रोफेसर ईश मिश्र के अनुसार हर बुर्जुआ लोकतंत्र में फासीवाद भी एक संवैधानिक संभावना होती है। प्रेस क्लब के बयान के मुताबिक भारत विश्व प्रेस फ़्रीडम सूचकांक में नीचे से 20वें स्थान पर पहुंच गया है जो जी-22 समूह के देशों में सबसे नीचे है। 

हमारा मानना है कि इन सबसे मोदी सरकार अपने ही बुने जाल में फंसने का इंतजाम कर रही है। हैरत इस बात की है कि पुलिस की इस निंदनीय कार्रवाई को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्री और हिमाचल प्रदेश से लोकसभा सदस्य अनुराग ठाकुर ने जायज ठहराते हुए कहा है कि उन्हें इसको न्यायसंगत बताने की कोई जरूरत नहीं है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के पुत्र हैं।

बहरहाल इतना साफ है कि पत्रकारों को नागरिकों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर मोदी सरकार द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगातार किये जा रहे हमलों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आवाज बुलंद करनी होगी। यह ध्यान में रखना होगा कि बिना आम अवाम के साथ के पत्रकारों का कोई भी प्रतिरोध सफल नहीं हो सकता है। यह बात 1982 में भारत की तब की अधिनायकवादी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (अब दिवंगत) को खुश करने के लिए बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा द्वारा पेश कुख्यात ‘बिहार प्रेस बिल‘ के खिलाफ व्यापक अवामी प्रतिरोध से साफ हो गया था। 

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

जनचौक से जुड़े

2 COMMENTS

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
2 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Dr Sanjeev Kumar
Dr Sanjeev Kumar
Guest
6 months ago

ऐसे स्वतंत्र मंच पर लिखना चाहूंगा

Janchowk
Admin
Reply to  Dr Sanjeev Kumar
5 months ago

आपका हार्दिक स्वागत है.

Latest Updates

Latest

Related Articles