नई दिल्ली। मणिपुर विधानसभा का मानसून सत्र मंगलवार को एक घंटे चला और फिर उसके बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। कहने को तो यह सत्र राज्य में पिछले चार महीने से जारी हिंसा पर चर्चा के लिए बुलाया गया था। लेकिन सत्र का असली मकसद राज्य को संवैधानिक संकट से बचाने के लिए था। इस तरह महज खानापूर्ति के लिए विधानसभा का सत्र बुलाया गया और फिर एक घंटे चला कर अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। इस बीच देश के पूर्व गृह सचिव जेके पिल्लई ने कहा है कि केंद्र सरकार मणिपुर में पक्षपाती भूमिका में खड़ी है और वह मैतेइयों का साथ दे रही है।
मणिपुर विधानसभा के सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे जातीय हिंसा में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट के मौन के साथ शुरू हुई। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि “बड़े दुख के साथ, हम हिंसा में मारे गए लोगों की मौत पर शोक व्यक्त करते हैं। ऐसे समय में उन लोगों के लिए शब्द अपर्याप्त लगते हैं जिन्होंने संघर्ष में अपने परिजनों को खो दिया है।”
सदन ने संकल्प लिया कि राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव और विभिन्न समूहों के बीच के मतभेदों को दूर करने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत करके हल किया जायेगा। इसके बाद सदन में चंद्रमा पर चंद्रयान-3 मिशन की भी सराहना की गई। सदन में मणिपुर से आने वाले और मिशन में शामिल वैज्ञानिक एन रघु सिंह को बधाई दी गई।
इसके बाद कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सत्यब्रत सिंह से मांग की कि राज्य की स्थिति पर चर्चा के लिए पांच दिवसीय सत्र आयोजित किया जाए। उनका तर्क था कि मात्र एक दिन में हिंसा में मारे गए लोगों और आगजनी में हुए घरों के नुकसान और शरणार्थी शिविरों में रह रहे लोगों की समस्याओं पर चर्चा नहीं की जा सकती।
वहीं कुकी समुदाय के सभी 10 विधायक विधानसभा से अनुपस्थित रहे। मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के नेतृत्व में विपक्ष के विधायकों ने कहा कि जातीय संघर्ष से जूझ रहे मणिपुर में मौजूदा स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक दिन पर्याप्त नहीं है।
पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई का मोदी सरकार पर आरोप
पूर्व गृह सचिव जी.के. पिल्लई ने सोमवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार संघर्षग्रस्त मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय का पक्ष ले रही है। और जानबूझकर सांप्रदायिक राजनीतिक रणनीति अपना रही है। उन्होंने पीएम मोदी को मणिपुर जाने की सलाह दी है।
द वायर समाचार पोर्टल के लिए पत्रकार करण थापर के साथ एक साक्षात्कार में पिल्लई ने कहा कि “इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत सरकार ने मैतेई-कुकी संघर्ष में पक्षपाती रही है और उसने मैतेई का पक्ष लिया है।”
जीके पिल्लई मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए दो साल तक केंद्रीय गृह सचिव थे। उन्होंने कहा कि अगर वह गृह सचिव होते, तो उन्होंने सरकार को सलाह दी होती कि मुख्यमंत्री को “बर्खास्त” किया जाए, राज्य में किसी और को सत्ता में लाने की कोशिश की जाए और यदि वह भी असफल हो तो राष्ट्रपति शासन का विकल्प चुना जाए।
उन्होंने कहा कि लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह का बचाव करके न केवल मणिपुर बल्कि अन्य राज्यों को भी “गलत संकेत” भेजा है। सदन में कुकी लोगों के अपमानित करने के सवाल पर पिल्लई ने कहा कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि भाजपा की यही राजनीतिक लाइन है।
प्रधानमंत्री मोदी के मणिपुर जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि “मुझे लगता है कि इस स्थिति में किसी भी प्रधानमंत्री को लोगों तक पहुंचने की जरूरत है। क्योंकि वह पूरे भारत के प्रधानमंत्री हैं और इसलिए, उन्हें जल्द से जल्द पहुंचने की जरूरत है…”
इतनी अक्षम और अप्रभावी प्रतिक्रिया नहीं देखी
चार महीने बाद भी राज्य में हिंसक घटनाएं घट रही हैं। पिल्लई ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री ने मणिपुर गए होते तो लोगों को लगता कि वह व्यक्तिगत रूप से राज्य की परवाह करते हैं और इससे फर्क पड़ता।
जमीनी स्तर पर स्थिति से निपटने की आलोचना करते हुए पिल्लई ने कहा कि उन्होंने अपने पूरे करियर में किसी संकट के प्रति इतनी अक्षम और अप्रभावी प्रतिक्रिया नहीं देखी है।
उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था बहाल करने की दिशा में पहला और महत्वपूर्ण कदम चोरी हुए हथियारों को बरामद करना होना चाहिए था। पिल्लई ने कहा कि प्रशासन को चोरी हुए हथियारों की बरामदगी के लिए घरों पर छापेमारी करनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिससे राज्य सरकार की विफलता स्पष्ट हो गयी है।
मणिपुर में हिंसा से मौत और नुकसान
मणिपुर में 3 मई को मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी। आंकड़ों के मुताबिक अब तक 181 लोगों की मौत हो चुकी है। जिसमें 113 कुकी और 62 मैतेई बताए जा रहे हैं। घायलों की संख्या 310 और 5000 से अधिक हिंसक घटनाएं सामने आई हैं। राज्य में करीब 60,000 लोग विस्थापित होकर शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। 3500 घर, 400 चर्च और 17 मंदिरों को ध्वस्त या क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। एक सूचना के मुताबिक राज्य में 350 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। पुलिस ने 6,700 लोगों को हिरासत में लिया है। राज्य में सेना और अर्ध सैनिक बलों के जवान मौजूद हैं। लेकिन हिंसा की घटनाएं बीच-बीच में सामने आ रही हैं।
मणिपुर में क्यों नहीं थम रही हिंसा
3 मई को मणिपुर में मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में कुकी समुदाय द्वारा निकाली गई रैली के दौरान भड़की हिंसा अब तक नहीं थमी है। सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में- इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व और चुराचांदपुर है।
कुकी समुदाय के संगठनों, नेताओं और विधायकों का आरोप है कि सीएम एन. बीरेन सिंह मैतेई समुदाय के हैं और वह मैतेई लोगों का पक्ष लेने के साथ ही उन्हें हिंसा करने से रोक नहीं रहे हैं। सरकार की देखरेख में मैतेई समुदाय के युवकों को सरकारी हथियार दिए जा रहे हैं। पिछले चार महीने में कई बार कई पुलिस स्टेशनों से सरकारी हथियारों के लूट की खबरें आईं। कुकी समुदाय का कहना है कि ये लूट नहीं बल्कि सीएम बीरेन सिंह के निर्देश पर लोगों को हथियार बांटे गए, और यह प्रचारित किया गया कि अराजक तत्वों या भीड़ ने पुलिस स्टेशन पर धावा बोलकर सरकारी हथियार लूट लिए। अब सवाल उठता है कि जब सरकार ही जनता को हथियार बांट रही हो तो वह हिंसा कैसे रोक सकती है?
(प्रदीप सिंह जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।)