यूपी में दर्ज 6 एफआईआर को रद्द कराने मोहम्मद जुबैर पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

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ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल की है। इस याचिका में उन्होंने कोर्ट से अपने खिलाफ उत्तर प्रदेश में हुई छह एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। इस याचिका में जुबैर के उनके खिलाफ जांच के लिए बनाई गई एसआईटी की संवैधानिकता को भी चुनौती दी है।

दरअसल कुछ दिनों में मोहम्मद जुबैर के खिलाफ यूपी के मुजफ्फर नगर, गाजियाबाद, सीतापुर, लखीमपुर और हाथरस में 6 एफआईआर दर्ज की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट में दी गई अपनी याचिका में मोहम्मद जुबैर ने इन सभी एफआईआर की तफ्तीश के लिए एक स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम के गठन का भी विरोध किया है। यूपी सरकार ने कुछ दिन पहले ही यूपी पुलिस के आईजी की अगुवाई में एक एसआईटी के गठन का ऐलान किया है।

गौरतलब है कि हाथरस केस में मोहम्मद ज़ुबैर को 27 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। मोहम्मद जुबैर के खिलाफ उत्तर प्रदेश में कई एफआईआर दर्ज कराई गई हैं, जिनमें हाथरस में दो एफआईआर दर्ज हैं। ज़ुबैर की गिरफ़्तारी के बाद 4 जुलाई को हाथरस में उनके खिलाफ़ मुक़दमा दर्ज़ किया गया। यहां महादेव की तस्वीर ट्वीट करने को लेकर एफआईआर हुई। हाथरस कोर्ट से पुलिस के आग्रह पर ज़ुबैर को कोर्ट में पेश होने का वारंट जारी किया गया, जिसके बाद आज उनकी कोर्ट में पेशी हुई ।

गुरुवार को सुनवाई खत्म होने के बाद उन्हें 27 जुलाई तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। ज़ुबैर के वक़ीलों की तरफ़ से ये दलील दी जा रही है कि ज़ुबैर को जेल में रखने के लिए यूपी पुलिस एक के बाद एक एफआईआर सामने लेकर आ रही है।

ज़ुबैर के खिलाफ़ दर्ज़ सभी मुक़दमों की जांच में पता चला है कि सभी 6 मुक़दमे धारा 153ए और 295ए के तहत दर्ज हैं। धारा 153 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है, जो धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर लोगों में नफ़रत फैलाने की कोशिश करते हैं। धारा 295(ए) उन लोगों पर लगाई जाती है जो धार्मिक भावनाएं आहत करने का कृत्य करते हैं ।

फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को दिल्ली पुलिस ने 27 जून को एक सोशल मीडिया यूजर की शिकायत के बाद धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। यूपी में जुबैर के खिलाफ टीवी चैनलों के एंकर पर व्यंग्य करने, हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने, देवी-देवताओं का अपमान करने, भड़काऊ पोस्ट सोशल मीडिया पर डालने के मामले में सीतापुर के खैराबाद, लखीमपुर के मोहम्मदी, गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर, मुजफ्फ़रनगर के चरथावल और हाथरस के सिकंदरा राऊ और हाथरस के कोतवाली में केस दर्ज हैं।

जुबैर ने अपनी इस याचिका में इन एफआईआर की तफ्तीश के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी गठित करने का भी विरोध किया है। जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली में दर्ज मामलों को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया है, जिसमें उन्हें पहली बार गिरफ्तार किया गया था और सभी छह प्राथमिकी में ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक के लिए अंतरिम जमानत मांगी थी।

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका का मसौदा वृंदा ग्रोवर, सौतिक बनर्जी, देविका तुलसीयानी और मन्नत टिपनिस ने तैयार किया है। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को आकाश कामरा के माध्यम से याचिका दायर की गई है।

इसके अलावा दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मोहम्मद जुबैर की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब कोर्ट शुक्रवार को जुबैर की जमानत पर अपना फैसला सुना सकती है।

जुबैर की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने तर्क दिया है कि यह ट्वीट 2018 का है और 1983 में रिलीज़ हुई एक फिल्म का एक स्टिल दिखाता है । वकील ने पुलिस द्वारा एफसीआरए उल्लंघन या अवैध धन के आरोपों का भी खंडन किया, यह तर्क देते हुए कि ऑल्ट न्यूज वेबसाइट स्पष्ट रूप से कहती है कि उनके पास एफसीआरए मंजूरी नहीं है।

हालांकि विशेष लोक अभियोजक ने तर्क दिया कि जुबैर ने जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को आहत करने और केंद्र सरकार को निशाना बनाने के लिए एक ट्वीट किया था। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जुबैर को गुमनाम खातों से धन प्राप्त हुआ था, जिसकी अभी भी जांच की जा रही है।

यूपी सरकार ने हाल ही में यूपी पुलिस के महानिरीक्षक यानी आईजी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित करने का ऐलान किया है । एसआईटी की अगुआई आईजी प्रीत इंदर सिंह कर रहे हैं जबकि डीआईजी अमित कुमार वर्मा भी इसमें शामिल हैं ।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को पिछले महीने 27 जून को गिरफ्तार किया था । स्पेशल सेल ने पुराने मामले में जुबैर को पूछताछ के लिए बुलाया था, बाद में उन्हें 2018 के एक ट्वीट के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था ।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।) 

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