गलत पहचानी की वजह से 6 की मौत, बाद में सेना ने आत्मरक्षा में 10 को मारा: अमित शाह

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नगालैंड जनसंहार कांड पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा व राज्यसभा को बताया है कि – “भारतीय सेना को नगालैंड में तिरु गांव के पास उग्रवादियों की आवाजाही की सूचना मिली थी। इसके आधार पर कमांडो दस्‍ते ने 4 दिसंबर की शाम को एम्‍बुश लगाया था। इस दौरान एक वाहन वहां से गुज़रा। उसे रुकने का इशारा और प्रयास किया गया। रुकने के बजाय वाहन वहां से तेजी से निकलने की कोशिश करने लगा। इस आशंका पर कि वाहन में संदिग्‍ध विद्रोही जा रहे थे, वाहन पर गोली चलाई गई जिससे वाहन में सवार 8 व्‍यक्तियों में से 6 की मृत्‍यु हो गयी। बाद में यह ग़लत पहचान का मामला पाया गया। जो दो लोग घायल हुए थे, उन्‍हें सेना द्वारा इलाज हेतु नज़दीकी अस्‍पताल में ले जाया गया।”

अमित शाह ने दोनों सदनों को आगे बताया कि -“यह समाचार प्राप्‍त होने के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने सेना की टुकड़ी को घेर लिया। दो वाहनों को जला दिया और उन पर हमला किया। इसके परिणामस्‍वरूप सुरक्षा बल के एक जवान की मृत्‍यु हो गई तथा कई अन्‍य जवान घायल हो गए। अपनी सुरक्षा में तथा भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों को गोली चलानी पड़ी जिससे सात और नागरिकों की मृत्‍यु हो गई तथा कुछ और लोग घायल हो गए।”

सदन में केंद्रीय गृहमंत्री के बयान से स्पष्ट है कि ग़लत पहचानी की वजह से सिर्फ़ 6 लोगों को मारा गया है 10 लोगों को बाद में सैन्य बलों द्वारा जानबूझकर निशाना बनाया गया है जिसे ‘बचाव’ और भीड़ को तितर-बितर करने का नाम दिया गया है।

बता दें कि नगालैंड जनसंहार कांड पर विपक्ष लगातार दोनों सदनों में गतिरोध पैदा करते हुये गृहमंत्री के बयान की मांग कर रहा था। विपक्षी सांसदों द्वारा लगातार दोनों सदनों में गतिरोध पैदा करने और नगालैंड कांड पर सरकार का बयान देने के दबाव के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नगालैंड में सुरक्षा बलों के हाथों 16 नागरिकों की मौत के संबंध में लोकसभा और राज्यसभा में बारी बारी से बयान जारी किया है। अमित शाह ने कहा कि मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है और एक महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है। गृह मंत्री ने कहा कि जांच उच्चतम स्तर पर की जा रही है। दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई भी की जाएगी। मैंने नगालैंड के राज्यपाल और मुख्यमंत्री से बात की है।

अमित शाह ने सुरक्षा बलों का बचाव करते हुए कहा कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए जवानों को गोली चलानी पड़ी थी। पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को संभालने की कोशिश की है। राज्य के डीजीपी और कमिश्नर ने भी इलाके का दौरा किया है। शाह ने कहा कि सभी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में इस तरह की कोई भी घटना न हो। उन्‍होंने बताया है कि वहां अभी स्थिति तनावपूर्ण मगर नियंत्रण में बनी हुई है। इलाके में शांति के लिए आवश्यकतानुसार उपाय भी किए जा रहे हैं।

अमित शाह ने सदन में कहा कि इस घटना के बाद पांच दिसंबर की शाम को लगभग 250 लोगों की आक्रोशित भीड़ ने असम रायफल्स के मोन शहर में स्थित कंपनी ऑपरेटिंग बेस (सीओबी) में तोड़-फोड़ कर दी और सीओबी की इमारत को आग लगा दी। असम रायफल्स को भीड़ के तितर-बितर करने के लिए गोलीबारी करनी पड़ी और इसमें एक और नागरिक की जान चली गई। उन्होंने आगे कहा कि प्रभावित इलाकों में अतिरिक्त बलों की तैनाती कर दी गई है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सेना के तीसरे कोर मुख्यालय की ओर से एक बयान जारी किया गया है और इन दुर्भाग्यपूर्ण हादसों को लेकर संवेदना जताई गयी है। सेना इस मामले की उच्चतम स्तर पर जांच कर रही है और दोषी पाए जाने वाले लोगों के ख़िलाफ़ क़ानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

केंद्रीय गृह मंत्री ने सदन को बताया कि कल स्थिति की समीक्षा की गई थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तुरंत उत्तर-पूर्व के प्रभारी अतिरिक्त सचिव को कोहिमा के लिए रवाना कर दिया था जहां उन्होंने मुख्य सचिव, वरिष्ठ अधिकारियों और पैरामिलिट्री बलों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की है। इस बैठक में स्थिति की विस्तार से समीक्षा की गई।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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