नई दिल्ली। कांग्रेस से एक बड़ी खबर आ रही है। सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष होगीं। दिन भर चली कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है। हालांकि कुछ देर पहले खबर आयी थी किकश्मीर के ताजा हालात को देखते हुए कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक को बीच में ही रोक दिया गया है। और अध्यक्ष के मसले पर आगे विचार-विमर्श किया जाएगा।
उसी दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मीडिया से मुखातिब होकर पीएम मोदी से पूछा था कि आखिर कश्मीर में क्या हो रहा है पीएम मोदी को उसे देश को बताना चाहिए। क्योंकि जो भी खबरें आ रही हैं वह बीबीसी और अल जजीरा जैसी बाहर की एजेंसियों और मीडिया से आ रही हैं इसलिए प्रधानमंत्री को इस मसले पर पूरी पारदर्शिता बरतनी चाहिए। न कि देश को अंधेरे में रखना चाहिए।
लेकिन उसी के तुरंत बाद सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने की खबर आयी। इससे पहले सीडब्ल्यूसी ने अध्यक्ष की तलाश के लिए चार ग्रुप बना दिए थे। जिनकों अपने-अपने क्षेत्रों के नेताओं के साथ संपर्क कर फिर आखिरी नतीजेपर पहुंचना था।

आज रात आठ बजे शुरू हुई दूसरे राउंड की बैठक से सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने खुद को अलग कर लिया था। उनका कहना था कि चूंकि वे दोनों अध्यक्ष रह चुके हैं इसलिए विचार-विमर्श में उनका शरीक होना उचित नहीं रहेगा।
हालांकि सुबह और उसके पहले अध्यक्ष के लिए तीन नाम चल रहे थे। जिसमें मुकुल वासनिक का नाम सबसे ऊपर था उसके बाद लोकसभा में संसदीय दल के नेता रहे मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम चल रहा था और तीसरे नंबर पर सुशीलकुमार शिंदे थे। लेकिन इन सारे कयासों को विराम देते हुए सीडब्ल्यूसी ने सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष के लिहाज से सबसे बेहतर माना।
शायद इसके पीछे प्रमुख वजह पार्टी के भीतर पुरानी और नई पीढ़ी के बीच पैदा हुआ संघर्ष है। उसमें किसी एक के पक्ष में जाने पर दूसरे के दरकिनार हो जाने का खतरा था। और आखिरी तौर पर उसका नुकसान पार्टी को उठाना होता।
और वैसे भी जिस दौर से देश की राजनीति गुजर रही है उसमें किसी एक अनुभवी और परिपक्व नेता की जरूरत थी जो न केवल अपनी पार्टी के नेताओं को एकजुट कर सके बल्कि उससे इतर दूसरी पार्टियों के नेताओं की भी अगुआई करने की क्षमता रखता हो। इस लिहाज से सोनिया से बेहतर चेहरा दूसरा कोई नहीं हो सकता था।