Saturday, April 20, 2024

पीएम मोदी के पंजाब दौरे के दौरान सुरक्षा चूक को लेकर राजनीति तेज, सुप्रीम सुनवाई कल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा को लेकर पंजाब में जो लापरवाही हुई उसका जिम्मेदार कौन है इसे लेकर सियासत तेज होती जा रही है। बीजेपी इसके लिए पंजाब सरकार और वहां की पुलिस को जिम्मेदार ठहरा रही है। लेकिन कांग्रेस इसकी जिम्मेदारी एसपीजी और आईबी पर मढ़ रही है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक का उल्लेख करते हुए उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई। वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने चीफ जस्टिस एनवी रमना के समक्ष मामले का उल्लेख किया और अदालत से अनुरोध किया कि वह इस घटना की तत्काल न्यायिक जांच की मांग वाली एक रिट याचिका पर विचार करें। चीफ जस्टिस ने वरिष्ठ वकील को पंजाब सरकार को याचिका की कॉपी देने के लिए कहा और शुक्रवार को मामले की सुनवाई के लिए सहमत हुए।

वरिष्ठ अधिवक्ता सिंह ने कहा, “यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसे दोहराया न जाए। इस रिट याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। चीफ जस्टिस ने पूछा कि आप हमसे क्या उम्मीद कर रहे हैं? सिंह ने आग्रह किया कि यह सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह की चूक को दोहराया न जाए। सुरक्षा बंदोबस्त में पेशेवर और प्रभावी जांच की आवश्यकता है। आज के माहौल को देखते हुए भटिंडा के जिला न्यायाधीश के लिए आपकी निगरानी में यह उचित होगा कि पूरे रिकॉर्ड को कस्टडी में लिया जाए। वह (प्रधानमंत्री) फिरोजपुर के दौरे पर थे। यह सुनिश्चित करना अत्यंत प्रासंगिक है कि यह आज के वातावरण में यह फिर से न हो। रिकॉर्ड जिला न्यायाधीश द्वारा लिया जाना है और उसके बाद आपके आधिपत्य तय कर सकते हैं कि क्या कदम उठाए जाने हैं। कृपया आज ही एक आदेश पारित करने पर विचार करें।

चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिका की कॉपी राज्य सरकार को दें, हम इसे कल (शुक्रवार) सुनेंगे। उक्त घटना बुधवार की है जब पीएम मोदी सड़क मार्ग से बठिंडा से हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक जा रहे थे। कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़क जाम किए जाने के कारण पीएम का काफिला 15-20 मिनट तक फ्लाईओवर पर फंसा रहा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस घटना को पीएम की सुरक्षा में ‘बड़ी चूक’ करार दिया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बुधवार को पंजाब दौरे के वक्त सुरक्षा में हुई चूक पर जहां एक तरफ गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है तो वहीं दूसरी तरफ इस मामले में चरणजीत सिंह सरकार एक्शन में है। पंजाब सरकार ने हाई लेवल कमेटी बनाने का फैसला किया है। यह कमेटी तीन दिन में अपना रिपोर्ट पेश करेगी।

पंजाब सरकार की तरफ से बयान में कहा गया है कि पीएम मोदी के कल फिरोजपुर दौरे के समय उनकी सुरक्षा में हुई चूक की व्यापक जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि कमेटी में रिटायर्ड जस्टिस मेहताब सिंह गिल, और गृह मामलों के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और जस्टिस अनुराग वर्मा होंगे। प्रवक्ता ने आगे बताया कि यह कमेटी तीन दिन के अंतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इधर, पंजाब बीजेपी के नेता पूरे मामले पर राज्य के गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित से मुलाकात की।

इस बीच कांग्रेस के बड़े नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करके कहा है कि पीएम के दौरे पर सुरक्षा की जिम्मेदारी एसपीजी और आईबी आईबी की होती है। राज्य की पुलिस एसपीजी के निर्देशों और सलाह का पालन करती है। एसपीजी की अनुमति के बिना पीएम का काफिला आगे नहीं बढ़ सकता है। एसपीजी को बताना चाहिए कि बिना पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के प्रधानमंत्री को 2 घंटे से अधिक समय की सड़क यात्रा क्यों करवाई गई ? उन्होंने कहा कि अगर किसानों के प्रदर्शन के बारे में पहले ही जानकारी दे दी गई थी, तब भी प्रदर्शन वाले रास्ते में पीएम के काफिले को जाने की अनुमति एसपीजी ने क्यों दी ? अशोक गहलोत ने साफ-साफ कहा कि ये एक गंभीर मुद्दा है,जिस पर राजनीति करने की बजाय एसपीजी, आईबी और दूसरी एजेंसियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। पीएम की सुरक्षा में सेंध का मामला गंभीर है, लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी सुरक्षा में सेंध का ड्रामा कर रही है, जबकि पीएम रैली में भीड़ न होने की वजह से वापस गए ।

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य के दौरे से बीच में ही लौटने पर खेद जताया, लेकिन कहा कि सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई। उन्होंने कहा कि मैं किसानों पर लाठाचार्ज नहीं करवा सकता था । सीएम चन्नी ने कहा कि मैं एक बात कहना चाहता हूं कि किसी भी नुकसान से पहले मैंने अपना खून बहा दिया होता, यह पंजाबियों की भावना है। उन्होंने कहा कि कोई पंजाबी व्यक्ति राज्य में आने वाले अतिथि पर हमला करने के बजाय मरना पसंद करेगा। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई। प्रधानमंत्री सड़क मार्ग से हुसैनीवाला जाने वाले हैं, इसका फैसला ऐन वक्त पर हुआ। फिर भी राज्य सरकार ने पूरे रास्ते में सुरक्षा का पूरा बंदोबस्त किया हुआ था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बुधवार, 5 जनवरी को फिरोजपुर, पंजाब में कार्यक्रम था। उन्हें वहां करीब 45,000 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करना था। इनमें अमृतसर-कटरा एक्सप्रेस-वे भी शामिल था।प्रधानमंत्री को हुसैनीवाला, फिरोजपुर शहीद-स्मारक में शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने थे। इसके बाद एक जनसभा को संबोधित कर पंजाब में विधानसभा चुनावों के प्रचार अभियान की शुरुआत करनी थी।

प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक की घटना सामने आते ही पंजाब के पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने फिरोजपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरमनदीप सिंह को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश ही नहीं, दुनिया भर में सबसे सख्त सुरक्षा प्राप्त शासन प्रमुखों में गिने जाते हैं। उनके हर मूवमेंट के एक-एक सेकेंड की पूर्व तैयारी की जाती है। किसी भी जगह उनकी सुरक्षा के बंदोबस्त कई दिनों पहले से किए जाते हैं। वे कब कहां से गुजरेंगे, कहां रुकेंगे, क्या करेंगे, सब पूर्व निर्धारित होता है।

सीएम चन्नी ने कहा कि गृहमंत्री का कल कैबिनेट मीटिंग में ही टेलीफोन आया कि रैली के आस-पास कई किसान संगठनों के लोग बैठे हैं। उन्हें तुरंत हटाया जाए। वो रैली में व्यवधान डालना चाहते हैं। हमने रात 3 बजे तक प्रदर्शन करने वाले किसानों को मनाकर वहां से उठाया। पीएम के रूट की जानकारी देते हुए चन्नी ने कहा, ‘पिछले 5 दिन से केंद्र की एजेंसियां आईबी, स्टेट इंटेलिजेंस ब्यूरो, प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़ी कई टीमें फिरोजपुर में बैठी हुई हैं। मुझे चीफ सेक्रेटरी का फोन आया कि प्रदर्शनकारी पीएम ऑफिस से गारंटी चाहते हैं कि पीएम मोदी किसान संगठनों से बात करें। मैंने चीफ सेक्रेटरी से कहा कि आप भरोसा दिलाइए कि हम टाइम दिला देंगे पीएम मोदी से बातचीत के लिए और रास्ता खाली कीजिए।

रात पौने दो बजे मैंने आईबी के डायरेक्टर को फोन किया लेकिन उन्होंने उठाया नहीं। उनको यह बताने के लिए फोन किया था कि हालात सामान्य हो गए हैं। सुबह 5 बजे मुझे आईबी डायरेक्टर का फोन आया। मेरी तरफ से सब कुछ उन्हें बताया गया। हमने विरोध-प्रदर्शन कर रहे तमाम संगठनों को भरोसा दिलाया था कि हम पीएम से बातचीत का टाइम दिलाएंगे।

राज्य सरकार के पास पीएम का मिनट- टू-मिनट प्रोग्राम आया था। हमें उस कार्यक्रम में छेड़छाड़ करने और किंतु-परंतु करने का कोई अधिकार नहीं था। प्रधानमंत्री कैसे आएंगे, कहां रुकेंगे, किधर बैठेंगे, कहां जाएंगे, उसमें राज्य सरकार का लेना-देना नहीं था। पूरा रूट केंद्र की एजेंसियां पीएमओ के साथ मिलकर तय करती हैं, राज्य सरकार को सूचित किया जाता है।

पीएम का हवाई मार्ग से आने का प्रोग्राम था। इसके लिए फिरोजपुर पर तीन हेलीपैड बनाए गए थे। डीजीपी ने बीजेपी को बताया था कि हमने केंद्र की एजेंसियों को बताया था कि मौसम खराब है, प्रदर्शन हो रहे हैं। अगर प्रोग्राम रद्द हो सकता है तो कर दीजिए। सुबह 10.25 पर पीएम मोदी को बठिंडा एयरपोर्ट पर पहुंचना था। फिर एमवाई- 17 हेलिकॉप्टर से 5 मिनट बाद बठिंडा से उड़ना था। सड़क मार्ग से आने का कोई प्लान नहीं था। हमें ये यकीन दिलाया गया था कि पीएम हेलिकॉप्टर से ही आएंगे लेकिन ऐन मौके पर आकर अफसरों ने बताया कि बठिंडा से फिरोजपुर सड़क मार्ग से ले जाएंगे।

जहां प्रदर्शन हो रहा था वहां से काफी पहले पीएम के काफिले को जानकारी दे दी गई थी कि आगे ट्रैक्टर-ट्रॉली लगाकर रास्ता रोका गया है। आगे से जाना मुश्किल है। सुरक्षा चूक की कोई बात नहीं थी, पीएम की जान की खतरे को कोई बात नहीं थी। हमारे साथ भी रोज ऐसी घटनाएं होती हैं, चुनाव के दौरान कोई न कोई सड़क पर बैठ जाता है। पीएम पर कोई हमला नहीं हुआ। पहले भी दिल्ली में किसान प्रदर्शन चला था। उनकी भी मांगे थीं, साल भर बाद मांगें मानी गईं।

प्रधानमंत्री पर कोई हमला नहीं हुआ, ऐसी कोई सोच भी नहीं थी। पहले भी दिल्ली में किसान आंदोलन हुआ उनकी कुछ मांग थी जो 1 साल बाद पूरी हुई। आज भी अगर कोई शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने रास्ते पर आ गया तो इसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा के साथ नहीं जोड़ना चाहिए राजनीति नहीं होनी चाहिए।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।

ग्राउंड रिपोर्ट: रोजी-रोटी, भूख, सड़क और बिजली-पानी राजनांदगांव के अहम मुद्दे, भूपेश बघेल पड़ रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी पर भारी

राजनांदगांव की लोकसभा सीट पर 2024 के चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल और वर्तमान सांसद संतोष पांडेय के बीच मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। मतदाता सड़क, पानी, स्वास्थ्य, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं, जबकि युवा बेरोजगारी और रोजगार वादों की असफलता से नाराज हैं। ग्रामीण विकासपरक कार्यों के अभाव पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।

Related Articles

अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।

ग्राउंड रिपोर्ट: रोजी-रोटी, भूख, सड़क और बिजली-पानी राजनांदगांव के अहम मुद्दे, भूपेश बघेल पड़ रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी पर भारी

राजनांदगांव की लोकसभा सीट पर 2024 के चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल और वर्तमान सांसद संतोष पांडेय के बीच मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। मतदाता सड़क, पानी, स्वास्थ्य, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं, जबकि युवा बेरोजगारी और रोजगार वादों की असफलता से नाराज हैं। ग्रामीण विकासपरक कार्यों के अभाव पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।