ग्राउंड रिपोर्ट: पुरोला की शांत और सुंदर वादियों में घोल दिया गया है साम्प्रदायिकता का जहर

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उत्तर काशी। 24 वर्षीय व्यवसायी जुबैर खान की एक छोटी सी नादानी या भलमनसाहत ने उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले में स्थित पुरोला में 40 से ज्यादा मुस्लिम व्यवसायियों को अपनी दुकानें और घर छोड़ने पर विवश कर दिया। जुबैर की नादानी सिर्फ इतनी थी कि वह अपने व्यवसायी साथी जितेन्द्र सैनी के प्रेम प्रसंग में मददगार बन गया था। बीती 26 मई को जब जुबैर और जितेंद्र एक स्थानीय लड़की के साथ पुरोला पेट्रोल पंप के पास घूमने गए थे तो कुछ लोगों ने उन्हें रोक लिया और मुस्लिम युवक द्वारा हिन्दू नाबालिग लड़की के अपहरण का मामला बताकर हंगामा खड़ा कर दिया।

इस तरह की घटनाओं को लपकने की ताक में बैठे तथाकथित हिन्दू संगठनों ने 28 मई को पुरोला में जुलूस निकाला। मुस्लिम व्यवसायियों की दुकानों के बोर्ड और बैनर उखाड़ दिये और दुकानों पर हिन्दू रक्षा अभियान के नाम से पोस्टर चस्पा कर दिये, जिन पर उन्हें 15 जून तक पुरोला छोड़ने के लिए कहा गया। इस घटना के बाद से पुरोला में मुस्लिम समुदाय के लोगों की सभी दुकानें बंद हैं। कुछ दुकानदार अपना सामान समेट कर चले गये हैं। फिलहाल पुरोला में 5 या 6 मुस्लिम परिवार डर और तनाव के बीच रह रहे हैं। ये वे परिवार हैं, जिनके पुरोला में अपने घर हैं और वे किसी भी हालत में अपने घर छोड़कर नहीं जाना चाहते।

घटना के बाद जनचौक ने पुरोला जाकर वहां के लोगों से बातचीत कर मामले को जानने समझने का प्रयास किया। दो दिन तक कई लोगों से बातचीत करने का प्रयास किया गया, लेकिन ज्यादातर लोगों ने यह कहकर बात करने से इंकार कर दिया कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है। जो लोग बात करने के लिए तैयार हुए, उनकी बातें सुनकर साफ हो गया कि हालात अब काबू से बाहर हैं और जहर नस-नस तक पहुंचा दिया गया है।

पुरोला के नस नस में भरा गया है नफरत का जहर

ऐसे ज्यादातर लोग बात शुरू होते ही फट पड़ते हैं और समुदाय विशेष को किसी भी हालत में पुरोला से भगाने पर आमादा प्रतीत होते हैं। बहुत कम लोग मिले, जो हाल के घटनाक्रम को पुरोला का दुर्भाग्य मानते हैं और कहते हैं कि कुछ बाहरी लोगों ने पुरोला में आकर माहौल को खराब किया है। कुछ ऐसी कहानियां भी पुरोला में सुनने को मिल रही हैं, जिससे साफ हो जाता है कि मामले के पीछे असली वजह पुरोला में स्थानीय दुकानदारों की तुलना में मुस्लिम समुदाय के लोगों का बिजनेस बेहतर चलना है।

खुद को एक न्यूज पोर्टल का पत्रकार बता रहा एक युवक समुदाय विशेष को गालियों की बौछारों के बीच घटना के बारे में विस्तार से बता रहा था। उसका कहना था कि थोड़ी सी कमी यह रह गई कि हमने इन लोगों की पिटाई नहीं की। युवक खुद को इस पूरे घटनाक्रम का हीरो साबित करते हुए कह रहा था, अब किसी भी हालत में इन्हें हम पुरोला में नहीं घुसने देंगे। जब पूछा गया कि लड़की वाले मामले में तो एक हिन्दू युवक भी था, फिर सिर्फ मुसलमानों को ही भगाने की बात क्यों हो रही है। युवक ने एक गाली हिन्दुओं को भी दी और फिर मुसलमानों पर लौट आया।

रेस्टोरेंट चलाने वाले एक अधेड़ से जब पूछा गया कि इससे पहले भी मुस्लिम समुदाय के लोगों की कोई ऐसी शिकायत सामने आई थी तो बोला, अब तक छिपी हुई शिकायतें थी। पहली बार शिकायत खुलकर सामने आई है। हालांकि वे किसी छिपी शिकायत का उदाहरण नहीं दे पाये। एक व्यक्ति का कहना था कि पुरोला में तो बराबर जेहाद भी चल रहा है। यहां के मुस्लिम दुकानदार नकली कॉस्मेटिक का सामान बेच रहे हैं, उसमें कई ऐसी क्रीम आदि हैं, जिससे आदमी नपुंसक हो जाता है। एक युवक ने तो गोमांस तस्करी की कहानी गढ़ दी और कहा कि यह पुलिस के संरक्षण में हो रहा है।

हालांकि पुरोला में कुछ लोग ऐसे भी मिले जो मान रहे हैं कि यह सब 2024 को चुनाव जीतने के लिए भाजपा करवा रही है। पुरोला रोड पर एक ढाबे में एक युवक बलवीर (काल्पनिक नाम) से मुलाकात हुई। बलवीर पास के गांव का रहने वाला है और पुरोला में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है। घटना के बारे में पूछे जाने पर बलवीर ने कहा कि जुलाई में उसका वीडियो का पेपर है, वह तैयारी कर रहा है। सिर्फ खाना खाने के लिए निकलता है। उसे ज्यादा जानकारी नहीं है।

यह उलाहना देने पर कि अपने आस-पास होने वाली घटनाओं की जानकारी तो होनी ही चाहिए तो बलवीर ने कहा कि ये सब जान बूझ कर करवाया जा रहा है। 2024 का चुनाव उत्तराखंड में बीजेपी हार रही है। देहरादून में बेरोजगारों पर हुए लाठीचार्ज के बाद से पूरे पहाड़ में भाजपा का विरोध हो रहा है। हर घर में बेरोजगार युवक हैं। इसकी भरपाई के लिए बीजेपी इस तरह का माहौल खड़ा कर रही है। मुसलमानों के नाम पर डराया जा रहा है। लेकिन, उत्तराखंड का युवा बेरोजगार अब इस तरह के झांसे में नहीं आने वाला है।

पुरोला में फिलहाल मुस्लिम समुदाय के लोगों की सभी दुकानें बंद हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि सभी मुस्लिम पुरोला से चले गये हैं। जनचौक को पता चला कि अब भी कुछ परिवार यहां रह रहे हैं। ये वे परिवार हैं, जिनके अपने घर हैं, लेकिन फिलहाल वे घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। काफी प्रयास के बाद एक मुस्लिम व्यवसायी ने बातचीत करने के लिए हामी भरी।

पुरोला में बंद पड़ी मुस्लिम समुदाय के लोगों की दुकानें। दुकानों को बोर्ड और बैनर भी फाड़ दिये गये हैं

42 वर्षीय हनीफ (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उनका परिवार पिछले 50 वर्षों से पुरोला में है। वे मुख्य रूप से गारमेंट का व्यवसाय करते हैं। यह व्यवसाय उनके पिता ने शुरू किया था। हनीफ के अनुसार उनका जन्म भी पुरोला में ही हुआ। इसी समाज में रहकर वे बड़े हुए। वे इस समाज का हिस्सा रहे। आज से पहले कभी ऐसा कुछ नहीं हुआ था। हम लोग तीज-त्योहार भी मिल कर मनाते हैं।

हनीफ कहते हैं कि अपराधी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। जिस व्यक्ति ने अपराध किया, उसे गिरफ्तार किया जा चुका है, फिर सभी मुसलमानों को पुरोला छोड़ने के लिए क्यों कहा जा रहा है। हनीफ के अनुसार उनका सब कुछ पुरोला में है। वे किसी भी हालत में अपना घर छोड़कर नहीं जाएंगे। वे मानते हैं कि कुछ लोग बाहरी तत्वों के बहकावे में आकर इस तरह की हरकतें कर रहे हैं।

इस्माइल (बदला हुआ नाम) ने बताया कि 28 मई की घटना के बाद वे बेहद डरे हुए हैं। घर से नहीं निकल रहे हैं। 5 जून को वे अपने एक अन्य साथी के साथ एसडीएम और चौकी इंचार्ज से मिलने गये थे। लेकिन, वहां उनका अनुभव बेहद खराब रहा। साफ हो गया कि प्रशासन उनके साथ नहीं है। हालांकि उन्होंने पुलिस के एक अधिकारी के प्रयासों की सराहना भी की। इस्माइल ने बताया कि एसडीएम ने चलते-चलते उनका ज्ञापन लिया। इस ज्ञापन में उन्होंने दुकानें खोलने की इजाजत देने की मांग की थी। एसडीएम ने ज्ञापन देखने और कोई आश्वासन देने के बजाय सिर्फ यह कहा कि ठीक है, हम देख लेंगे।

इस्माइल के अनुसार वे पुलिस चौकी भी गये वहां अपने और अपने परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाई। इस्माइल ने बताया कि जब वे पुरोला बाजार स्थित पुलिस चौकी पहुंचे तो वहां सीओ बैठे हुए थे। सीओ ने उनकी बातें सुनी। सुरक्षा का आश्वासन दिया और एसएचओ से कहा कि सभी की दुकानों पर चार-चार सिपाही लगा दो और बाजार में पीएसी लगवा दो। वे आश्वस्त होकर घर लौट आये। लेकिन, शाम को एक सिपाही उन्हें बुलाने पहुंच गया। चौकी में उनसे कहा कि उनके खिलाफ लगातार शिकायतें आ रही हैं। फिलहाल दुकानें न खोलें। ऐसा किया तो लोग दुकान पर आग लगा सकते हैं।

पुरोला एसडीएम कोर्ट के साथ ही उत्तरकाशी जिला कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले एडवोकेट रविन्द्र सिंह भंडारी कहते हैं, कुछ बदमाश हैं जो इस तरह से माहौल खराब कर रहे हैं। वे कहते हैं कि आरोपियों को जब गिरफ्तार कर लिया गया है तो अब आगे का काम अदालत को करना है। फिर यह सब क्यों किया जा रहा है। बाहर से लोगों को बुलाकर माहौल खराब किया जा रहा है। आप किसी को इस तरह जबर्दस्ती नहीं भगा सकते।

पुरोला नगर पंचायत अध्यक्ष हरिमोहन सिंह नेगी इस पूरे घटनाक्रम में खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। वे कहते हैं कि लोगों के दिमाग में जहर भर दिया गया है। नेगी सवाल उठाते हैं कि जिन मुस्लिम व्यवसायियों को कहा जा रहा है कि वे घुसपैठ करके यहां आये हैं तो फिर इतने सालों तक वे यहां कैसे रह गये। पुलिस और प्रशासन चुप क्यों रहा। उन्हें व्यापार करने का लाइसेंस किसने दिया और क्यों दिया। वे कहते हैं कि यह सब लोकसभा चुनाव में लोगों का ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है। चौराहे पर खड़े एक पुलिस के सिपाही से जनचौक ने पूछा कि पुरोला में कैसा है माहौल। सिपाही ने तपाक से कहा कि 2024 तक तो ऐसे ही रहेगा।

(पुरोला से लौटकर वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोचन भट्ट की रिपोर्ट।)

12Comments

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    • 2
      R singh

      लो शुरू हो गई लिबरल, वामपंथी गिरोह की लीपापोती । न सच सुनना, न कहना, न देखना बस अपने चश्मे से घटना को ऐसे दिखाना कि अपराधी अपराध करने से डरने के बजाय बार बार दोहराने की हिम्मत करने लगे।

  1. 5
    Shivam bhatt

    झूठ दिखाया जा रहा है। लव जिहाद के मामले अल्मोड़ा से लेकर चमोली और उत्तरकाशी से लेकर हल्द्वानी तक मामले सामने आ रहे है । ये एजेंडा चलाया जा रहा है ताकि मुस्लिमों की चालबाज हरकतों को छिपाया जा सके और वो आसानी से पहाड़ों पर बहुसंख्यक हो सकें।

    वैसे भी मुल्ले हरिद्वार , देहरादून, नैनीताल , उधम सिंह नगर और चंपावत में तेजी से बढ़ रहे हैं।

  2. 7
    Anoop

    पूरे देश में लव जिहाद हो रहा ह और ये पत्रकार नादानी शब्द का इस्तेमाल कर रहा है इससे ही इसकी पत्रकारिता समझ आ गई थू ह ऐसे लोगो पर मर जाओ

  3. 8
    Deepak Bhardwaj

    यह पत्रकारिता नही पत्तलकारिता है। नादानी या भलमनसाहत जैसे शब्दों का प्रयोग पर्वतीय बंधुओं के साथ अन्याय है।

  4. 12
    प्रवीर पाल

    अत्यंत गलत प्रथा की शुरुआत हो रही है पर हम अब भी नही समझे तो आगे विनाश है

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