Sunday, April 28, 2024

बीएचयू के शर्मनाक कांड के मुख्य अभियुक्तों का भाजपा कनेक्शन क्या बताता है?

वर्ष 2023 के आखिर में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के परिसर के भीतर हुए एक दिल दहलाने वाली घटना के मास्टरमाइंड सहित 3 अभियुक्तों को यूपी पुलिस गिरफ्तार करने में आखिरकार सफल रही। यह घटना 1 नवंबर, 2023 की थी, जिसका पटाक्षेप करने में यूपी प्रशासन को पूरे दो महीने का वक्त लग गया। अब पता चल रहा है कि तीनों अपराधी असल में भाजपा के आईटी सेल से जुड़े हुए थे।

बनारस संसदीय क्षेत्र भारत का क्योटो है, और पिछले 10 वर्षों से इसे वीवीआईपी क्षेत्र का दर्जा हासिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र में ऐसी जघन्य घटना का होना ही अपने आप में शर्मसार करने वाली थी। ऊपर से संस्थापक, पंडित मदन मोहन मालवीय के द्वारा जिस विश्वविद्यालय की नींव रखी गई हो, ऐसी घटना का हो जाना बनारस ही नहीं पूरे पूर्वांचल को झकझोरने वाला साबित हुआ था। विश्वविद्यालय में असामाजिक तत्वों के बोलबाले और छात्रावासों में अवैध कब्जे को लेकर तमाम तरह की अटकलों के बाद अब जब इस अपराध के पीछे स्वयं भाजपा के कार्यकर्ताओं के होने की बात सामने आ रही है तो शहर एक बार फिर से शोचनीय स्थिति में चला गया है। 

‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का प्रचार-प्रसार करने वाला आईटी सेल ही बलात्कारी 

इन अपराधियों की पहचान कुणाल पांडे, सक्षम पटेल और आनंद उर्फ़ अभिषेक चौहान के रूप में हुई है। तीनों अपराधी भाजपा के आईटी सेल के कार्यकर्ता थे। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने यूपी सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि सामूहिक दुष्कर्म को अंजाम देने वालों में कुणाल पांडे दरअसल भाजपा आईटी सेल महानगर का संयोजक था। सक्षम पटेल सह-संयोजक जबकि अभिषेक चौहान कार्यसमिति का सदस्य था। खबर है कि देर शाम कोर्ट ने तीनों अपराधियों को 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने का निर्देश दिया है।

तीनों अभियुक्तों के चेहरे सफेद कपड़े से पूरी तरह से ढके हुए थे, जिन्हें यूपी पुलिस ने बेहद मुस्तैदी के साथ तत्काल जीप में बिठाकर गंतव्य के लिए रवाना कर दिया था। पुलिस किस प्रकार इन अपराधियों तक पहुंचने में कामयाब रही, इस बारे में पूरा घटनाक्रम सार्वजनिक संज्ञान में नहीं आ सका है। इसे इतने गोपनीय तरीके से पिछले 2 महीनों तक क्यों छिपा कर रखा गया था, इसको लेकर भी तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं।

लेकिन स्थानीय पेपरों में कुछ रिपोर्ट ज़रूर सामने आयी हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म से पहले एक नवंबर की रात आरोपी कुणाल पांडेय अपनी बाइक से दोस्तों अभिषेक चौहान उर्फ आनंद और सक्षम पटेल के साथ चेतगंज की नक्कटैया मेला देखने गया था। पुलिस की पूछताछ में तीनों ने बताया कि उन्होंने शराब पी रखी थी। नक्कटैया देखने के बाद तीनों ने बीएचयू में सिंह द्वार से प्रवेश किया और आईआईटी की ओर गए।

तीनों ने सुनसान जगह देख कर बीटेक की छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया। फिर हैदराबाद गेट से निकलकर बाईपास की ओर चले गए। लगभग आधा घंटे तक तीनों बाईपास की ओर रहे। इसके बाद सक्षम और अभिषेक को कुणाल ने उनके घर पर छोड़ा। रात 2.30 बजे के बाद कुणाल अपने घर पहुंचा था।

पेपर में आगे लिखा गया है कि पुलिस की पूछताछ में तीनों आरोपियों ने बताया कि एक नवंबर की रात वारदात को उन्होंने अंजाम दिया। दो और तीन नवंबर को उन्होंने देखा कि घटना के विरोध में आईआईटी बीएचयू के छात्रों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। इस पर तीनों डर गए। और शहर छोड़कर मध्य प्रदेश चले गए। मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव प्रचार में लग गए। मतदान से पहले तीनों शहर वापस आए और गुपचुप तरीके से रहने लगे। वे आश्वस्त थे कि अब गिरफ्तार नहीं होंगे।

पुलिस के मुताबिक आरोपी कुणाल पांडेय शादीशुदा और भाजपा पार्षद का दामाद भी है। कुणाल के मुहल्ले के लोगों के अनुसार वह बीटेक पास है। लोगों ने कहा कि यह लोग रात में सड़क पर दिखाई देने वाली लड़कियों पर छींटाकशी करते हुए गुजरते थे। अक्सर बीएचयू परिसर में जाते थे। तीनों ने पुलिस से कहा कि उन्होंने यह नहीं सोचा था कि आईआईटी बीएचयू की छात्रा का मामला इतना तूल पकड़ेगा। तीनों को लगा था कि छात्रा डर कर किसी से कुछ नहीं बताएगी चुपचाप हॉस्टल चली जाएगी।

तीनों की पहचान करने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। 

पुलिस के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक लगभग 300 से ज्यादा सीसी कैमरों की फुटेज खंगालने के बाद तीनों आरोपी चार नवंबर को ही चिन्हित कर लिए गए थे। तीनों आरोपी चेतगंज इलाके के सीसीटीवी फुटेज से चिन्हित हुए हैं। दरअसल तीनों वारदात को अंजाम देने के बाद हैदराबाद गेट से बाईपास की ओर भागे थे। उधर मार्ग प्रकाश की खास व्यवस्था न होने के चलते पुलिस को कोई खास सफलता नहीं मिली।

फिर पुलिस एक नवंबर की रात एक बजे के बाद सिंह द्वार से बीएचयू में प्रवेश करने वाले दोपहिया वाहन सवार तीन युवकों की फुटेज खंगालना शुरू किया। पुलिस को सिंगरा स्थित सिटी कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की मदद से एक बुलेट बाइक सवार तीन युवकों की धुंधली फुटेज मिली। इसी फुटेज के सहारे पुलिस लंका की ओर बढ़ते हुए चेतगंज तक पहुंची थी। चेतगंज इलाके में तीनों आरोपियों की साफ फुटेज मिली। पीड़िता को फुटेज दिखायी गयी, तो उसने तीनों को पहचान लिया।

आमतौर पर ऐसे अपराधों पर आम लोगों का गुस्सा सार्वजनिक रूप से फूटते देखा जाता रहा है। लेकिन 2 महीने तक गुपचुप तरीके से पुलिसिया कार्रवाई धीमी गति से चलती रही, और अचानक से 5 राज्यों के चुनाव और मंत्रिमंडल की ताजपोशी के बाद गुपचुप तरीके से गिरफ्तारी बताती है कि इन अपराधियों की करतूत के बारे में प्रशासन पहले से वाकिफ था, लेकिन राजनीतिक मजबूरी के चलते ऐसे मौके की तलाश में था जब सारा देश नववर्ष के स्वागत की तैयारियों में व्यस्त था। आज 1 जनवरी है और आज भी सोशल मीडिया सहित देश जश्न में डूबा हुआ है, और लोगों को मीडिया या अखबारों में देश और दुनिया भर में नए साल के जश्न की तस्वीरों से सरोबार तस्वीरों में ही रूचि रहती है।

सामूहिक दुष्कर्म की यह घटना 1 नवंबर 2023 की रात को तब हुई थी जब आईआईटी की एक छात्रा अपने एक मित्र के साथ हॉस्टल से कैंपस निकली थी। इसी दौरान बाइक पर सवार तीन आरोपियों ने बंदूक की नोक पर पीड़िता के कपड़े उतरवाए और सामूहिक दुष्कर्म को अंजाम दिया था। इस घटना का वीडियो भी बनाया गया था। लेकिन शुरू-शुरू में सिर्फ छात्रा को निर्वस्त्र करने और मोलेस्ट करने की ही बात कही गई थी।

पुलिस ने इस आधार पर धारा 354 के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज की थी। उस दौरान समूचा बीएचयू सड़कों पर आ गया था, और तब बनारस जैसे पौराणिक एवं आध्यात्मिक नगरी में विश्वविद्यालय परिसर के भीतर इस प्रकार की घटना को लेकर पूरा पूर्वांचल आंदोलित था। पूरे घटनाक्रम को तथाकथित समाज देर रात महिलाओं के बाहर घूमने की आजादी से जोड़ दिया, और महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर महिलाओं के लिए एक और बाउंड्री बनाने पर जोर देने लगा। शक की सुई विश्वविद्यालय में असामाजिक छात्रों की ओर मोड़ दी गई और आईआईटी बनाम शेष विश्वविद्यालय की विभाजक रेखा भी कहीं न कहीं खिंच गई। 

लेकिन अब दो महीने बाद जब असली अपराधियों के नाम उजागर हो रहे हैं, तो देश का अधिकांश मीडिया, प्रभु वर्ग मामले को भरसक दबाने में लगा हुआ है। घटना के काफी दिन बाद सामूहिक दुष्कर्म की धारा जोड़ी गई। दैनिक भास्कर अखबार के अनुसार, भाजपा के वाराणसी जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा भी मानते हैं कि तीनों युवक भाजपा के आईटी सेल से जुड़े हैं। उनका कहना है कि यदि ये लोग दोषी हैं तो इन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए। लेकिन सवाल उठता है कि इस घटना के दौरान सीसीटीवी में तो इनके चेहरे पहले दिन से ही स्पष्ट थे, फिर कार्रवाई करने में इतनी देरी क्यों हुई? 

आज महिला कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष नेट्टा डिसूजा ने प्रेस कांफ्रेंस कर सीधे पीएम मोदी को कठघरे में रखते हुए कहा है, “पीएम मोदी, आपके ही संसदीय क्षेत्र बनारस में एक छात्रा के साथ गैंगरेप हुआ और आरोपी BJP IT सेल के पदाधिकारी निकले। इन्हें गिरफ्तार करने में 60 दिन का समय लग गया, क्योंकि ये बलात्कारी मध्य प्रदेश चुनाव में BJP का प्रचार कर रहे थे। अगर BHU के छात्रों ने इस घटना को नहीं उठाया होता तो बहुत सारे दूसरे केस की तरह यह भी दबा दिया जाता।”

विपक्ष की ओर से इस मामले पर अब बड़ी पहल को देखने मिल रही है। सोशल मीडिया पर इन आरोपियों की तस्वीरें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा सहित स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी के साथ वायरल हो रही हैं। 

आरोप तो यह भी लग रहा है कि आईआईटी-बीएचयू रेप केस के तीनों आरोपी बनारस से तीन दिन बाद मध्यप्रदेश भाग गये थे। छात्रा की इज्जत लूटने वाले यही लोग बाद में मध्य प्रदेश की लाडली बहना स्कीम का प्रचार कर भाजपा के लिए चुनाव प्रचार में हिस्सा ले रहे थे। जबकि तथ्य यह है कि पीड़िता ने अपराध के पांचवें दिन ही सीसीटीवी फुटेज में अपराधियों की पहचान कर ली थी।

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी खबर में बताया है कि सक्षम पटेल (20) ने हाई स्कूल, कुणाल पांडे (28) बीटेक ग्रेजुएट कर एक दुकान चलाता है, जबकि 22 वर्षीय अभिषेक चौहान जो कि 10वीं फेल है, एक साड़ी की दुकान चलाता है। एक्सप्रेस के अनुसार इनमें से दो लोग भाजपा के आईटी सेल से जुड़े हैं। एक्सप्रेस ने जब उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और राज्य भाजपा आईटी सेल चीफ कामेश्वर नाथ मिश्र से इस बारे में जानना चाह तो उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। 

एक्सप्रेस के अनुसार पुलिस ने कहा है कि उन्होंने अपने अपराध को स्वीकार लिया है। 

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और विपक्षी नेता अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया x पर पोस्ट लिखा है, “ये हैं भाजपा के दिग्गज नेताओं की छत्रछाया में सरेआम पनपते और घूमते भाजपाइयों की वो नयी फसल, जिनकी ‘तथाकथित ज़ीरो टॉलरेंस सरकार’ में दिखावटी तलाश जारी थी लेकिन पुख़्ता सबूतों और जनता के बीच बढ़ते गुस्से के दबाव में भाजपा सरकार को आख़िरकार इन दुष्कर्मियों को गिरफ़्तार करना ही पड़ा, ये वही भाजपाई हैं जिन्होंने बीएचयू की एक छात्रा के साथ अभद्रता की सभी सीमाएँ तोड़ दी थीं।

देशभर की एक-एक नारी देख रही है कि भाजपा नारी-सम्मान के साथ कैसा मनमाना खिलवाड़ कर रही है और महिला अत्याचार, उत्पीड़न और बलात्कार के आरोपियों को बचा रही है। आगामी चुनाव में महिलाएँ भाजपा को एक भी वोट नहीं देंगी। महिलाएँ ही भाजपा की हार का कारण बनेंगी। भाजपा का सच आज जनता के सामने है। जनता आगामी चुनाव में भाजपा को हराकर अपना फ़ैसला भी देगी और महिलाओं के साथ इंसाफ़ करेगी। #नहीं_चाहिए_भाजपा”  

इस पूरे घटनाक्रम से एक बड़ा सवाल पैदा हो रहा है। विश्वविद्यालय परिसर के भीतर इस वीभत्स घटना को अंजाम देने की हिम्मत आखिर इन अपराधियों को कैसे हो गई? क्या सत्ता से मिल रहा संरक्षण इसकी वजह नहीं है? विश्वविद्यालयों के भीतर इस प्रकार की वारदात शायद ही कहीं से सुनने को मिला करती थी। क्या बनारस जैसे विश्व प्रसिद्ध शहर में सत्तारूढ़ पार्टी के मीडिया सेल के पदाधिकारी इस कदर हैवानियत की सारी हदें पार करने की प्रेरणा समाज से पा रहे थे, या सत्ता से सीधे वरदहस्त पाने के कारण उनके भीतर यह दुस्साहस करने की ताकत मिली?

भाजपा और मोदी सरकार के ‘बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ’ नारे को गांव-गांव तक प्रचारित करने का काम भी आईटी सेल के प्रमुख कार्यभारों में से एक रहा है। जब इसके कर्ता-धर्ता ऐसे धतकर्म में शामिल हों, तो एक बार फिर से इस नारे को लेकर आम लोगों में संदेह उठाना स्वाभाविक है। लेकिन क्या देश का मीडिया इस मुद्दे को सिरे चढ़ाएगा, या हर बार की तरह एक बार फिर से सरकार की छवि को बचाने के लिए किसी एक सतही मुद्दे पर नकली चीख-पुकार मचाकर देश की बेटियों के साथ हो रहे अत्याचारों को दबाने के लिए अपनी शैतानी ताकत का इस्तेमाल करने से बाज नहीं आयेगा?  

(रविंद्र सिंह पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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