पाकिस्तान का दूसरा बांग्लादेश बनता बलूचिस्तान!

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क्या पाकिस्तान एक बार फिर से खंडित होने के कगार पर है? क्या बांग्लादेश की राह पर अब बलूचिस्तान चल पड़ा है? क्या बलूचिस्तान भी अब अलग देश बनकर रहेगा और क्या बलूचिस्तान को पाकिस्तान चीन के हवाले करके चीन के भारी कर्ज से मुक्ति चाहता है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो बता रहे हैं कि वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान अपने ही खेल से बर्बाद हो जाएगा। 

आगे बढ़ें इससे पहले पाकिस्तान के क्वेटा शहर में आपको ले चलते हैं। क्वेटा, पाकिस्तान का आधुनिक शहर तो है ही यह पाकिस्तान का बड़ा डिफेंस सेंटर भी है। यहां कई बड़े स्कूल और कॉलेज भी हैं और लोगों की जिंदगी भी यहां बाकी पाकिस्तान से कुछ अहलदा है। जिधर देखो उधर भीड़ ही भीड़ और कहीं गरीबी का प्रदर्शन तो कही अमीरी की भव्यता। लेकिन क्वेटा की यह झलक आखिरकार बलूचिस्तान अजर के लोगों को क्यों परेशान किये हुए है?

पिछले काफी समय से क्वेटा में बड़ा प्रदर्शन चल रहा है। हर रोज सैकड़ों की तादाद में लोग इकट्ठे होते हैं और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हैं। प्रदर्शन करने वाले लोग कोई अजनबी नहीं हैं। वे पाकिस्तानी ही हैं और बलूचिस्तान के रहने वाले हैं। वहीं बलूचिस्तान जो पाकिस्तान का सबसे बड़ा इलाका तो है ही सबसे धनी इलाका भी है और खनिज सम्पदा के मामले में यह कई देशों को भी मात देता है।

बलूचिस्तानी लोग हर दिन क्वेटा में अपने लापता और जेल में बंद लोगों की रिहाई की मांग कर रहे हैं और सरकार को कोस भी रहे हैं। इन प्रदर्शनकारियों में महिलाएं भी हैं और बच्चे भी। वर्षों से ये प्रदर्शन चल रहे हैं। कई सरकार आयीं और गयीं लेकिन बलूच लोगों की आवाज को कोई सुनता ही नहीं। सरकार को कोई मतलब है नहीं और नागरिक समाज अपनी सामाजिक, आर्थिक परेशानी से ही मरते-मिटते जा रहे हैं। 

बता दें कि बलूचिस्तान से हजारों युवा और बुजुर्ग लोग सालों से लापता हैं। हजारों लोग जेल में बंद हैं। किसी महिला का बेटा वर्षों से लापता या फिर जेल की सलाखों में है तो किसी का भाई का सालों से कुछ पता नहीं चल रहा है। प्रदर्शन में कई बच्चे भी हैं जो अपने परिजनों की तस्वीर लेकर नारे लगाते दिख जाते हैं। उनके हाथों में उनके परिजनों की तस्वीर है। उन्हें पता है कि उनके परिजन पाकिस्तान की जेलों में बंद हैं और जीवित भी हैं लेकिन उनकी आवाज कहीं सुनाई नहीं पड़ती। 

बलूचिस्तान में बार-बार सेना का दमन होता है और बार-बार लोगों की बड़ी संख्या में हत्या कर दी जाती है। जब सेना का मन भर आता है तो मारने की जगह लोगों को गिरफ्तार करती है अजर उन्हें जेलों में बंद कर देती है। लेकिन खेल इतना भर ही नहीं है। महिलाओं के साथ पिछले कुछ सालों में वहां की सेना ने जो बर्बरता की है उसकी तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

अब तक कितनी महिलाएं बर्बाद हो चुकी हैं और न जाने कितनी महिलाएं और पुरुष यहां से विस्थापित हो चुके हैं, उसकी दास्तान कुछ अलग ही है। दुनिया के किसी भी रिकॉर्ड में आपको यह जानकारी नहीं मिलेगी कि आखिर कितने बलूचों की अब तक हत्या की गई है और कितने लोग लापता हैं। कितने लोग विस्थापित हैं?

पानी और बिजली बलूचिस्तान में न के बराबर है। कल्पना की जा सकती है कि इस आधुनिक समाज में भी बलूच लोग कैसे रहते हैं? कैसे उनकी दिनचर्या चलती है और कैसे उनके बच्चे भविष्य का निर्माण करते होंगे ? जिनके पास धन है उनके बच्चे वहां से बाहर जा चुके हैं। यह नजारा ठीक वैसा ही है जैसा कि भारत के पहाड़ी इलाके की है। पहाड़ के ऊपर आप जाइये तो गांव तो मिलेंगे लेकिन गांव में रहने वाले लोग गिनती के ही मिलेंगे। बलूच आज अपनी बेबसी पर आंसू बहा रहा है। 

बीते मंगलवार को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के लोगों ने क्वेटा से पेशावर जा रही ट्रेन का अपहरण कर लिया। इस खबर के सामने आने के बाद पाकिस्तान की मुश्किलें तो बढ़ ही गईं, पूरी दुनिया में भी सनसनी फ़ैल गई। किसी ने आजतक नहीं सुना था कि किसी ट्रेन का भी अपहरण हो सकता है। लेकिन बीएलए ने ऐसा करके दिखा दिया।

इस ट्रेन में पांच सौ से ज्यादा यात्री सवार थे। इसमें सेना के भी कई जवान थे जो छुट्टियों में अपने घर जा रहे थे। जैसे ही ट्रेन जिसका नाम जफ़र एक्सप्रेस है, एक सुरंग के पास पहुंची घात लगाए बीएलए के लड़ाकों ने उस पर हमला कर दिया। खूब गोलीबारी हुई। कई लोग मारे भी गए और फिर करीब डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया गया। 

पाकिस्तान के शेष भाग में अफ़रातफरी मच गयी। घरों में रुदाली शुरू हो गयी। सरकार ने एक्शन लिया लेकिन सब बेकार ही गया। बीएलए ने पाकिस्तान की शरीफ सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर 48 घंटे के भीतर जेल में बंद बलीची युवाओं को नहीं छोड़ा गया तो सभी बंधकों को मार दिया जाएगा।

चेतावनी यह भी दी गई कि अगर किसी तरह की सेना की कार्रवाई की गई तब भी बंधक मारे जायेंगे। यह बात और है कि पाकिस्तानी सेना ने बाद में कार्रवाई की और सभी बंधकों को छुड़ाने का दावा भी किया। यह बात और है कि इस बात की अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है कि जेलों में बंद लोगों की रिहाई के बारे में पाक सरकार ने क्या कुछ कहा है।

बता दें कि भारत-पाकिस्तान की आजादी और फिर बंटवारे के समय से ही बलूचिस्तान खुद को स्वतंत्र देश के रूप में स्थापित करने के पक्ष में रहा है लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। लेकिन यहां के लोग तब से ही आजादी की मांग कर रहे हैं और पाकिस्तान को अपना सबसे बड़ा शत्रु भी मानते रहे हैं। बलूचिस्तान पूरी तरह से पाकिस्तान के खिलाफ है और उसके साथ एक पल भी रहना नहीं चाहता। इसी स्वतंत्रता की लड़ाई वह वर्षों से लड़ रहा है और इस लड़ाई में वहां के युवा मरते जा रहे हैं। 

लेकिन अब बलूचिस्तान की समस्या और भी बढ़ गई है। इसी इलाके से चीन का मेगा प्रोजेक्ट सीपिक गुजर रहा है। यह पांच सौ अरब डॉलर का प्रोजेक्ट है और बलूच लोगों को लग रहा है कि इस प्रोजेक्ट के बहाने चीन उस पर कब्ज़ा करने की फिराक में है। इसमें सच्चाई भी है। बलूचिस्तान का पूरा इलाका खनिजों से भरा हुआ है। 

चीन की इस विशाल खनिज सम्पदा पर नजर है और पाकिस्तान भी चाहता है कि उसके लिए सिरदर्द बना यह इलाका अगर चीन को दे दिया जाए तो वह चीन के कर्ज से भी मुक्त हो सकता है और अपनी बर्बादी से वह बच सकता है। पाकिस्तान पर 124 अरब डॉलर से ज्यादा का विदेशी कर्ज है और इस कर्ज का बड़ा हिस्सा चीन का ही है। यही वजह है कि पाकिस्तान भी इस इलाके से मुक्त होने की राह खोज रहा है। 

एक बात और बता दें कि पाकिस्तान सरकार भी नहीं चाहती कि बलूच लोग इस इलाके में रहें। इसके दो कारण भी हैं। पहली बात तो यह है कि बलूचिस्तान की भौगोलिक स्थिति जो इसे दुनिया के सबसे अमीर इलाकों में चिन्हित करती है। याद रहे यह इलाका पाकिस्तान के दक्षिण पश्चिम में है जिसके क्षेत्रफल में ईरान और अफगानिस्तान की जमीन भी शामिल है।

बलूचिस्तान 347190 वर्ग किलोमीटर में फैला इलाका है। इस हिसाब से पाकिस्तान का यह सबसे बड़ा इलाका है, प्रान्त है। देश का 44 फीसदी भूभाग यहीं है। जबकि इतने बड़े क्षेत्र में पाक की कुल आबादी के सिर्फ साढ़े तीन फीसदी लोग ही रहते हैं। 

दूसरी बात यह है कि बलूचिस्तान की जमीन के नीचे तांबा, सोना, कोयला और यूरेनियम का प्रचुर भंडार है। जाहिर है यह पाकिस्तान का सबसे अमीर राज्य है लेकिन यहां के लोग सबसे गरीब हैं। यहां का रेको दिक् खदान दुनिया का सबसे बड़ा सोना और तांबा का खादान माना जाता है। जानकार कहते हैं कि 590 करोड़ टन खनिज है। इस हिसाब से यहां 40 करोड़ टन सोना है। 

बलूचिस्तान का सच यही है कि पिछले दो दशक में यहां के सात हजार से ज्यादा लोग लापता हैं। कितने मरे और कितने विस्थापित हुए इसका सही आंकड़ा किसी के पास नहीं है। लेकिन एक सच यह है कि यहां के हर घर में मातम और रुदाली है। यही वजह है कि अब यहां के लोग अपनी सेना तैयार कर पाकिस्तान से लड़ते नजर आते हैं। इन्हीं सेनाओं में से एक है बीएलए।

बीएलए के पास कितने आधुनिक हथियार हैं इसकी जानकारी भी किसी के पास नहीं है लेकिन पाक की सेना बीएलए से काफी डरती है और उसका सामना तक नहीं करना चाहती। कहते हैं कि बीएलए सेना की संख्या 6 हजार से भी ज्यादा है और ये काफी ट्रेंड भी हैं। इसकी स्थापना तो 1970 में हुई थी लेकिन सन 2000 के बाद यह ज्यादा सक्रिय हो गई। पाकिस्तान इस सेना को आतंकी मानती है जबकि बलूचिस्तान के लोग इसे मुक्ति सेना कहते हैं। पाकिस्तान से मुक्त करने वाली सेना। 

अब इस बीएलए का अंतिम पड़ाव क्या होता है यह तो भविष्य की बात है लेकिन एक बात जो समझ में आ रही है वह यह है कि ठीक बांग्लादेश की तरह ही यह बलूचिस्तान भी पाकिस्तान और वहां की सेना के खिलाफ है और आजादी की लड़ाई लड़ रहा है।

भारत पाकिस्तान और बलूचों की इस लड़ाई को गंभीरता से देख रहा है। जो पाकिस्तान दुनिया में आतंक का पर्याय बना हुआ था आज वही आतंक से कांपता नजर आ रहा है। पाकिस्तान का यह डर बलूच को हौसला दे रहा है और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी कर रहा है। 

(अखिलेश अखिल वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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