Saturday, April 20, 2024

क्या वास्तव में भाजपा में शीर्ष पर सत्ता संघर्ष चल रहा है?

उत्तर प्रदेश में नये चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति को लेकर स्वामी चिन्मयानंद के मुखर विरोध की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हुई सीबीआई रेड के तार दिल्ली दरबार से जुड़ने की खबरें पब्लिक डोमेन में आने लगी हैं। आखिर भाजपा में यह क्या चल रहा है। क्या आपस में ही एक दूसरे को निपटाने की कुटिल चालें चली जा रही हैं। क्या संघ केन्द्रीय नेतृत्त्व पर नकेल कसने की कवायद में जुटा है, जिसके जवाब में अपने ही लोगों पर सीबीआई जैसी केन्द्रीय जाँच एजेंसी लगा दी गयी है। इतना तो तय है कि यूपी सहित 5 राज्यों के चुनाव परिणाम भाजपा के अनुकूल नहीं रहे तो शीर्ष पर बैठे लोगों की विदाई निश्चित है।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हुई सीबीआई रेड के तार दिल्ली दरबार से जुड़े हैं। ऐसा दावा दैनिक भास्कर ने किया है। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि एक तेज तर्रार केंद्रीय मंत्री को काबू में करने के लिए यह कार्रवाई की गई है। यही नहीं भाजपा में चल रहे सत्ता संघर्ष में यह मंत्री इस समय पीएम पद का सबसे मजबूत उम्मीदवार है क्योंकि इसके संघ से अत्यंत घनिष्ठ रिश्ते हैं और ब्राह्मण होने के नाते यह संघ के लिए अनुकूल भी है।

पिछले कुछ सालों से केंद्रीय मंत्री के बयानों से कई बार केंद्र सरकार के लिए असहज जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। सरकार को जवाब देते नहीं बनता, जबकि केंद्रीय मंत्री के बयानों को विपक्ष की ओर से बड़ा मुद्दा भी बनाया जाता है। ऐसे में 5 राज्यों के चुनाव से ठीक पहले मंत्री को काबू में करने के लिए उनके और मध्य प्रदेश के सीएम के करीबी ठेकेदार पर एक्शन के जरिए सियासी संदेश दिया गया है।

सीबीआई ने इस मामले में शुक्रवार को भोपाल, गुरुग्राम, बेंगलुरु सहित कई जगहों पर भी छापेमारी की, जिसमें 4 करोड़ कैश मिलने की खबर सामने आई है। यह मामला दिलीप बिल्डकॉन से जुड़ा है और जांच एजेंसी ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के अधिकारियों को 20 लाख की रिश्वत देने के मामले में इस कार्रवाई को आगे बढ़ाया है। राजनीतिक गलियारों में माना जाता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिलीप बिल्डकॉन मालिकों के करीबी हैं। इसी कारण इसकी भनक न तो भोपाल पुलिस और न ही सीबीआई के भोपाल ऑफिस को लगी।

यह कंपनी सड़क, फ्लाईओवर बनाने के लिए एनएचएआई से बड़े ठेके लेती है। कंपनी का 10 हजार करोड़ का सलाना टर्न ओवर 2019-20 में था। यह महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सहित देश के अलग-अलग राज्यों में काम कर रही है। मध्य प्रदेश में यही कंपनी मेट्रो बनाने का भी काम कर रही है।

इस मामले में जिस केंद्रीय मंत्री का नाम सामने आ रहा है, वे अक्सर अपनी ही सरकार को निशाने पर लेते रहे हैं। ये केंद्रीय मंत्री सरकार से नाराज भी चल रहे हैं। इस नाराजगी के पीछे भी कई कारण छुपे हैं। पहली नाराजगी तब सामने आयी जब साल 2017 में सदन में कांग्रेस के बड़े नेता ने मंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा था कि ये कैसा स्टार्टअप इंडिया है, जिसमें एक मंत्री अपने ही स्टाफ की कंपनी को पैसा दिलवा रहा है। उस वक्त इस मामले ने काफी तूल पकड़ा। 2019 के लोकसभा चुनाव इनकी पार्टी से दूरियां भी बढ़ गई थीं।

दिलीप बिल्डकॉन कंपनी को वर्ष 1993-94 में पहला बड़ा प्रोजेक्ट मिला था। यह चार करोड़ रुपए का था। इसके बाद कंपनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिर 20 करोड़ और 80 करोड़ के प्रोजेक्ट किए। 2007 के पहले 120 करोड़ रुपए तक के बड़े प्रोजेक्ट किए। वर्ष 2007 से 2010 के बीच सबसे बड़ा जंप मिला। कंपनी को अहमदाबाद-गोधरा का एक हजार करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट मिला। कंपनी का महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में कारोबार है। दिलीप बिल्डकॉन का कंस्ट्रक्शन का काम है। यह कंपनी देश भर में हाईवे और रेल प्रोजेक्ट से जुड़े ठेके लेती है। भोपाल रेल मेट्रो का काम भी यही कंपनी कर रही है। दिलीप सूर्यवंशी ने 1988 में दिलीप बिल्डकॉन के नाम से कंपनी बनाई।

पहले तो उन्होंने छोटे रिहायशी प्रोजेक्ट, सरकारी इमारतों और पेट्रोल पंपों का निर्माण किया। इसके बाद 1995 में 21 वर्षीय इंजीनियर देवेंद्र जैन को काम पर रखा। जैन अब उनकी कंपनी में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं। 2000 के दशक की शुरुआत में NDA सरकार ने सड़क निर्माण के टेंडर निकालने शुरू किए। तब उन्होंने तय किया कि उनकी कंपनी सड़क निर्माण भी करेगी।

सीबीआई ने एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी अकील अहमद, कंपनी के महाप्रबंधक रत्नाकरण साजीलाल, कार्यकारी निदेशक देवेंद्र जैन, सुनील कुमार वर्मा सहित एक निजी कंपनी के स्टाफ अनुज गुप्ता को गिरफ्तार किया है।

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। वह मोदी सरकार के सबसे अच्छे काम करने वाले मंत्रियों में शुमार हैं। लेकिन इस बार उनके निशाने पर सरकारी व्यवस्था है। उनका कहना है कि देश में अधिकांश परियोजनाओं में देरी का सबसे बड़ा कारण सरकारी सिस्टम है। सरकारी सिस्टम में फैसला न लेना और इसमें देरी करना एक बड़ी समस्या है। गडकरी ने 11 दिसम्बर  2021 को एससीएल इंडिया 2021 कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि वह किसी के खिलाफ किसी तरह का आरोप नहीं लगा रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि सिस्टम के कारण अधिकांश प्रोजेक्ट अटके हुए हैं। सरकारी सिस्टम में फैसला नहीं लिया जाता है या फिर निर्णय लेने में देरी की जाती है। इस कारण अधिकांश परियोजनाएं अटक जाती हैं और इन्हें पूरा करने में देरी होती है।

गडकरी ने जोर देकर कहा कि आज मोदी जी और योगी जी के काम पर बात होनी चाहिए। गडकरी ने कहा कि किसी धर्म के प्रति हमारे मन में द्वेष नहीं है, हम यही कहते हैं कि कुछ लोगों की उपासना पद्धति अलग है, जिसको मस्जिद में जाना है वो 10 बार मस्जिद में जाए जिसको गुरुद्वारे में जाना है वो गुरुद्वारे में जाए, जिसको चर्च में जाना है चर्च में जाए जिसको मंदिर में जाना है मंदिर में जाए, फ्रीडम ऑफ स्पीच भी है और फ्रीडम ऑफ रिलीजन भी है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में 8 फरवरी 21 को चुटकी लेते हुए कहा था कि देश में ‘आंदोलनजीवी’ नाम की एक नई जमात पैदा हो गई है जो अलग-अलग आंदोलन में पहुंच जाती है और इसके बिना जी नहीं सकती है। प्रधानमंत्री के इस बयान पर लोगों ने खूब मजे लिए, वहीं कुछ ने इसकी आलोचना भी की लेकिन मोदी के इस बयान के खिलाफ उनकी ही सरकार के मंत्री नितिन गडकरी का बयान सामने आ गया था।

सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो में नितिन गडकरी का कहना था कि प्रधानमंत्री जो बोल रहे हैं वो लोकतंत्र के खिलाफ है और भ्रष्ट नेता/सरकार के खिलाफ आंदोलन करना संवैधानिक अधिकार है। गडकरी ने यहाँ तक कहा था कि आंदोलन करने का अधिकार प्रधानमंत्री ने देश को नहीं दिया बल्कि संविधान ने दिया है। इसी तरह वीडियो में गडकरी आंदोलन करने वालों का समर्थन करते और प्रधानमंत्री पर लगातार निशाना साधते हुए सुने जा सकते हैं। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि पीएम मोदी के ‘आंदोलनजीवी’ वाले बयान का नितिन गडकरी ने भी विरोध किया था। हालाँकि बाद में कहा गया कि वायरल वीडियो काट छांट के बनाया गया था।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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