आन्ध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जेके माहेश्वरी को सिक्किम हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की कॉलेजियम की सिफारिश पर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस राकेश कुमार ने सवाल उठाया है और कहा है की क्या ऐसा आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को उपकृत करने के लिए किया गया है, जिनके खिलाफ सीबीआई कोर्ट में आय से अधिक सम्पत्ति के तीन मामले विचाराधीन हैं।
जाते जाते जस्टिस राकेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के कामकाज में पारदर्शिता का आह्वान किया है। आज सेवानिवृत्त हो रहे जस्टिस राकेश कुमार ने आन्ध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जेके माहेश्वरी को सिक्किम हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की कॉलेजियम की सिफारिश के मद्देनजर ऐसा कहा है। केंद्र सरकार ने नए साल की पूर्व संध्या पर, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जेके माहेश्वरी को सिक्किम हाईकोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया, जबकि सिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त करने की अधिसूचना जारी कर दिया है।
जस्टिस राकेश कुमार ने बुधवार को कहा कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के हालिया स्थानांतरण से तीन राजधानियों के मामलों में और सीबीआई के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ सीबीआई जाँच के लंबित मामले में देरी होगी और उन्हें अनुचित लाभ मिलेगा।
जस्टिस राकेश कुमार ने यह तीखी टिप्पणी आन्ध्र सरकार द्वारा गुंटूर और विशाखापत्तनम जिलों में सरकारी भूमि की बिक्री से जुड़े मामले से खुद को अलग करने के लिए दिए गए एक आवेदन को खारिज करते हुए की ।
एक अभूतपूर्व कदम में, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने, 6 अक्तूबर को, भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे को लिखा था कि राज्य उच्च न्यायालय को उनकी लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को “अस्थिर करने और गिराने” के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
जस्टिस राकेश कुमार ने कहा कि आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय सत्तासीनों के हमले के शिकार हैं। जस्टिस राकेश कुमार ने कहा कि हमें इस बारे में जानकारी नहीं है कि मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के इस तरह के पत्र को लेकर चीफ जस्टिस एसए बोबडे अवमानना की कार्रवाई कर रहे हैं या नहीं। लेकिन हकीक़त है कि 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम द्वारा मुख्य न्यायाधीशों के स्थानांतरण / नियुक्ति के लिए सिफारिश की गई है, जिसमें आंध्र उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का सिक्किम उच्च न्यायालय में स्थानांतरण और तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का उत्तराखंड उच्च न्यायालय में स्थानांतरण किया गया है ।
भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजने के इस कृत्य में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री को अंतिम राहत मिलेगी या नहीं यह तो नहीं मालूम लेकिन हकीकत में इन तबादलों से वर्तमान समय में मुख्यमंत्री रेड्डी को अनुचित लाभ मिला है ।
लोग इस पर आक्षेप लगा सकते हैं कि मुख्यमंत्री रेड्डी के तथाकथित पत्र के बाद, दो मुख्य न्यायाधीशों, अर्थात्, तेलंगाना राज्य के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और एपी के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को स्थानांतरित कर दिया गया है।
इन तबादलों से स्वाभाविक रूप से,मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी और अन्य के खिलाफ हैदराबाद में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के अदालत में लम्बित मामलों विलम्ब हो सकता है में बाधा आ सकती है और रिट याचिका(सिविल) 699 / 2016 के मानिटरिंग सम्बंधी आदेशों के अनुपालन में बाधा आ सकती है।
जस्टिस राकेश कुमार ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट कॉलेजियम के आदेशों में पारदर्शिता होनी चाहिए। जस्टिस राकेश कुमार ने कहा कि मैं तेलंगाना राज्य के लिए आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों के स्थानांतरण पर कोई सवाल नहीं उठा रहा हूं, लेकिन इसी के साथ मैं यह अवलोकन करने के लिए विवश हूं कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश या उसके मुख्य न्यायाधीश के तबादलों से यह ध्वनि निकालनी चाहिए कि ऐसा पारदर्शिता और न्याय प्रशासन को बेहतर या उत्थान के लिए किया गया है । आखिरकार, वे सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सदस्यों के संवैधानिक पद भी संभाल रहे हैं।
मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की कड़ी आलोचना करते हुए जस्टिस राकेश कुमार ने कहा कि वह अपने खिलाफ मामलों के बारे में जानने के लिए गूगल पर गए। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के पत्र के प्रकाशन तक, मुझे उनके बारे में अधिक जानकारी नहीं थी। लेकिन, इसके तुरंत बाद, मैं उसके बारे में जानने के लिए उत्सुक हो गया। इसके बाद, मुझे बताया गया कि यदि मैं गूगल साइट पर जाऊं और केवल “कैदी नंबर 6093” टाइप करूं, तो मुझे जानकारी मिल सकती है। तदनुसार, मैंने वही काम किया और उसके बाद मुझे बहुत परेशान करने वाली जानकारी मिली।
जस्टिस राकेश कुमार ने सीएम जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ सीबीआई के मुकदमों के बारे में अपने आदेश में कई लेख भी संलग्न किए और उनके खिलाफ सभी सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के मामलों का विवरण दिया। सरकार द्वारा मामले से खुद को दूर करने के लिए दायर याचिका का निस्तारण करते हुए जस्टिस कुमार ने कहा कि वर्तमान मामलों में, जिसमें अंतिम सुनवाई शुरू होनी बाकी है, अनावश्यक रूप से निजी पक्ष द्वारा नहीं बल्कि सरकार द्वारा एक याचिका दायर की गई है, जिसमें आंध्र प्रदेश राज्य के एक वरिष्ठ नौकरशाह ने विधिवत रूप से खंडपीठ के एक सदस्य जस्टिस राकेश कुमार के विरुद्ध कुछ अनर्गल आरोप लगाए गये हैं । थोड़ी देर के लिए मैं राज्य के इस तरह के व्यवहार से चकित था, लेकिन उसके तुरंत बाद, मैंने महसूस किया कि जब भारत के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित पत्र को सार्वजनिक करने में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पर कोई कार्रवाई नहीं हुयी तो इससे राज्य के नौकरशाहों का भी मनोबल बहुत बढ़ गया है।
याचिका ख़ारिज करते हुए उन्होंने कहा कि यदि ऐसी याचिकाओं पर विचार किया जाता है, तो यह पार्टी को बेंच को शिकार करने की अनुमति देगा। राज्य द्वारा इस तरह की कार्रवाई की उम्मीद नहीं थी, लेकिन इस राज्य में, जैसा कि मैंने ऊपर की परिस्थितियों के सम्बन्ध में कहा है, सब कुछ संभव हो सकता है। हालाँकि इसके साथ ही यह स्पष्ट करना जरूरी है कि राज्य की ऐसी किसी भी कार्रवाई से न्यायालय भयभीत नहीं हो सकता है।
(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)
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