Thursday, April 18, 2024

पूछ रही हैं, महिला खिलाड़ी क्या देश बृजभूषण सिंह के खिलाफ संघर्ष में उनका साथ देगा?

देश के लिए खेलने वाले खिलाड़ूी देश के गौरव होते हैं। राष्ट्रीय सम्मान और स्वाभिमान के प्रतीक होते हैं। उन पर सबकी निगाहें टिकी होती हैं। ये खिलाड़ी किसी राजनेता से कम मशहूर नहीं होते हैं। बच्चा-बच्चा उन्हें इसी उम्मीद से देखता है कि इस बार वे देश के लिए कौन सा मेडल लेकर आएंगे और देश का सिर गर्व से ऊंचा करेंगे। इन खिलाड़ियों ने कई बार ऐसा किया भी है। लेकिन इस बार देश के लिए खेलने वाली महिला कुश्ती खिलाड़ियों की निगाहें देश पर टिकी हुई हैं कि उनकी लड़ाई में कौन उनका कितना साथ देता है।
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) के करीब 30 पहलवान उन्हीं के कुश्ती संघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं। रविवार 23 अप्रैल से शुरू हुआ ये धरना अब तक जारी है। धरने में देश की तरफ से इंटरनेश्नल लेबल पर खेलने वाले दिग्गज पहलवानों में से बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, आसू मलिक, साक्षी मलिक, सत्यव्रत कादियान, अंतिम पंघाल, रवि दहिया, दीपक पूनिया, संगीता फोगाट, सरिता मोर, सोनम मलिक, महावीर फोगाट, कुलदीप मलिक समेत करीब 30 पहलवान बैठे हैं। इनमें से बजरंग पूनिया टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता हैं। उन्होंने कॉमनवेल्थ 2022 में गोल्ड भी जीता था।

क्यों धरने पर बैठे हैं पहलवान?

ये विवाद तीन महीने पहले उस समय शुरू हुआ जब देश के दिग्गज महिला पहलवानों ने कुश्ती महासंघ अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण के आरोप लगाए। वे इसके विरोध में धरने पर भी बैठे लेकिन इस मामले में सख्त कार्रवाई किए जाने का आश्वासन दे कर उन्हें धरने से हटा दिया गया और जांच के लिए कमेटी बना दी गई, जिस कमेटी को तीन सप्ताह के अंदर रिपोर्ट देनी थी, लेकिन तीन महीने बीत जाने पर भी कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई, न कोई कार्रवाई हुई। जिसके बाद इन पहलवानों के सब्र का बांध टूट गया और रविवार(23 अप्रैल) को एक बार फिर से उन्होंने मोर्चा खोल दिया। पहलवान जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए।
धरने से पहले पहलवानों ने शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि उन्हें अभी तक न्याय नहीं मिला है। 7 महिला पहलवानों ने यौन शोषण को लेकर शिकायत की है, लेकिन मामले में अब तक FIR तक दर्ज नहीं की गई है। पहलवानों का आरोप है कि अब उन्हें धमकियां भी दी जा रही हैं। महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण का मुद्दा उठाते हुए विनेश फोगाट ने कहा था कि ‘मैं खुद यौन उत्पीड़न के 10-20 केसों के बारे में जानती हूं।

उन्होंने कोच और रेफरी पर भी आरोप लगाए। फोगाट ने कहा कि ‘जब सुप्रीकोर्ट हमें निर्देश देगा तब हम सभी सबूत पेश करेंगे। हम पीएम को भी सभी सबूत सौंपने को तैयार हैं।” कई कुश्ती खिलाड़ियों का आरोप है कि एक तरफ वे विदेशों तक में भारत का परचम लहराते हैं लेकिन वहीं दूसरी तरफ अपने ही देश में भारतीय कुश्ती संघ की तानाशाही के आगे उन्हें अपमानित होना पड़ता है।

मामले में अब तक एफआईआर तक दर्ज नहीं

मामले में दिल्ली पुलिस ने ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की है। सभी पहलवान धरने से पहले 21 अप्रैल को सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन गए थे लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। अलबत्ता बाद में पुलिस का बयान आया कि वह मामले की जांच कर रही है। मामले में पुलिस का ठुलमुल रवैया इस ओर इशारा करता है कि कहीं ना कहीं पुलिस पर दबाव है कि वो सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज ना करे।

मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा
एफआईआर दर्ज कराने की मांग को लेकर सभी पहलवान सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। पहलवानों ने कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने सिंह के खिलाफ पहलवानों के आरोप को गंभीर बताया।

कौन हैं ब्रजभूषण शरण सिंह?
बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी के दबंग नेता हैं। वे 2011 से ही कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी हैं। 2019 में वे कुश्ती महासंघ के तीसरी बार अध्यक्ष चुने गए थे। वे उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के रहनेवाले हैं और कैसरगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के सांसद हैं। 1988 में वे बीजेपी से जुड़े और फिर पहली बार 1991 में रिकॉर्ड मतों से लोकसभा के सांसद बने। उसके बाद 2004, 2009, 2014 और 2019 में भी लोकसभा के लिए चुने गए। कुल मिलाकर वे छह बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं।

हालांकि भारतीय जनता पार्टी के साथ मतभेद के चलते उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी और 2009 के लोकसभा चुनाव में वे समाजवादी पार्टी के टिकट पर कैसरगंज से जीते। इसके बाद वे एक बार फिर 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए।

(कुमुद प्रसाद जनचौक की सब एडिटर हैं।)

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