(जानी-मानी पत्रकार व लेखिका प्रिया रमानी ने इंसाफ की लड़ाई लड़ रहीं महिला पहलवानों को पत्र लिखा है। 2018 के आखिरी महीनों में भारत में #MeToo मुहिम तेज थी। तब केंद्रीय मंत्री रहे एमजे अकबर के खिलाफ एक के बाद एक कई महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। यह सिलसिला जिस ट्वीट से शुरू हुआ था, वह प्रिया रमानी का था। प्रिया ने अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे और अकबर को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। जिसके बाद एमजे अकबर ने प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस किया था लेकिन कोर्ट ने प्रिया रमानी को उस केस से बरी कर दिया था। पढ़िए महिला पहलवानों के नाम प्रिया रमानी का पूरा पत्र)
प्रिय विनेश, साक्षी, संगीता
विनेश, मुझे याद है कि आपने पिछले साल यूरोपीय चैंपियन एम्मा माल्मग्रेन को 8-0 से कैसे हराया था। तब तक, आप पहले से ही उस विशिष्ट “पहली भारतीय महिला” क्लब की एक अनुभवी सदस्य थीं। साक्षी, आपने उस क्लब में 23 साल की उम्र में प्रवेश किया था। अब आप दोनों अपने सहयोगियों के साथ भारतीय खेल के इतिहास में एक अलग किस्म के “पहली” खिताब के लिए लड़ रहे हैं।
कभी-कभी ऐसी लड़ाइयों का भार, जो हम उठाते हैं, बहुत अधिक महसूस होता है। हमारी ताकत और सहनशक्ति को लेकर उम्मीदें; महिलाओं का अनकहा “आप पर भरोसा है” और भीतर छिपी आशा कि हम इस तरह से न्याय पाने में सक्षम होंगे, जैसा हम पहले कभी नहीं कर सके, भारी मानसिक दबाव पैदा कर सकता है। खूब सारा पानी पियें। जब आप इस तरह लड़ते हैं तो प्रतिक्रिया त्वरित व क्रूर होती है। जैसा कि आप अब तक जान चुके हैं, भारत की सोशल मीडिया भाजपा या भाजपा-विरोधी के काले-सफेद लेंस से सब कुछ देखता है। किसी सांसद को बाहर करना सरकार पर प्रत्यक्ष हमले के बतौर देखा जा रहा है।
मैं यह जानती हूं क्योंकि मेरे साथ यह हो चुका है। जब एक केंद्रीय मंत्री- जो पत्रकारिता में मेरे पहले बॉस भी थे- ने 2018 में मेरे खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया, जब मैंने उन्हें #MeToo आंदोलन के दौरान कटघरे में खड़ा किया, तो इस घटना ने मेरे रिश्ते, मेरा जीवन और मेरी Google history बदल दी।
कई महिलाओं ने, जिनमें से अधिकांश से मैं कभी मिली तक नहीं थी, मेरे साथ बात की। ग़ज़ाला वहाब ने कहा कि उसने अपनी कहानी बताने का प्लान नहीं बनाया था, लेकिन जब उसने अन्य महिलाओं के किस्सों को पढ़ा तो उसके अंदर कुछ टूट सा गया। तो एक रात, उसने अपनी व्यथा लिखी और उस पर हस्ताक्षर किए। “जब से मैंने यह लिखा, सब कुछ बदल गया है,” उसने कहा।
भले ही हमारे द्वारा साझा किए गए अनुभव उस व्यक्ति के सत्ताधारी राजनीतिक दल की ओर मुंह करने से बहुत पहले के थे, हमारे “उद्देश्यों” को जांचा-परखा गया। कुछ दूसरों ने कहा कि #MeToo के बाद कंपनियां महिलाओं को काम पर रखने से पहले दो बार सोचेंगी। कुछ सफल, स्मार्ट महिलाओं ने कहा कि उन्होंने हम पर अविश्वास किया था। इसी तरह मेरी कॉम और पीटी ऊषा जैसी प्रमुख हस्तियों ने आपको निराश किया है।
लोगों ने कहा कि हमने सम्मानित पुरुषों के खिलाफ एक सोशल मीडिया “भीड़” (mob) इकट्ठी की है; कि हमारी गवाही वैध नहीं थीं क्योंकि घटना होने के समय हमने शिकायत नहीं की थी। जब मैंने 2021 में एक अभियुक्त के रूप में मानहानि का मुकदमा जीता, तो न्यायाधीश ने अंतिम बिंदु पर रिकॉर्ड सही करते हुए कहा: “महिला को अपनी पसंद के किसी भी मंच पर और यहां तक कि दशकों बाद भी अपनी शिकायत रखने का अधिकार है।”
प्रिय पहलवानों, मैंने आपके ऐतिहासिक विरोध को पहले दिन से ही ट्रैक किया है, और मैं इसे एक ऐसे चरण में देख पाती हूं जहां आप अनिश्चित हैं कि आगे क्या होगा। जो लोग शक्ति का इस्तेमाल करते हैं वे आसानी से यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके खेल करियर खत्म हो जाएं। मुझे यकीन है कि आपने इस संभावना पर विचार किया होगा कि आप जुलाई 2024 में पेरिस ओलंपिक में शायद नहीं पहुंच पाएंगे। अब तक आप बोलने की क्या कीमत है इसका सही अंदाज़ा लगा चुके होंगे।
यह देखकर बहुत अच्छा लगता है कि आपको अपने पुरुष सहयोगियों का समर्थन मिल रहा है, जो भारत के सबसे पितृसत्तात्मक राज्यों में से एक में पले-बढ़े हैं- देश भर के पुरुषों को उनकी बदौलत मर्दानगी का एक नया सबक मिल रहा है। अधिकांश पुरुषों को पता नहीं है कि महिलाओं के सामूहिक गुस्से से कैसे निपटा जाए, और किसके पास समय है कि उन्हें बच्चों जैसा समझाए? हम एक दूसरे को सहारा देने में बेइंतहा व्यस्त हैं।
किसी के बाहर करने के तनाव के साथ आ जाता है मौन का बोझ। लोग आपको कॉल करेंगे और निजी तौर पर समर्थन की पेशकश करेंगे, लेकिन खुलकर कुछ नहीं कहेंगे। कुछ तो, जब आप उनके पास पहुंचेंगे, प्रतिक्रिया देना नहीं चाहेंगे। और दूसरे उनका समर्थन करेंगे, जिनके खिलाफ आप बोल रहे हैं।
कई मुख्यधारा के समाचार पत्र और टेलीविजन चैनल आपकी लड़ाई को नज़रअंदाज़ करेंगे या तोड़-मरोड़ कर पेश करेंगे। अंत में आपके दिमाग में “दोस्तों” की एक सूची होगी जो तब “दिखे नहीं” जब आपको उनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी।
मैं कल्पना नहीं कर सकती कि आप क्या-क्या झेल रहे हैं। आप पहले ही झूठे समाचारों के बाढ़ का सामना कर चुके हैं; आपका प्रशिक्षण बुरी अवस्था में है; आपके साथ पुलिस ने दुर्व्यवहार किया है, और आपने एक ऐसे स्थान तक पहुंचने का हक खो दिया है जहां लोग 1993 से सार्वजनिक रूप से विरोध करते आये हैं। आपके रास्ते में और भी चुनौतियां पेश आ रही हैं।
याद रखें, हर कोई आपकी तरह ज़ोरदार और स्पष्ट रूप से नहीं बोल सकता है। कुछ सर्वाइवर परिवार के दबाव या धीरज की इस परीक्षा को पूरा करने में असमर्थता के कारण पीछे हट सकते हैं। कोई बात नहीं, उन्हें जज मत करना।
जब भी आप बहुत ही टूटा और हारा हुआ महसूस करें, तो अपने आप से यह कहें: “मैं अन्य महिलाओं की तुलना में बेहतर हूं, जो अपने करियर और जीवन में उतनी बेहतर स्थिति में नहीं हैं।” जब आप इस बारे में ऐसा सोचेंगे तो आपको राहत की अनुभूति होगी। इस देश में बोलना एक विशेषाधिकार है, यहां आपके साथ जो हुआ उसे साझा करने का मतलब निश्चित मृत्यु हो सकती है। आप निश्चित रूप से टार्गेट हैं, लेकिन अधिकांश भारतीय महिलाओं की तुलना में काफी मज़बूत हैं।
यह देश जानता है कि आप खेल के लिए ही जीते हैं और आपने अपना पूरा जीवन इसके लिए समर्पित कर दिया है। वह जानता है कि इस लड़ाई में आपका कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं होगा- वास्तव में आप सब कुछ खो सकते हैं। देश जानता हैं कि आप अपने काम से काम रखने के बारे में सोच रहे थे, जब तक कि सिर के ऊपर से पानी नहीं गुज़र गया।
एक अच्छा वकील, जो यह समझता हो कि आप किसके खिलाफ लड़ रहे हैं और आपके हितों को सर्वोच्च रखता हो, इस भार को उठाने में आपकी मदद करेगा। यदि आपके पास कोई ऐसा व्यक्ति है जिस पर आप भरोसा करते हैं, जैसे मैंने अपने वकील रेबेका जॉन पर किया, तो सभी नेक सलाह और सलाहकारों को उसके पास पुनर्निर्देशित करें। किसी की न सुनें। एक कोर ग्रुप रखें जिस पर आप पूरा भरोसा कर सकें।
मुझे पता है कि आप सीधे अपनी कहानी साझा करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन अपने ट्विटर उल्लेखों को न पढ़ें, खासकर आपके विरोध के महत्वपूर्ण दिनों में। यह देखना आत्मा को झकझोर देने वाला होता है कि हर कोई इस बात का विशेषज्ञ बन जाता है कि आगे आपके साथ क्या-क्या होगा।
#MeToo ने दुनिया भर के हर उद्योग में यौन उत्पीड़न के दायरे और व्यापकता को उजागर किया है। आप पहले से ही सहयोगियों के एक प्रभावशाली समूह को तैयार कर चुके हैं, जो आपके साथ आवाज़ मिला रहे हैं। मैं कामना करती हूं कि देश के बड़े से बड़े खेल सितारे इस लड़ाई में भी अपने व्यक्तित्व का वज़न जोड़ देंगे। उन्हें महज ट्वीट करने से ज्यादा कुछ करने की जरूरत है। मैं अभी भी उम्मीद कर रही हूं कि जब आप न्याय की गुहार लगाएंगे तो उनमें से कुछ आपके साथ खड़े होंगे।
(प्रिया रमानी बेंगलुरु में रहने वाली लेखिका हैं और इंस्टाग्राम पर इंडिया लव प्रोजेक्ट की सह-संस्थापक हैं। यह पत्र इंडियन एक्सप्रेस से साभार लिया गया है, अनुवाद- कुमुदिनी पति )