Friday, April 19, 2024

नौकरियों में घोटाला: सड़कों पर उतरा उत्तराखंड का युवा

देहरादून। पिछले कई सालों से सत्ताधारी पार्टी के हाथों ठगा जा रहा उत्तराखंड का युवा आखिरकार सड़कों पर उतर आया। पिछले दो बार से यहां का युवा लोकसभा और विधानसभा चुनावों में आमतौर पर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में नजर आता रहा है। राज्य के युवाओं और महिलाओं के वोट से चारों चुनावों में इस राज्य में भाजपा को जबर्दस्त जीत भी मिली। युवाओं और महिलाओं के भाजपा के पक्ष में जाने का एकमात्र कारण उत्तराखंड में गहरे पैठ चुकी धार्मिकता रही है। भारतीय जनता पार्टी के नेता लगातार लोगों की धार्मिक भावनाओं को सुलगाते रहे हैं। आमतौर बिना मुसलमान आबादी वाले राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में भी हिन्दू धर्म को खतरा होने का डर दिखाया जाता रहा है। लेकिन, धर्म से पेट नहीं भरता। इन सालों में हजारों की संख्या में युवा पढ़ाई पूरी करके नौकरी की लाइन में आता रहा, लेकिन भाजपा की राज्य सरकार ने युवाओं को रोजगार देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। नौकरी के लिए जो परीक्षाएं आयोजित की गईं उनमें भी पेपर लीक होते रहे और विधानसभा सचिवालय में भी बैक डोर से भर्तियां होती रहीं।

हाल के दिनों में ऐसे कई घोटाले सामने आ चुके हैं। 2021 में राज्य में हुई कई भर्ती परीक्षाओं में धांधली के मामले सामने आ चुके हैं। पिछले वर्ष दिसंबर में राज्यभर में विभिन्न केंद्रों पर वीडिओ और वीपीडीओ के पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। यह परीक्षा उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) द्वारा आयोजित करवाई गई थी। इस परीक्षा में धांधली होने की शिकायत बेरोजगार संघ ने मुख्यमंत्री से की थी। मुख्यमंत्री ने डीजीपी को मामले की जांच के आदेश दिये थे। बाद में जांच पुलिस की एसटीएफ ब्रांच को सौंप दी गयी। एसटीएफ ने देहरादून के थाना रायपुर में इस मामले में मुकदमा दर्ज करवाया। मामले की जांच के बाद एसटीएफ ने 24 जुलाई, 2022 से गिरफ्तारियां शुरू की। इसके बाद तो पेपर लीक किये जाने के इस मामले की कई परतें खुलती चली गईं।

इस मामले में अब तक 36 लोग गिरफ्तार किये जा चुके हैं। इनमें सरकारी अध्यापक भी हैं तो पुलिसकर्मी भी और आयोग के पूर्व कर्मचारी भी। इसके अलावा लखनऊ की उस प्रेस का मालिक और कर्मचारी भी गिरफ्तार लोगों में शामिल है, जिसमें पेपर छपे थे। अब तक हुई सबसे महत्वपूर्ण गिरफ्तारी उत्तरकाशी के जिला पंचायत सदस्य और भाजपा नेता हाकम सिंह की है। हाकम सिंह के बारे में बताया जाता है कि उसने अपना कैरियर उत्तरकाशी जिले के तत्कालीन डीएम के घर के नौकर के रूप शुरू की थी। अब जिले के मोरी में उसका आलीशान रिजॉर्ट है उसे करोड़ों की संपत्ति का मालिक माना जाता है। कई अधिकारियों और भाजपा के सीनियर नेताओं के साथ उसकी तस्वीरें हैं। बताया जाता है वीपीडीओ के लीक किये गये पेपर को 250 से ज्यादा अभ्यर्थियों को 10-10 लाख रुपये में बेचा गया। उत्तराखंड और यूपी में कई जगहों पर अभ्यर्थियों को बुलाकर प्रश्नों की उत्तर भी बताये गये।

वीपीडीओ पेपर लीक प्रकरण अभी चल ही रहा था कि वन दारोगा के लिए हुई ऑनलाइन परीक्षा में गड़बड़ी का मामला सामने आया। यह परीक्षा भी यूकेएसएसएससी की ओर से आयोजित की गई थी। एसटीएफ ने जांच के बाद बताया कि 2021 में हुई इस परीक्षा में ब्लू टुथ के माध्यम से पेपर सॉल्व करवाया गया था। इस मामले में अब तक एसटीएफ ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पेपर लीक के इन मामलों के बीच राज्य विधानसभा सचिवालय में बैकडोर से भर्तियां किये जाने का मामला सामने आ गया। सोशल मीडिया में बैक डोर से कथित रूप से भर्ती किये गये लोगों और किस नेता की सिफारिश पर या किस विधानसभा अध्यक्ष के कार्यकाल में नियुक्तियां हुईं, इसका विवरण वायरल होने लगा। इन सूचियों में नेताओं और विधानसभा अध्यक्षों के परिजनों, रिश्तेदारों, निजी सचिवों के परिजनों और पत्रकारों के परिजनों के नाम भी शामिल थे। जनचौक सोशल मीडिया पर तैरने वाली इन सूचियों की पुष्टि नहीं करता। इस तरह की सूचनाओं के सोशल मीडिया पर आते ही कई पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और अन्य नेता सफाई देने लगे। आखिरकार मुख्यमंत्री के कहने पर मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया।

उत्तराखंड में नौकरी की आस लगाया युवा वर्ग यह सब देख अचंभित था। जिस पार्टी को दो-दो बार वोट देकर सत्ता सौंपी, वह युवाओं के साथ इतना बड़ा छल कर रही थी। विपक्षी दल और तमाम जन संगठन भी भर्तियों के इस घोटाले के खिलाफ सामने आने लगे। आखिरकार इस मामले को लेकर युवाओं के सड़कों पर आने का सिलसिला शुरू हुआ। सबसे पहले 6 सितंबर को चमोली जिले के मुख्यालय गोपेश्वर में युवाओं ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया।

युवा ज्ञापन देने के लिए डीएम चमोली के कार्यालय पहुंचे। 5 घंटे तक युवा डीएम का इंतजार करते रहे, लेकिन डीएम ऑफिस से बाहर नहीं निकले। ध्यान देने वाली बात है कि ये वही डीएम हैं, जो हेलंग में महिलाओं से घास छीने जाने के मामले में खुलकर महिलाओं को गलत साबित करने और बांध बनाने वाली कंपनी के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखते रहे हैं। मंगलवार को गोपेश्वर के अलावा उत्तरकाशी जिले के पुरोला, पिथौरागढ़ और टिहरी में भी छात्रों और युवाओं की ओर से प्रदर्शन किये जाने की खबरें सामने आई।

बुधवार, यानी 7 सितंबर को देहरादून में छात्रों और युवाओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। बेरोजगार संघ के आह्वान पर इस प्रदर्शन में छात्रों और युवाओं के साथ ही बड़ी संख्या में अभिभावक, विपक्षी दल और विभिन्न संगठनों के लोग भी जुटे। देहरादून के परेड ग्राउंड में सुबह 10 बजे से ही राज्य के विभिन्न हिस्सों से छात्रों-युवाओं का जुटना शुरू हो गया था। 11 बजने तक परेड गाउंड पर करीब 5 हजार लोगों का हुजूम इकट्ठा हो गया था। परेड ग्राउंड में राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई और इसके बाद यह हुजूम सचिवालय की ओर चल पड़ा। सचिवालय से पहले ही पुलिस ने प्रदर्शनकारी भीड़ को रोक दिया। यहां मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन भेजा गया।

ज्ञापन में कुल नौ मांगें

– वीडीओ-वीपीडीओ परीक्षा रद्द कर दोबारा परीक्षा करवाई जाए।

– यूकेएसएसएससी, यूकेपीएससी, विधानसभा सचिवालय की भर्तियों की जांच सीबीआई को सौंपी जाए।

– उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के लिए अध्यादेश लाया जाए।

– यूकेएसएसएससी व यूकेपीएससी की भर्ती परीक्षाओं के लिए वार्षिक कैलेंडर जारी किये जाएं।

– पेपरों की छपाई आयोग में ही विशेष समिति की निगरानी में की जाए।

– विवादित परीक्षाओं की जांच हो, गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई हो। निर्विवादित परीक्षा संपन्न करवाई जाए।

– नकल रोधी सख्त कानून का ड्राफ्ट बनाकर परीक्षाएं करवाने से पूर्व युवाओं के समक्ष भी रखा जाए।

– बैक डोर भर्तियों पर रोक लगे और अस्थाई पदों पर नियुक्तियों पर भी पारदर्शिता अपनाई जाए।

– उत्तराखंड के लोगों का ध्यान रखते हुए उच्च शिक्षा क्षेत्र में अध्यापक में एपीआई स्कोर तत्काल हटाया जाए।

प्रदर्शन में मौजूद उत्तराखंड महिला मंच की सचिव निर्मला बिष्ट ने कहा कि हमने इसके लिए उत्तराखंड राज्य की लड़ाई नहीं लड़ी थी। राज्य बनने के बाद से ऐसी धांधलियां शुरू हो गई थीं। यहां तक कि कई लोग राज्य आंदोलनकारी होने का फर्जी सर्टिफिकेट लेकर सरकारी नौकरी में लग गये। उन्होंने कहा कि राज्य गठन के बाद से हुई सभी नियुक्तियों की जांच की जानी चाहिए। इनमें राज्य आंदोलनकारी कोटे से भर्ती हुए लोगों की जांच भी शामिल है।

इस प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाती आंदोलन का सिलसिला जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि राज्य का युवा लगातार छला जाता रहा है। अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। एसएफआई के प्रदेश सचिव हिमांशु चैहान के अनुसार उनका संगठन लगातार राज्य के युवाओं को आगाह करता रहा है। उनका कहना था कि यह लड़ाई देर से लड़ी जा रही है। फिर भी उम्मीद की जानी चाहिए कि लड़ाई के बेहतर नतीजे सामने आएंगे। राज्य आंदोलनकारी जयदीप सकलानी भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि युवाओं यह लड़ाई सही दिशा में आगे ले जानी होगी। उत्तराखंड आंदोलन का सबक है कि ऐसे आंदोलनों को तोड़ने के लिए कई हथकंडे अपनाए्र जाते हैं।

(देहरादून से वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोचन भट्ट की रिपोर्ट।)

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