नई दिल्ली। चीनी सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स में पीएम मोदी की तारीफ में प्रकाशित लेख पर कांग्रेस ने आड़े हाथों लेते हुए इसे गलवान झड़प से जोड़ा है। कांग्रेस ने शुक्रवार 5 जनवरी को कहा कि चीनी मीडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करता है क्योंकि उन्होंने भारतीय इलाकों में चीनी सेना के घुसपैठ के बावजूद चीन को क्लीनचिट दे दी और ऐसे फैसले लिए जो चीन के हित में थे।
चीन के कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स में पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत की आर्थिक तरक्की और विदेश नीति की जमकर तारीफ की गई है। अपने लेख में ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि भारत नैरेटिव बनाने और उसे विकसित करने में रणनीतिक रूप से अधिक क्षमतावान हो गया है। इतना ही नहीं लेख में भारत के आर्थिक विकास और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भारत की महान उपलब्धियों की सराहना की गई है।
ग्लोबल टाइम्स में मोदी सरकार के कार्यकाल की प्रशंसा उस वक्त आई है जब चीन ने लद्दाख के कई इलाकों में घुसपैठ की और उसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। यहां तक कि चीन के प्रधानमंत्री शी जिनपिंग को अपना “प्लस वन” दोस्त कहने वाले पीएम मोदी ने उनके बारे में बात करना पूरी तरह से बंद कर दिया था।
कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने कहा कि “प्रधानमंत्री ने चीन की घुसपैठ के जवाब में अपनी गर्दन रेत में दबा ली, उसकी सेना के साथ सहयोग किया, उसे भारत के पास के इलाकों में घुसपैठ की इजाजत दी और चीन पर भारत की आर्थिक निर्भरता बढ़ाई।”
कांग्रेस नेता ने कहा कि, ”विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चीन के साथ संबंध ‘सामान्य नहीं’ हैं। लेकिन जो बात वास्तव में असामान्य है वो ये है प्रधानमंत्री चीन के हितों को ध्यान में रखते हैं। इसमें कोई हैरानी की बात नहीं कि इसलिए चीनी सरकारी मीडिया उनकी तारीफ कर रहा है।”
जयराम रमेश ने कहा “चीनी मीडिया प्रधानमंत्री की जय-जयकार क्यों नहीं करेगा। आख़िरकार चीनी सेना की घुसपैठ पर उन्होंने 19 जून 2020 को अपने सार्वजनिक बयान में कहा था कि ‘ना कोई हमारी सीमा में घुस आया है, न ही कोई घुसा हुआ है।’ पीएम के इस बयान से हमारे सैनिकों का घोर अपमान हुआ और इस झूठ ने कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता के 18 दौर में हमारे रुख को बहुत नुकसान पहुंचाया है और मई 2020 से 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय इलाकों पर चीनी सेना ने अपना कब्जा कर लिया।
कांग्रेस ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी हैरान हैं कि चीनी अधिकारियों ने आरएसएस मुख्यालय का दौरा क्यों किया, जबकि विदेश मंत्रालय का मानना है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते ठीक नहीं हैं।
खड़गे ने कहा कि “बातचीत में क्या हुआ? यात्रा का उद्देश्य क्या था? मोदी सरकार ने पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना में चीनी पेशेवरों को वीजा रियायत की पेशकश क्यों की? क्या चीन ने एशियाई खेलों के लिए हमारे खिलाड़ियों को स्टेपल वीजा नहीं दिया?”
खड़गे ने मांग की कि मोदी सरकार चीन को लेकर अपनी नीति स्पष्ट करे और कहा कि “क्या हमारे 20 बहादुर जवान 2020 में गलवान घाटी में चीनी घुसपैठियों से लड़ते शहीद नहीं हुए? सच क्या है, देश जानना चाहता है।
रमेश ने कहा “मोदी ने भारत को उन्हीं चीनी सैनिकों के साथ रूस में संयुक्त सैन्य अभ्यास करने की इजाजत दी, जो लद्दाख में हमारे इलाकों पर कब्जा कर रहे हैं। 1 से 7 दिसंबर के बीच 7/8 गोरखा राइफल्स के भारतीय सैनिकों की एक टुकड़ी ने रूस के वोस्तोक 2022 अभ्यास में भाग लिया जिसमें चीन ने भी भाग लिया। क्या हमारे 20 बहादुर सैनिकों का बलिदान इतनी आसानी से भुला दिया गया? मोदी ने भारत की कीमत पर चीन को मालदीव, भूटान और श्रीलंका में प्रभाव हासिल करने की अनुमति दी।
यह याद करते हुए कि मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू का भारत से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का अनुरोध भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा झटका था उन्होंने डोकलाम इलाके में एक बड़े चीनी निर्माण के कारण भारत को होने वाले रणनीतिक नुकसान की ओर भी इशारा किया।
उन्होंने कहा “श्रीलंका में चीन ने रणनीतिक हंबनटोटा बंदरगाह पर 99 साल के पट्टे के साथ महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संपत्तियों पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। चीनी खुफिया जानकारी इकट्ठा करने वाले जहाज समय-समय पर बंदरगाह पर रुकते रहे हैं। चीन के संतुष्ट होने के ये सभी कारण हैं।”
(‘द टेलिग्राफ’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)
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