एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट से राहत, दो सप्ताह तक गिरफ्तारी पर रोक

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एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि पहली नजर में यह एफआईआर का अपराध नहीं दिखता है। पीठ ने कहा कि जिस शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है उसमें अपराध की फुसफुसाहट भी नहीं है। इस मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने पूछा कि क्यों न इस एफआईआर को रद्द कर दिया जाए।

शिकायतकर्ता से पीठ ने पूछा कि इस केस में आईपीसी की धारा 153 के तहत आपसी सद्भाव बिगाड़ने का मामला कैसे बनता है ये बताएं? कोर्ट ने इस मामले पर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। इसका जवाब मिलने तक इस केस में पत्रकारों की गिरफ्तारी पर रोक बरकरार रखी है।

पिछले दिनों मणिपुर सरकार ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के चार सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। गिल्ड ने अपनी याचिका में मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट एफआईआर को रद्द करे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को भारतीय सेना ने मणिपुर बुलाया था। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि वो गलत या सही हो सकते हैं लेकिन क्या केवल किसी रिपोर्ट को प्रकाशित करने भर से आपराधिक मामला बनता है? कोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि महज रिपोर्ट देना कैसे अपराध हो सकता है। एफआईआर में अपराध का कोई संकेत नहीं है

एडिटर्स गिल्ड की फैक्ट फाइंडिंग टीम के तीन सदस्यों, जो मणिपुर में जातीय संघर्ष की मीडिया रिपोर्टों का आकलन करने के लिए गए थे उनके और गिल्ड के अध्यक्ष के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि टीम द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट झूठी, मनगढ़ंत और प्रायोजित थी, और एफआईआर में लगाए गए आरोपों में विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना शामिल था।

शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान पीठ ने ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया, एफआईआर में उल्लिखित अपराध बनता नहीं दिख रहा है। जिस शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है, उसमें अपराध का कोई संकेत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी लेख में गलत बयान देना 153A (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) का अपराध नहीं है-यह गलत बयान हो सकता है। कोर्ट ने पूछा कि देश भर में पत्रकारों द्वारा गलत बयान दिए जाते हैं, क्या आप सभी पर मुकदमा चलाएंगे?”

कोर्ट ने कहा कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को भारतीय सेना ने मणिपुर बुलाया था। वो गलत और सही भी हो सकते हैं।क्या सिर्फ किसी रिपोर्ट को प्रकाशित करने से आपराधिक मामला हो सकता है?

यह देखते हुए कि एडिटर्स गिल्ड टीम को सेना द्वारा मणिपुर में आमंत्रित किया गया था, सीजेआई चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि सेना गिल्ड को पत्र लिखती है। सेना का कहना है कि मणिपुर में स्थानीय मीडिया के द्वारा पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग हुई थी। गिल्ड के सदस्य जमीन पर जाकर रिपोर्ट देते हैं। वे सही या ग़लत हो सकते हैं। अभिव्यक्ति की आज़ादी का यही मतलब है।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह सेना के निमंत्रण पर फैक्ट फाइंडिंग मिशन पर गया था। गिल्ड के लिए कपिल सिब्बल ने कहा कि सेना स्थानीय मीडिया द्वारा की जा रही रिपोर्टिंग की गुणवत्ता पर पूरा अध्ययन चाहती थी। दरअसल, एडिटर्स गिल्ड ने दावा किया था कि मणिपुर की जातीय हिंसा पर पक्षपातपूर्ण मीडिया रिपोर्टिंग हुई है। एडिटर्स गिल्ड के जिन सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उनमें एडिटर्स गिल्ड की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा और तीन सदस्य सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर का नाम शामिल है।

सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर ने बीते हफ्ते मणिपुर का दौरा कर यहां हुई मीडिया रिपोर्टिंग का अध्ययन किया था। एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों की रिपोर्ट को मणिपुर सरकार ने फर्जी और प्रायोजित बताया और FIR दर्ज कर ली। FIR में बताया गया है कि रिपोर्ट में गलत तथ्य बताए गए हैं। जुलाई में भी मणिपुर सरकार ने तीन महिलाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।इन महिलाओं की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने भी राज्य में जारी हिंसा को सरकार द्वारा प्रायोजित बताया था।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने चार सितंबर को कहा था कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और तीन सदस्यों के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर पुलिस में मामला दर्ज किया गया है और उन पर राज्य में हिंसा भड़काने की कोशिश के आरोप हैं। मानहानि के अतिरिक्त आरोप के साथ चार सदस्यों के खिलाफ दूसरी प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी।

हाल ही में एडिटर्स गिल्ड ने दावा किया था कि मणिपुर की जातीय हिंसा पर एक पक्षीय मीडिया रिपोर्टिंग हुई है। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री पर पक्षपात करने का भी आरोप लगाया। एडिटर्स गिल्ड के जिन सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उनमें एडिटर्स गिल्ड की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा और तीन सदस्य सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर का नाम शामिल है। सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर ने बीते हफ्ते मणिपुर का दौरा कर यहां हुई मीडिया रिपोर्टिंग का अध्ययन किया था।

एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों की रिपोर्ट को मणिपुर सरकार ने फर्जी और स्पॉन्सर बताया था। एफआईआर में बताया गया कि रिपोर्ट में गलत तथ्य बताए गए। जुलाई में भी मणिपुर सरकार ने तीन महिलाओं के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की थी। इन महिलाओं की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने भी राज्य में जारी हिंसा को सरकार द्वारा स्पॉन्सर बताया था।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार एवं कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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