जेल में ही मनेगी अर्णब गोस्वामी की दिवाली, 14 दिन की न्यायिक हिरासत

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रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी को बुधवार को एक इंटीरियर डिजाइनर की आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसे महाराष्ट्र की अलीबाग अदालत ने 18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अदालत ने छह घंटे की मैराथन सुनवाई के बाद देर रात फैसला सुनाया। अर्णब गोस्वामी ने जमानत के लिए अर्जी दायर की है और अदालत ने जांच अधिकारी को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

मुंबई पुलिस ने अर्णब गोस्वामी को बुधवार की सुबह करीब 6:30 बजे उनके मुंबई स्थित घर से गिरफ्तार कर लिया। अर्णब पर 2018 में एक महिला और उसके बेटे को खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप है। अर्णब की गिरफ्तारी के 12 घंटे में ही उनके खिलाफ दूसरा केस दर्ज कर लिया गया है। एनएम जोशी पुलिस स्टेशन में धारा 353 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। अर्णब पर महिला पुलिसकर्मी से मारपीट करने का आरोप लगा है। महाराष्ट्र में में इस मामले में अब पूर्व इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर से भी सवाल जवाब किए जाएंगे, जिसने सबूत के अभाव में इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाई थी।

अलीबाग अदालत में पुलिस ने गोस्वामी की 14 दिन की रिमांड मांगी थी। गोस्वामी (47) को रायगढ़ पुलिस की एक टीम ने अपने मुंबई के घर से गिरफ्तार किया था। उसे पुलिस वैन में धकेलते हुए देखा गया और दावा किया गया कि पुलिस द्वारा ले जाने से पहले उसके साथ मारपीट की गई। गोस्वामी को अलीबाग में एक मजिस्ट्रेट अदालत के सामने पेश किया गया था, जहां उन्होंने आज सुबह अपने घर में पुलिस टीम के हाथों शारीरिक हमले की शिकायत की, मजिस्ट्रेट ने आरोपों पर ध्यान देते हुए  पुलिस को गोस्वामी को मेडिकल जांच के लिए सिविल अस्पताल ले जाने का निर्देश दिया। मेडिकल जांच के बाद गोस्वामी को उनके रिमांड पर सुनवाई के लिए अदालत में वापस लाया गया। मेडिकल जांच में हिंसा के आरोप झूठे निकले। अदालत ने अर्णब के आरोप को खारिज़ कर दिया। अर्णब गोस्वामी को अदालत ने कोर्ट के अंदर फोन का उपयोग करने और कार्यवाही को लाइव प्रसारण करने पर फटकार लगाई।

रायगढ़ पुलिस के असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वझे के नेतृत्व में रायगढ़ पुलिस, मुंबई पुलिस और स्पेशल ऑपरेशन स्क्वॉड ने बेहद गुप्त अभियान के तहत अर्णब के घर पर बुधवार सुबह 6 बजे ही धावा बोल दिया। पुलिस का कहना है कि अर्णब ने वर्ली स्थित अपने घर का दरवाजा खोलने में एक घंटे का वक्त लगा दिया। कभी न्यूज चैनल के स्टार रहे अर्णब गोस्वामी अब सलाखों के पीछे हैं। उनके साथ फिरोज शेख और नितेश सारदा को भी क्रमशः कांदिवली और जोगेश्वरी से गिरफ्तार किया गया है। सुसाइड नोट के अनुसार इन तीनों कंपनियों की ओर से नाइक को क्रमश: 83 लाख रुपये, चार करोड़ रुपये और 55 लाख रुपये दिए जाने थे।

अर्णब की गिरफ्तारी से जुड़ा मामला साल 2018 का है। पुलिस के मुताबिक, रिपब्लिक टीवी का स्टूडियो तैयार करने वाली कंपनी कॉन्कॉर्ड डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड के एमडी अन्वय नाइक और उनकी मां ने 2018 में आत्महत्या कर ली थी। अन्वय ने आत्महत्या से पहले एक पत्र लिखा। इस सुइसाइड नोट में उन्होंने कहा कि रिपब्लिक टीवी के 83 लाख रुपये समेत दो अन्य कंपनियों- आईकास्टएक्स/स्काइमीडिया और स्मार्टवर्क्स के पास कुल 5.40 करोड़ रुपया बकाया होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है और अब उनके पास आत्महत्या के सिवा कोई चारा नहीं बचा है।

अन्वय और उनकी मां के शव अलीबाग के काविर गांव स्थित एक फार्महाउस में मिले थे। नाइक का शव फर्स्ट फ्लोर की छत से लटका मिला था जबकि उनकी मां की लाश ग्राउंड फ्लोर पर बेड पर पड़ी मिली थी। तब पुलिस को मिले सुसाइड नोट में कहा गया था कि दोनों ने इसलिए आत्महत्या की क्योंकि तीनों कंपनियां उनका बकाया नहीं चुका रही थीं।

अन्वय नाइक की पत्नी अक्षता ने अपनी शिकायत में कहा कि एआरजी आउटलायर के अर्णब गोस्वामी ने बॉम्बे डाइंग स्टूडियो प्रॉजेक्ट का 83 लाख रुपये बकाया नहीं चुकाया। दो अन्य लोगों- स्काइमीडिया के फिरोज शेख ने चार करोड़ रुपये जबकि स्मार्ट वर्क के मालिक नितेश सारदा ने 55 लाख रुपये नहीं चुकाए। अक्षत नाइक ने अपनी शिकायत में अर्णब के खिलाफ आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया।

इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उसकी मां ने आत्महत्या कर ली थी। इस मामले की जांच सीआईडी कर रही है। अन्वय की पत्नी अक्षता ने इस साल मई में आरोप लगाया था कि उनके पति ने रिपब्लिक टीवी के स्टूडियो में इंटीरियर का काम किया था। इसके लिए 500 मजदूर लगाए गए थे, लेकिन अर्णब ने बाद में 5.40 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया। इससे उनका परिवार तंगी में आ गया। परेशान होकर अन्वय ने अपनी बुजुर्ग मां के साथ खुदकुशी कर ली। अन्वय ने कथित तौर पर सुसाइड नोट में भी अर्णब और दो अन्य पर आरोप लगाया था।

अक्षता का दावा है कि रायगढ़ पुलिस ने इस मामले में एफआईआर तो दर्ज की थी, लेकिन मामले की ठीक से जांच नहीं की। हालांकि, रायगढ़ के तब के एसपी अनिल पारस्कर के मुताबिक, इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिले थे। पुलिस ने कोर्ट में रिपोर्ट भी दाखिल कर दी थी। अक्षता का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से भी न्याय की गुहार लगाई थी।

इस बीच अर्णब गोस्वामी के खिलाफ महिला पुलिस अधिकारी के साथ मारपीट करने के आरोप में एक और एफआईआर दर्ज की गई है। उन पर आरोप है कि आज सुबह उनके निवास पर पुलिस के पहुंचने पर उन्होंने कथित तौर पर महिला पुलिस अधिकारी के साथ मारपीट की। गोस्वामी के खिलाफ आईपीसी की धारा 353, 504 और 34 के तहत एनएम जोशी पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है।

मुंबई पुलिस की ओर से जानकारी दी गई है कि इंटीरियर डिजाइनर को खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले की पहले तफ्तीश करने वाले अधिकारी को जांच का सामना करना पड़ेगा। पहले के जांच अधिकारी (आईओ) ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी और कहा था कि कोई सबूत नहीं मिला है। महाराष्ट्र सरकार ने इस साल मई में मामले की नए सिरे से जांच कराने की घोषणा की थी।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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