पत्रकारों ने जुलूस निकालकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन दिया
शामली। एक दलित पत्रकार को पुलिस के मनमाफ़िक ख़बर नहीं लिखने की भयानक सजा भुगतनी पड़ रही है। पुलिस ने एक जातिवादी संगठन के आपराधिक छवि वाले स्वयंभू नेता की तरफ से गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करा कर शामली के इस वरिष्ठ पत्रकार को अपराधियों की तरह उठाया और प्रताड़ित किया। आरोप है कि यह सब एसपी की मौजूदगी में किया गया। इसके विरोध में शामली के पत्रकारों ने शहर में मार्च निकाला और राज्यपाल को ज्ञापन भेजा है।
एसपी की मौज़ूदगी में प्रताड़ना!
राजपाल पारवा उत्तर प्रदेश के शामली जिले में जनवाणी अखबार के जिला प्रभारी हैं और उत्तर प्रदेश सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं। बताया जाता है कि पारवा 19 अगस्त को अपने अखबार के मेरठ स्थित हेड ऑफिस गए थे। वे वहां से घर लौटने के लिए निकले ही थे कि उन्हें शामली पुलिस ने उठा लिया। पारवा अपने साथ इस व्यवहार से हैरान थे। उन्हें किसी कुख्यात अपराधी की तरह शामली कोतवाली लाया गया। शामली जिले के एसपी देव शर्मा भी वहां पहुंच गए। पत्रकारों का आरोप है कि शामली कोतवाली प्रभारी अवनीश गौतम और दूसरे पुलिस अधिकारी राजपाल पारवा के साथ किसी शातिर अपराधी जैसा व्यवहार करते हुए मानसिक प्रताड़ना देते रहे। रात भर प्रताडित करने के बाद उन्हें सुबह करीब 3 बजे दो पत्रकारों की सपुर्दिगी में दिया गया।
पारवा परिवार की सुरक्षा को लेकर आशंकित
स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक, राजपाल पारवा इस समय बेहद मानसिक अवसाद में हैं। उनकी छवि निर्भीक और ईमानदार पत्रकार की है लेकिन इस समय वे अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर बुरी तरह आशंकित हैं। बाद में भी उन्हें धमकियां दी जाती रहीं कि वे मुंह खोलेंगे तो उन्हें जेल जाना होगा।

ख़बरों को लेकर नाराज़गी
पत्रकारों का कहना है कि पुलिस उनकी ख़बरों को लेकर नाराज़ है और उन्हें सबक सिखाने के लिए उनके खिलाफ एक स्वंयभू जातिवादी संगठन राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा के स्वयंभू राष्ट्रीय अध्यक्ष आशुतोष पांडे की तरफ से 18 अगस्त को शामली कोतवाली में 386, 307, 342, 504, 506 जैसी गंभीर धाराओं में पूरी तरह झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया। शामली के पत्रकारों के मुताबिक, आशुतोष पांडे आपराधिक छवि का व्यक्ति है और उसके खिलाफ शामली जिले के कांधला थाने में 307, 452, 504, 506, 376, 420 व गुंडा एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है।
पत्रकार राजपाल पारवा दलित जाति से ताल्लुक रखते हैं और माना जा रहा है कि इसी वजह से पुलिस को सामाजिक दबाव की गुंजाइश नहीं लग रही है।
काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन
शामली के पत्रकारों ने मंगलवार को काली पट्टियां बांधकर प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया। बुधवार को पत्रकारों ने पहले नगरपालिका परिसर में मीटिंग की और फिर वे काली पट्टियां बांधे हुए जुलूस की शक्ल में कलेक्ट्रेट पहुंचे। पत्रकारों ने पुलिस पर भूमाफिया से सांठगांठ का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी भी की। पत्रकारों ने प्रशासन को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा।