सार्वजानिक भूमि से सभी अवैध धार्मिक अतिक्रमण हटाए जाएं: इलाहाबाद हाई कोर्ट

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि नगर निगम की भूमि और स्टेट लैंड से सभी धार्मिक अतिक्रमणों से शहर को खाली करने के लिए कदम उठाए जाएं। जिला एवं प्रशासन, विकास प्राधिकरण और नगर निगम यह सुनिश्चित करेंगे कि अतिक्रमण मुक्त ये स्थान खुले सार्वजनिक भूमि बने रहेंगे और फिर से अतिक्रमण नहीं किया जाएगा। पुलिस अधिकारी यह भी सुनिश्चित करें कि शहर के विभिन्न पुलिस स्टेशनों के बाहर किए गए अतिक्रमण न रहें। पुलिस थानों के बाहर मालखानों के नाम पर छोटे-बड़े वाहनों को डंप करके अस्थायी अतिक्रमण न हो।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने प्रयागराज जीटी रोड पर शेरवानी मोड़ स्थित अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रयागराज विकास प्राधिकरण को निर्देशित किया है। न्याय विहार कॉलोनी विकास समिति के सचिव हृदय नारायण शुक्ला और आदेश कुमार द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष एक प्रार्थना पत्र पूर्व से योजित पीआईएल इस आशय से दिया कि कानपुर रोड स्थित शेरवानी मोड़ जो सूबेदारगंज रेलवे स्टेशन होते हुए एयरपोर्ट को जाता है, उसके नुक्कड़ में सड़क मार्ग को अवैध रूप से मकान बनवा कर अतिक्रमण कर रखा है। उसे हटाने के लिए माननीय न्यायालय द्वारा अपने आदेश में विकास प्राधिकरण को निर्देशित किया है। इसके साथ ही साथ विकास प्राधिकरण को एयरपोर्ट के लिए कॉरिडोर बनाने का भी निर्देश जारी किया है।

खंडपीठ ने पीडीए द्वारा नगर निगम की जमीनों पर अवैध निर्माण हटाने के बाद दोबारा अतिक्रमण न होने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। पीडीए ने कोर्ट को बताया कि छह व्यावसायिक संस्थानों की अंडरग्राउंड पार्किंग बहाल की गई है। इसके अलावा आठ नर्सिंग होम और अन्य संस्थानों में भी अंडरग्राउंड पार्किंग बहाल की गई है। इस पर कोर्ट द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर चंदन शर्मा और शुभम द्विवेदी को इसका मुआयना कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है। कहा कि ऐसे प्रतिष्ठानों के सामने पार्किंग न होने पाए, वाहन पार्किंग में खड़े किए जाए। राज्य सरकार को पीडीए अधिकारियों को अतिक्रमण हटाते समय पुलिस संरक्षण दे।

खंडपीठ ने स्कूलों और रिहायशी इलाकों में वेंडिंग जोन तथा नाइट मार्केट खोलने पर रोक लगा दी है। साथ ही पुलिस थाना के सामने सड़क पर खड़े किए गए जब्त वाहनों को अन्यत्र शिफ्ट करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने डीजीपी को कोरोना नियंत्रण के लिए सौ प्रतिशत मास्क की अनिवार्यता को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है। कहा कि कम से कम अगले तीन माह तक मास्क पहनकर निकलने की अनिवार्यता को लागू किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने कोविड-19 संक्रमण और पार्किंग व्यवस्था को लेकर कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

खंडपीठ ने प्रयागराज के जिलाधिकारी और एसएसपी को माघ मेला में मास्क पहनने की निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया है। कहा कि वैक्सिनेशन में अभी समय लगेगा, ऐसे में ढिलाई न बरती जाए। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने वैक्सिनेशन फेज-1 फेज-2 की जानकारी दी है। इसके तहत फेज-1 में फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर और फेज-2 में 50 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन दी जाएगी, लेकिन यह नहीं बताया कि फेज-2 कब शुरू होगा? योजना जानकारी के साथ बेहतर हलफनामा दाखिल किया जाए। याचिका की सुनवाई पांच फरवरी को होगी।

खंडपीठ ने चेतावनी दी कि सार्वजनिक टीकाकरण एक लंबी सार्वजनिक स्वास्थ्य योजना है और टीकाकरण के माध्यम से शरीरिक प्रतिरक्षा विकसित करने में समय लगेगा। इस प्रकार, केंद्र पुलिस अधिकारियों को आदेश दिया कि कम से कम अगले तीन महीनों तक लोगों को सौ प्रतिशत फेस मास्क पहनना सुनिश्चित करें। यह तब तक करना होगा, जब तक राज्य टीकाकरण के विभिन्न चरणों से गुजरता है। पुलिस महानिदेशक को निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा कि यह आराम करने का समय नहीं है। उत्तर प्रदेश को देखने पर लगता है कि इस राज्य में मास्क पहनने की प्रक्रिया सही से की गई है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

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