झारखंड: अपनी मांगों को लेकर आंगनबाड़ी सेविकाओं ने किया मुख्यमंत्री आवास का घेराव

झारखण्ड राज्य अनुबन्ध कर्मचारी महासंघ, झारखण्ड का अनुसंघी संगठन झारखण्ड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ, झारखण्ड द्वारा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के आलोक में अपनी मांगों को लेकर 4 अक्टूबर 2023 को मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया गया। कार्यक्रम मोरहाबादी मैदान से शुरू होकर राजभवन के सामने धरना प्रदर्शन में तब्दील हो गया। जहां धरनार्थियों ने अपने हाथों में मांगों की तख्ती ले रखा था। धरना व घेराव कार्यक्रम में मुख्य मांगों में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को महिला पर्यवेक्षिका की बहाली में आरक्षण, उम्र सीमा में छूट, विषय और शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता को शिथिल करने, केन्द्रांश मानदेय मद की राशि में वृद्धि, हर माह 5 तारीख तक मानदेय भुगतान सुनिश्चित करने आदि शामिल है।

घेराव स्थल पर आयोजित सभा की अध्यक्षता झारखण्ड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ की प्रदेश अध्यक्ष माला देवी ने किया तथा मंच संचालन संघ की प्रदेश महासचिव राखी देवी ने किया। वहीं प्रधान वक्ता के रूप में सुशील कुमार पांडेय शामिल थे।

प्रधान वक्ता सुशील कुमार पांडेय

अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि हमारा मकसद घेराव कर माननीय मुख्यमंत्री का विरोध करना नहीं है, बल्कि राज्य में एक लोकप्रिय मुख्यमंत्री को बदनाम करने के लिए जारी साजिश का पर्दाफाश करना है। मुख्यमंत्री जी के इर्द गिर्द बैठे लोग, सलाहकार, जो शकुनि स्वभाव के नौकरशाह हैं, जिनके द्वारा राज्य में मेहनतकश आवाम को उकसाकर अशांति फैलाने की साजिश की जा रही है। मुख्यमंत्री को इन लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।

वक्ताओं ने कहा कि इस धरना प्रदर्शन के माध्यम से हम आगाह करते हैं कि आप झारखण्ड के अनुबंन्ध कर्मियों के मुद्दे पर अधिकारियों द्वारा उत्पन्न खटास को सौहार्दपूर्ण वातावरण में बैठक कर समाधान करें। हमने आप पर भरोसा किया है। आप अपने अधिकारियों से सिर्फ इतना जवाब मांगिये की विकास आयुक्त की अध्यक्षता में बनी उच्चस्तरीय कमेटी ने 4 वर्षो में कितने संविदाकर्मियों का स्थायीकरण और सेवा शर्तों में सुधार किया? शिक्षकों के ग्रेड पे 4,200/4,600 से घटाकर 2,400/2,800 करने का क्या औचित्य है? इसके क्या फायदे हैं?

आपके चुनावी घोषणा पत्र, संविदा संवाद के वक्तव्य और पार्टी की विचारधारा से क्या किये गए कार्य मेल खा रहा है? पोषण सखी, e-govt सोसायटी, तेजस्विनी, स्वछ भारत मिशन सहित अनेक संविदा कर्मियों के रोजगार छीन कर राज्य को क्या फायदा हुआ? आखिर संविदाकर्मियों का हर साल सेवा का नवीकरण क्यों किया जाता है? वेतनमान, समान काम समान वेतन जैसे मुद्दे गौण क्यों है। आखिर कैसी नियमावली बन रही कि एक भी नियुक्ति नहीं हो पा रही है और पड़ोसी राज्य बिहार में 15 दिनों में परीक्षा और परिणाम दोनों आ रहे हैं।

आंगनबाड़ी सेविकाएं

राज्य को अशांत करने के लिए अफसर लोग जिम्मेवार है। हम संविदाकर्मियों ने सरकार बनाई है, हम सब आपका शुभ चिंतक हैं और आपके खिलाफ जारी अफसरों की षड्यंत्र से हम सब चिंतित है। यही हाल रहा तो हताश संविदाकर्मियों ने अब मोर्चा खोल दिया है, फिर से विधानसभा सम्मेलन की शुरुआत हो रही है, जिसका प्रथम चरण दुमका से होगा।

वक्त कम है, इसपर आप बिना देर किए संविदा संवाद की 5वीं वर्ष गांठ 20/10/2023 को बिना शर्त राज्य के सभी संविदाकर्मियों को समान काम समान वेतन, वार्षिक सेवा नवीकरण से मुक्ति, ईपीएफ बीमा, सामाजिक सुरक्षा, अनुकम्पा और स्थायीकरण का वन लाइनर संकल्प दुर्गा पूजा के पहले जारी कर निराश संविदाकर्मियों को सौगात दीजिये।

वक्ताओं ने कहा कि मनरेगा, पारा शिक्षक, बाल संरक्षण आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य विभाग सहित 45 से अधिक संविदा कर्मचारियों के लगभग 60 लाख वोटर निराश रहेंगे। वक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री को राज्य के अशांत होने के पूर्व अपनी दरियादिली दिखाते हुए संविदाकर्मियों के साथ बैठ कर समस्या का समाधान करना चाहिए।

बिगड़े मौसम और लगातार हो रही बारिश में बड़ी संख्या में महिलाएं कार्यक्रम में शामिल रहीं।

कार्यक्रम का समन्वयन सीता तिग्गा प्रदेश कोषाध्यक्ष ने किया तथा माला देवी, सरजी देवी, कोयल उरांव, चंचला देवी, अमला देवी, रीता शर्मा, आरती देवी, रजनी कुमारी, संगीता देवी, जीवन लता सोरेन, मधुलिका डेहरी भारती, पूजा देवी, मीना मरांडी, अमोल बास्की, सुनीता देवी सहित हजारों आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने भाग लिया।

(विशद कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं और झारखंड में रहते हैं।)

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