कर्नाटक में दिग्गजों का टिकट काटकर फिर सत्ता में आना चाहती है भाजपा

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नई दिल्ली। कर्नाटक में भाजपा नेतृत्व को संभावित हार का डर सता रहा है। राज्य की सत्ता को फिर से पाने के लिए पार्टी तरह-तरह के प्रपंच रच रही है। उसी में एक है एंटी-इनकम्बेंसी से निबटना। एंटी-इनकम्बेंसी को समय रहते भांपकर उसके तीखेपन को कम करने की योजना के तहत भाजपा हाईकमान ने दो दिन पहले यानि मंगलवार को घोषित उम्मीदवारों की भाजपा की पहली सूची में न केवल युवा चेहरों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, बल्कि कई वरिष्ठ नेताओं का टिकट काटकर उन्हें भविष्य में कहीं समायोजित करने का संदेश दिया। पहली सूची में 118 मौजूदा विधायकों में से सिर्फ 90 को फिर से मैदान में उतारा गया।

पार्टी ने कहा कि नई पीढ़ी के नेताओं को अवसर देने और नई ऊर्जा-नया नेतृत्व पैदा करने के लिए ऐसा किया गया है। कुछ नेता तो अभी दूसरी सूची में अपने नाम की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन कर्नाटक में भाजपा एक ‘हारी बाजी’ को षडयंत्र या रणनीति से जीतने की कोशिश कर रही है। भाजपा की हर कोशिश उसे औऱ मुश्किल में डाल रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का टिकट काटकर नए नेताओं को देने से कई नेता बगावत का बिगुल फूंक चुके हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी के वरिष्ठ नेता दूसरी उम्मीदवारों की सूची में उनके नाम आने का इंतजार कर रहे है, कुछ तो टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी भी कर रहे हैं। लेकिन पार्टी हाई कमान अंतिम औऱ दूसरी सूची को नामांकन के अंतिम दिन घोषित करने की रणनीति अपनाई है।

पार्टी हाईकमान ने नौ मौजूदा विधायकों को टिकट की आशा छोड़कर नए चेहरों के लिए रास्ता बनाने के लिए कहा है, इस संदेश ने अधिकांश विधायक-मंत्री और नेताओं को नाखुश कर दिया है। इस सूची में पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, पूर्व डिप्टी सीएम के. एस. ईश्वरप्पा और पूर्व मंत्री एस.अंगारा जैसे नेता शामिल हैं। वरिष्ठ मंत्रियों आर.अशोक और वी. सोमन्ना को दो-दो निर्वाचन क्षेत्रों में खड़ा करने के फैसले को इन नेताओं के लिए अपनी ताकत साबित करने या पार्टी के पदानुक्रम को नीचे धकेलने के संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

इस बार जिन नेताओं का टिकट कटा है उसमें नौ मौजूदा विधायकों में उडुपी से रघुपति भट हैं, जो बुधवार के फैसले को लेकर भावुक हो गए थे। उडुपी से संजीव मतंदूर, कुंडापुर से हलदी श्रीनिवास शेट्टी ने सूची पर चर्चा होने से पहले ही सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। कापू से लालाजी मेंडॉन ने जिस निर्वाचन क्षेत्र का तीन बार प्रतिनिधित्व किया है, होसदुर्गा से गोलीहट्टी शेखर, शिरहट्टी से रमन्ना लमानी, बेलगावी उत्तर से अनिल बेनके, और रामदुर्ग से यादवद शिवलिंगप्पा शामिल हैं।

बेंगलुरु शहरी जिले में महादेवपुरा निर्वाचन क्षेत्र के लिए भी टिकटों की घोषणा नहीं की गई है जहां वरिष्ठ नेता अरविंद लिंबावली ने तीन बार प्रतिनिधित्व किया है, मैसूर शहर जिले में कृष्णराजा जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान में पूर्व चिकित्सा शिक्षा मंत्री एस. ए. रामदास कर रहे हैं। और चिक्कमगलुरु जिले में मुदिगेरे जहां पार्टी कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने विधायक एम पी कुमारस्वामी की उम्मीदवारी का विरोध किया। यहां टिकट कटने से इन नेताओं के राजनीतिक भविष्य को लेकर खतरे की घंटी बज गई है।

भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य बी. एस. येदियुरप्पा ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और अपने बेटे बी. वाई. विजयेंद्र के लिए शिकारीपुरा सीट छोड़ दी, और पूर्व मंत्री आनंद सिंह, जिनकी सीट विजयनगर है उनके बेटे सिद्धार्थ सिंह को दी गई थी।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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