डेढ़ साल से अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा है दलित इंजीनियर, सवर्ण विधायक ने तोड़ दिया था पैर

नई दिल्ली। जयपुर के सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल में भर्ती 28 वर्षीय हर्षाधिपति वाल्मिकी को अपने पैरों पर चले 17 महीने हो गए हैं। अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि हर्षाधिपति के पैर में कई सारे फ्रैक्चर है, जिसमें ‘फीमर फ्रैक्चर’ भी शामिल है। हर्षाधिपति बताते हैं कि मेरे शरीर पर लगे चोट एक ना एक दिन तो भर जाएगी लेकिन दिल को चोट पहुंचाने वाले उस घाव का क्या करेंगे जो मुझे लंबे समय तक दर्द देता रहेगा। विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा ने मुझ पर कुर्सी फेंककर मारा, मुझे जातिसूचक गालियां दीं और मेरे चेहरे पर पैरों से वार किया जिसके बाद विधायक और उसके साथियों ने मुझे अधमरा करके छोड़ दिया। इस बात को डेढ़ साल बीत गए हैं, लेकिन मैं न्याय का इंतजार कर रहा हूं, सरकार आरोपी विधायक को कानून के हवाले करने के बजाए बचाने की कोशिश में लगी है।

यह दर्द बयां करने वाले हर्षाधिपति वाल्मिकी राजस्थान सरकार में इंजीनियर के पद पर तैनात हैं। धौलपुर में कार्य करते हुए एक दिन धौलपुर के बाड़ी क्षेत्र के दबंग विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा ने उनके साथ मारपीट किया।

हर्षाधिपति वाल्मिकी कहते हैं कि सरकारी काम के दौरान सत्तारुढ़ पार्टी के विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा ने मेरे कार्यालय में घुसकर जातिसूचक गाली दी और मारते-मारते अधमरा कर दिया। धौलपुर में उसे यह कहकर धमकाया जाता रहा कि वो ठाकुरों के क्षेत्र में कैसे आ गया, और लोग उसे मारने के लिए घेर लेते हैं।   

31 जुलाई को राजस्थान हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति फरजंद अली की पीठ ने आदेश दिया था कि प्रतिवादी एक मौजूदा विधायक है और ऐसी स्थिति में स्थायी निर्देश को ध्यान रखते हुए मामले की जांच जयपुर में सीआईडी और सीबी के द्वारा किया जाए। हालांकि, इस आदेश को पारित हुए 16-17 महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक जांच का परिणाम कोर्ट में जमा नहीं हुआ है। आवेदक का मानना है कि आरोपी राजस्थान के सत्ताधारी पार्टी का विधायक है और इस वजह से जांच को पूरा न होने देने का दवाब बनाया गया है। जीए-सह-एएजी ने इस संबंध में लगाए गए आरोपों से इनकार कर दिया और कहा है कि स्थिति का स्पष्ट करने के लिए थोड़ा और समय दिया जाए।

सरकारी वकील-सह-एएजी घनश्याम राठौड़ ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बताया कि जब कोर्ट ने उनसे पूछा कि अभी तक जांच की रिपोर्ट जमा क्यों नहीं हुई है? इसके बाद मैंने इस मामले की जांच के लिए सीआईडी और सीबी की टीम को मेल किया है।

पिछले साल 28 मार्च को हर्षाधिपति को धौलपुर के बाड़ी क्षेत्र में नियुक्त किया गया था, जहां बाड़ी विधायक मलिंगा ने उसपर हमला किया था। हालांकि इस हमले को लेकर अभी तक कोई चार्जशीट भी पेश नहीं की गई है।

हर्षाधिपति ने इसका कारण यह बताया कि विधायक मलिंगा कभी सीएम गहलोत के साथ मंच साझा कर रहा था तो कभी सचिन पायलट से मिल रहा था तो कभी भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ चल रहा होता था। इतने प्रभावशाली लोगों के साथ रहने का दबाव पुलिस प्रशासन पर भी पड़ा है।

राजस्थान सरकार द्वारा लंबे समय से बिजली बिल जमा करने वालों के घर जाकर बिल वसूल करने के लिए एक अभियान चलाया गया। धौलपुर जिले में बिजली विभाग के इस टीम में हर्षाधिपति भी शामिल थे। हर्षाधिपति ने आगे बताया कि मुझे अपने टीम के साथ उन गांवो में जाना था जहां पर लोगों ने काफी समय से बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है। उनसे बकाया चुकता का आग्रह करना था। इस अभियान के दौरान मैं कई गांव में गया, एक बात जो मुझे देखने को मिली वो ये कि लोग अक्सर मुझसे मेरी जाति पूछते। एक बार तो लोगों ने मुझे घेर लिया और कहने लगे की ठाकुरों के गांव में आने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? उस भीड़ में से एक ने फोन पर मेरी बात एक व्यक्ति से कराई जिसने अपने को विधायक मलिंगा बताया और बात करते हुए मुझे धमकी देने लगा।

राजपूत समुदाय से आनेवाले तीन बार के विधायक मलिंगा पर आरोप लगाते हुए हर्षाधिपति ने कहा कि 28 मार्च को, विधायक अपने कुछ सहयोगियों के साथ कार्यालय में घुस आए और उसपर हमला कर दिया। जिसके बाद हर्षाधिपति को पहले आगरा के अस्पताल में भर्ती कराया गया, फिर वहां से जयपुर स्थित एसएमएस अस्पताल में रेफर कर दिया गया।

हालांकि, मलिंगा ने हर्षाधिपति के द्वारा किये गए एफआईआर को झूठा और बेबुनियाद बताया और कहा कि भाजपा नेताओं के कहने पर उसका नाम एफआईआर में लिखा गया है।

विधायक मलिंगा के खिलाफ दर्ज एफआईआर एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम साथ-साथ अन्य आरोपों के तहत दर्ज की गई थी। इस दर्ज मामले को लेकर पुलिस ने एक्शन दिखाते हुए, अन्य आरोपियों को तो पकड़ लिया लेकिन विधायक मलिंगा को हाथ भी नहीं लगाया। हालांकि सीएम अशोक गहलोत से मिलने के बाद और मीडिया के सामने ‘मैं बेगुनाह हूं’ कहने के बावजूद, 11 मई, 2022 को मलिंगा ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

इसके एक दिन बाद, मलिंगा, जिसे धौलपुर की स्थानीय अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया था। उसका कोविड परीक्षण पॉजिटिव आया और उसे एक अस्पताल में रखा गया। गिरफ्तारी के एक हफ्ते के भीतर, मलिंगा को हाई कोर्ट के द्वारा जमानत दे दी गई।

(द इंडियन एक्सप्रेस के खबर पर आधारित।)

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