असम भाजपा के भीतर दो गुटों के बीच गहरी हो रही दरार

गुवाहाटी। असम भाजपा में पुराने नेताओं और हाल ही में दूसरी राजनीतिक पार्टियों से शामिल हुए नेताओं के बीच खींचतान तेज हो गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेन गोहाईं, असम भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और विधायक सिद्धार्थ भट्टाचार्य और पूर्व विधायक अशोक सरमा के बाद अब मोरीगांव के विधायक रमाकांत देवरी ने भाजपा छोड़ने की धमकी दी है। 

भले ही नेता चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन राज्य में पार्टी के नए और पुराने कार्यकर्ताओं के बीच मतभेद के कारण असम भाजपा एक गंभीर संकट का सामना करती दिख रही है।

काफी दिनों से भाजपा के पुराने कार्यकर्ता और पार्टी के वफादार आरोप लगाते रहे हैं कि नए कार्यकर्ता और जो अन्य दल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं, वे “पार्टी पर कब्ज़ा” करने की कोशिश कर रहे हैं और पुराने कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान नहीं दे रहे हैं।

असम भाजपा के भीतर दो गुटों के बीच गहरी होती दरार को और बढ़ाते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता और वफादार रमाकांत देवरी ने कहा, “मैं व्यक्तिगत रूप से विद्रोह नहीं करना चाहता। लेकिन जिस तरह से पार्टी काम कर रही है, उसे अस्त होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। अभी से ही लोगों ने पार्टी से किनारा करना शुरू कर दिया है। अगर मैं इस समय नहीं बोलूंगा तो यह गलत होगा।”

देवरी ने कहा कि “मैं ऐसी जगह क्यों रहूंगा, जहां कोई सुरक्षा नहीं है? अगर वे मुझे उचित सम्मान देंगे तो मैं कांग्रेस में भी शामिल हो सकता हूं। अगर वे मेरा सम्मान नहीं करेंगे तो मैं दूसरी पार्टी में शामिल हो जाऊंगा। वे जनजातियों से 90 प्रतिशत वोट पाकर असम में सत्ता में आये। लेकिन जब वे जनजातियों को धोखा देंगे, तो उन्हें माफ नहीं किया जाएगा”।

उन्होंने कहा कि “विधायक के रूप में हमें कुछ नहीं करना है। हम केवल विधेयकों को पारित कराने के लिए विधानसभा सत्र में भाग लेते हैं। हमारे पास कोई शक्ति नहीं है। हम किसी को चतुर्थ श्रेणी की नौकरी भी नहीं दे सकते। गांव बुराह की नियुक्ति भी नहीं कर सकते। लेकिन कुछ ने गुप्त रूप से बहाली की है। यह पहले ही उजागर हो चुका है। सच्चाई एक दिन सामने आ जाएगी।”

देवरी ने कहा कि “हमें ऐसी चीजों के बारे में बहुत पहले ही बात करनी चाहिए थी। मैं एकमात्र विधायक हूं, जो पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बोल रहा है।” राजेन गोहाईं और सिद्धार्थ भट्टाचार्य की शिकायतों को उचित ठहराते हुए उन्होंने कहा, कि “हर किसी की प्रासंगिकता है। लेकिन कोई बोलता नहीं। मैं नेतृत्व के खिलाफ बगावत नहीं करना चाहता, अगर मैं बगावत करता हूं तो पार्टी संकट में पड़ जाएगी।”

असम के भाजपा विधायक ने राजेन गोहाईं, सिद्धार्थ भट्टाचार्य और अशोक सरमा का जिक्र करते हुए कहा, “उन्होंने पार्टी को सत्ता में लाने के लिए कड़ी मेहनत की और बलिदान दिया। उन्होंने सरकार बनाई। अगर उन्हें पहचान नहीं मिली तो वे नाराज हो जायेंगे।”

उन्होंने आरोप लगाया कि “पुराने कार्यकर्ता ही नहीं विधायक और मंत्री भी दुखी हैं। किसी भी मंत्री या विधायक को किसी भी मामले पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है, उन्हें कोई स्वतंत्रता नहीं है।”

देवरी की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब असम भाजपा के वरिष्ठ मंत्री जैसे पीयूष हजारिका और जयंत मल्ल बरुवा ने दावा किया कि पार्टी के पुराने और नए कार्यकर्ताओं के बीच कोई विभाजन नहीं है और सभी मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में एकजुट होकर काम कर रहे हैं।

इस बीच भारतीय जनता पार्टी के एक नेता ने कथित तौर पर पुराने नेताओं और नई पीढ़ी के बीच बढ़ती खाई को पाटने के लिए असम में नाराज दिग्गजों के एक समूह से मुलाकात की। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा ने 29 अगस्त को गुवाहाटी में दो पूर्व राज्य अध्यक्षों राजेन गोहाईं और सिद्धार्थ भट्टाचार्य के साथ बंद कमरे में बैठक की।

बैठक में मोरीगांव निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी के विधायक रमा कांत देवरी, नलबाड़ी के पूर्व विधायक अशोक सरमा और पूर्व राज्य उपाध्यक्ष मनोज राम फुकन सहित कुछ अन्य नेता मौजूद थे। इनमें से कई नेता भाजपा की मूल विचारधारा के बारे में “गंभीर नहीं होने” के बावजूद पार्टी और राज्य में नए लोगों के प्रमुखता से उभरने के बारे में मुखर रहे हैं।

चार बार के सांसद राजेन गोहाईं ने राज्य की 126 विधानसभा और 14 संसद सीटों के परिसीमन के विरोध में असम खाद्य और नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया था। वह मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और उनके करीबी कुछ युवा मंत्रियों के भी आलोचक थे।

भट्टाचार्य ने बुधवार को पत्रकारों से कहा, “हमने पार्टी के बारे में पांडाजी के साथ अपने विचार साझा किए हैं।”

बताया गया कि पांडा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा के निर्देश पर बैठक के लिए गुवाहाटी पहुंचे थे।

गोहाईं ने कहा कि उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को अपनी चिंताओं से अवगत कराया है और नई दिल्ली में उनके साथ पार्टी को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा की है।

भाजपा के दिग्गज शिकायत करते रहे हैं कि “आयातित” नेताओं के कारण उन्हें पार्टी में अनावश्यक महसूस कराया जा रहा है। इशारा मुख्यमंत्री और कई विधायकों की ओर था जो एक दशक से भी कम समय पहले कांग्रेस छोड़कर आये थे।

इससे पहले राजेन गोहाईं ने नागांव लोकसभा क्षेत्र के परिसीमन के विरोध में असम खाद्य और नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। गोहाईं ने यह भी दावा किया कि भविष्य में पार्टी के लिए उस सीट से जीतना असंभव होगा। उन्होंने कहा कि पार्टी की राज्य इकाई में किसी को भी पूर्ण शक्ति नहीं दी जानी चाहिए। पूर्व रेल राज्य मंत्री ने कहा कि परिसीमन के संबंध में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के साथ उनकी चर्चा का कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला।

सरमा को लिखे एक पत्र में गोहाईं ने कहा कि हालिया परिसीमन प्रक्रिया ने नगांव लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र को भविष्य में भाजपा उम्मीदवारों के लिए प्रतिकूल बना दिया है और जनसांख्यिकीय परिवर्तन के कारण निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को भी खतरे में डाल दिया है।

सरमा को लिखे उनके पत्र में कहा गया है, “आपके साथ कई दौर की चर्चा के बावजूद मुझे डर है कि नागांव लोकसभा क्षेत्र के गठन के तरीके पर मेरी चिंताओं और गहरे असंतोष से कोई बदलाव नहीं आया।”

(दिनकर कुमार द सेंटिनेल के पूर्व संपादक हैं और आजकल गुवाहाटी में रहते हैं।)

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