नई दिल्ली। मणिपुर में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। केंद्र सरकार की बेरुखी और राज्य सरकार की नाकामी ने सूबे को नरक में तब्दील कर दिया है। अभी तक जो विरोध-प्रदर्शन था वह सड़कों और आंदोलन तक सीमित था। लेकिन अब वह हवा से जमीन पर मार में बदल गया है। आलम यह है कि हमलों में बड़े पैमाने पर रॉकेट लांचरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। रोजाना हो रहे इन हमलों में नागरिकों की कीमती जान जा रही है।
हालात यहां तक पहुंचने के बाद अब मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को लगा कि कुछ करना चाहिए तो उन्होंने राजभवन का दरवाजा खटखटाया है। गवर्नर एलपी आचार्य से उनकी मुलाकात हुई है और उनके साथ सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य और बीजेपी विधायक भी इस मुलाकात में शामिल थे। तकरीबन 90 मिनट चली इस वार्ता में क्या बातचीत हुई अभी तक उस पर कयास ही लगाए जा रहे हैं। इस तरह से अब तक मुख्यमंत्री और गवर्नर के बीच दो बार बैठक हो चुकी है।
इस बीच खबर आयी है कि सुरक्षा बलों को राकेटों का काउंटर करने के लिए पूरी छूट दे दी गयी है।पिछले सप्ताह से कुकी इलाके से मैतेई इलाकों में ड्रोनों से हमला हो रहा है। पिछले शनिवार को इसी तरह के हमले में जिरिबम जिले में छह लोगों की मौत हो गयी।
उधर राजभवन ने जरूर एक छोटी विज्ञप्ति जारी की थी जिसमें कहा गया था कि “सत्तारूढ़ विधायक, मंत्रिमंडल के सदस्य और स्पीकर के साथ चीफ मिनिस्टर एन बीरेन सिंह ने मणिपुर के गवर्नर लक्ष्मण प्रसाद आचार्य से इंफाल में आज मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा।”
इंफाल में मौजूद बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि सत्तारूढ़ विधायकों की शायद मांग यह है कि यूनिफाइड कमांड राज्य सरकार को सौंप दिया जाए जिससे कारगर तरीके से परिस्थिति को संभालने के साथ सूबे में शांति की बहाली की जा सके।
मौजूदा समय में सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह कमांड को हेड कर रहे हैं। और वही सारी योजना बनाते हैं और उनको लागू करवाते हैं। 3 मई, 2023 को शुरू हुए इस जातीय संघर्ष में अब तक 234 लोगों की मौत हो चुकी है और 60 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं।
मैतेई संगठन और बीजेपी नेता राज्य सरकार की और बढ़ी भूमिका चाहते हैं। कोआर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटिग्रिटी (कोकोमी) ने शनिवार को केंद्र सरकार की सलाह पर नियुक्त किए गए सुरक्षा सलाहकार और डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस राजीव सिंह के इस्तीफे की मांग की है।
मैतेई आधारित सिविल सोसाइटी संगठनों के नेतृत्व में कोकोमी सूबे के उम्रदराज लोगों का एक संगठन है। उसने कहा कि राजीव और कुलदीप को इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि 16 महीने बाद भी वो हिंसा को रोक पाने में नाकाम रहे हैं। इसके साथ ही वह हवाई हमलों और ड्रोन से बमों के गिराए जाने और रॉकेट चालित बमों के हमलों को रोकने में पूरी तरह से असफल रहे हैं। इन घटनाओं ने लोगों में भय को और बढ़ा दिया है। कोकोमी ने शांति की बहाली के लिए सूबे की सरकार को और ज्यादा अधिकार देने की मांग की है।
हालांकि यूनीफाइड कमांड को बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को सौंपने की मांग केंद्र को असमंजस में डाल सकती है।
कुकी-जो संगठन या तो बीरेन सिंह का विरोध करेंगे या फिर किसी भी राज्य के कैडर वाले पुलिस अफसर को उसे नहीं देना चाहेंगे।
कुकी-जो राज्य में इस बवाल के लिए बीरेन सिंह को ही जिम्मेदार मानते हैं। वो हाल के ड्रोन हमलों के लिए मैतेई रेडिकल समूहों को जिम्मेदार ठहराते हैं।
ज्ञापन में एक और मांग जो हो सकती है वह कुकी-जो अतिवादियों और सरकार के बीच ऑपरेशन के निलंबन को खत्म करना शामिल है। इसके अलावा भारत-म्यानमार की सीमा को सील करना, अवैध घुसपैठियों को बाहर करना और एनआरसी को लागू करने जैसी मांगें हो सकती हैं। दूसरी चीजों के लिए मैतेई म्यानमार से होने वाली घुसपैठ को भी मौजूदा बवाल के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं।
तीन बम धमाकों के बाद मुख्यमंत्री और गवर्नर आचार्य की बैठक हुई है। दो इंफाल बेस्ट जिले में फटे जहां रविवार और सोमवार को बमों को ड्रोनों के जरिये गिराया गया था। इसके अलावा विशनपुर जिले में शुक्रवार को लंबी दूरी का एक रॉकेट बम गिराया गया था।
इन हमलों में दो नागरिकों की मौत हुई है और 12 लोग घायल हुए हैं। पुलिस के मुताबिक इन हमलों को कुकी-जो से जुड़े संदिग्ध चरमपंथियों ने अंजाम दिया है।
मणिपुर पुलिस ने शुक्रवार की रात को बताया कि असम राइफल्स ने इन ड्रोनों को रोकने के लिए फायरिंग इलाके में एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात कर रखा है। सीआरपीएफ ने एक एंटी ड्रोन सिस्टम का परीक्षण किया है और उन्हें राज्य में तैनात पुलिस बल को मुहैया कराया है।
इसमें आगे कहा गया है कि बहुत जल्द ही सीआरपीएफ द्वारा सूबे में कुछ और एंटी ड्रोन गन लायी जा रही है। राज्य की पुलिस ने सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिए एंटी ड्रोन सिस्टम की खरीदारी की योजना बनायी है।
एंटी ड्रोन सिस्टम ऐसी चीज है जिसके पास ड्रोनों के खतरों और दूसरे मानव रहित हवाई वाहनों को चिन्हित करने और फिर उन्हें नाकाम करने समाधान है।
(ज्यादातर इनपुट दि टेलीग्राफ से लिए गए हैं।)