Thursday, April 18, 2024

पहले मासूम को अगवा किया, पहचाने जाने पर कर दी हत्या

रांची। एक शख्स ने फिरौती के लिए पहले तो आठ साल के मासूम को अगवा किया और फिर पहचाने जाने के बाद बेरहमी से उसकी हत्या कर दी। दरअसल वो शख्स जिस घर में पहले किरायेदार था उसी के इकलौते बेटे को अगवा किया था। मामला 3 मार्च का है जब 8 साल का शौर्य बिस्कुट लाने के लिए अपने घर से बाहर निकला था उसी समय उसका अपहरण कर लिया गया।    

जिसके बाद सात मार्च को रांची के नगड़ी के सपारोम स्थित तालाब में बोरे में बंद मासूम शौर्य की लाश मिली। लाश को देखने से ही हत्यारे की क्रूरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। बच्चे का मुंह बैंडेज से बंद था, हाथ और पैर को पीछे कर सेलो टेप से बांध दिया गया था।

आठ वर्षीय शौर्य बरियातू थाना क्षेत्र के रामनगर एदलहातू निवासी राजू गोप का इकलौता बेटा था। वह डीएवी गांधीनगर में दूसरी कक्षा में पढ़ता था। जिसे 3 मार्च को उसके ही घर के पास से अगवा कर लिया गया था। 

बताया जा रहा है कि बरियातू पुलिस अगर मामले को गंभीरता से लेती तो शौर्य की जान बच सकती थी। समय पर अपहरण की सूचना देने के बाद भी पुलिस उस कार की तलाश नहीं करके जिससे मासूम को अगवा किया गया था, दो दिनों तक सिर्फ राजू गोप से पूछताछ कर एंगल तलाशती रही। उधर हत्यारा बच्चे को कार से अगवा कर ले गया और हत्या कर शव को सपारोम में फेंक दिया।

राजू गोप आरजेडी नेता हैं और लालू प्रसाद को जमानत दिलाने के लिए उनके बेलर भी बने थे। उन्होंने बरियातू पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। राजू गोप ने बताया कि तीन मार्च को उनका बेटा शौर्य शाम के 7:45 बजे घर से बाहर बिस्कुट लाने के लिए मुहल्ले की एक दुकान पर गया था। थोड़ी देर में जब वह घर नहीं लौटा, तो हम उसे ढूंढने निकले। कुछ देर तक तलाश करने के बाद जब वह कहीं नहीं मिला तो हम करीब एक घंटे बाद बरियातू थाना पहुंचे और वहां बेटे के लापता होने की सूचना दी।

राजू गोप ने बताया कि पुलिस ने घटना को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं ली और न ही कोई सक्रियता दिखायी। इसके बाद हम घर लौट आए और उसी दिन खुद सीसीटीवी फुटेज की तलाश में जुट गये। इसी दौरान सीसीटीवी फुटेज से ही बेटे के अपहरण की जानकारी मिली। जिसमें एक कार सवार व्यक्ति शौर्य को अगवा करता दिखा।

थोड़ी देर में ही बरियातू पुलिस को वह फुटेज देकर अपहरण की बात बतायी। इसके बाद भी पुलिस ने अपहरण के लिए इस्तेमाल किए गए कार की तलाश नहीं की और न ही रांची में वाहन चेकिंग अभियान शुरू किया गया। पुलिस चार मार्च को प्राथमिकी दर्ज कर मेरे घर पहुंची।

इसके बाद पुलिस राजू गोप के अगवा बेटे की तलाश करने की बजाये राजू गोप से ही पूछताछ कर उन्हें परेशान करने लगी। पुलिस ने राजू गोप से पहले पूछा कि आपको किसी पर संदेह तो नहीं। घटना के पीछे किसी परिचित का हाथ तो नहीं। आपसे किसी की पुरानी दुश्मनी तो नहीं। तब राजू गोप ने पुलिस से कहा कि उनकी कभी किसी से कोई दुश्मनी नहीं हुई है और किसी पर संदेह भी नहीं है।

तब पुलिस परिचित के एंगल पर जांच शुरू करते हुए और फिरौती के लिए अपहरणकर्ता का फोन परिजनों के पास आने का इंतजार करने लगी। लेकिन जब किसी अपहरणकर्ता का फोन नहीं आया, तब पुलिस अधिकारियों ने पांच अप्रैल से मामले को गंभीरता से लिया। इसके बाद बरियातू थाना प्रभारी को केस में सहयोग करने के लिए इंस्पेक्टर रैंक के अतिरिक्त पुलिस पदाधिकारी को भेजा गया।

छह अप्रैल की रात पुलिस को अपहरण के पीछे संजीव कुमार पंडा का हाथ होने की जानकारी मिली। जिसके बाद उसके घर पर छापेमारी की गयी, लेकिन वह नहीं मिला। इसके बाद पुलिस ने सात मार्च की सुबह नगड़ी के सपारोम तालाब से शौर्य का शव बरामद किया। 

राजू गोप बताते हैं कि उनके बेटे की हत्या के बाद पुलिस ने जितनी सक्रियता दिखायी और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, उतनी सक्रियता अगर पुलिस ने अपहरण के तुरंत बाद दिखायी होती, तो आरोपी रिंग रोड में ही पकड़ा जाता और शौर्य की जान बच जाती।

शौर्य की हत्या का आरोपी संजीव कुमार पंडा उर्फ संजू पंडा को पुलिस ने कोडरमा से गिरफ्तार कर लिया है। संजीव कुमार पंडा ने पुलिस को बताया कि अपहरण के एक घंटे बाद ही उसने शौर्य की हत्या कर दी थी। उसने कहा कि अगवा करने के बाद शौर्य ने उसे पहचान लिया था और काफी शोर मचाने लगा था। वह उससे संभल नहीं रहा था। इस कारण बोड़ेया रोड में ही गला दबा कर उसकी हत्या कर दी थी। दरअसल आरोपी संजीव कुमार पंडा पहले राजू गोप के घर में किराये पर रहता था।

एसएसपी ने बताया कि अपहरण के लिए आरोपी ने रातू रोड के टूर एंड ट्रेवल्स एजेंसी से किराये पर कार ली थी। पुलिस को चकमा देने के लिए कार में बिहार का नंबर लगा दिया गया था। उन्होंने कहा कि आरोपी संजीव जानता था कि हर दिन शाम में शौर्य सामान लेने के लिए घर से बाहर निकलता है। एक मार्च को उसने अपनी बाइक और दो मार्च को कार से शौर्य की रेकी की थी। मौका देख कर उसने तीन मार्च को शौर्य का अपहरण कर लिया।

उसे लेकर वह बोड़ेया होते हुए रिंग रोड पकड़ कर पुंदाग की ओर जा रहा था। इस दौरान शौर्य शोर मचाने लगा, तो संजीव ने गला दबा कर उसकी हत्या कर दी। हत्या करने के बाद शव को बोरा में डाल कर रस्सी से बांध दिया। बोरा को भारी करने के लिए उसमें शव के साथ ईंट डाल कर नगड़ी की ओर ले गया और सपारोम तालाब में फेंक कर भाग गया।

पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी ने ग्रेजुएशन के बाद एमबीए की पढ़ाई की थी और बेंगलुरु की कंपनी में काम करने लगा था, लेकिन कोविड महामारी के दौरान उसकी नौकरी चली गई। जिसके बाद वह रांची आ गया और यहां वह राजू गोप के घर पर ही किराये पर रहने लगा था। इस दौरान राजू गोप से उसकी नजदीकियां बढ़ गईं।

उसे राजू गोप की आर्थिक हैसियत का आभास हो गया था। हालांकि उसकी आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण कुछ महीनों बाद उसने राजू गोप (शौर्य के पिता) का मकान छोड़ दिया और वह पुन्दाग इलाके में रहने लगा। इस बीच पिछले साल आरोपी की शादी हो गई लेकिन पैसों की कमी होने कारण वह अपनी पत्नी को घुमाने और दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी दोस्तों से कर्ज उठाने लगा।

इसके अलावे आरोपी ने बैंक से भी कर्ज ले रखा था। बाद में जब लोग अपने पैसों की मांग करने लगे तो आरोपी ने 9 साल के मासूम शौर्य के अपहरण की साजिश रची। हालांकि जब आरोपी ने शौर्य का अपहरण किया तो उसने आरोपी को पहचान लिया था। जिस कारण आरोपी ने कुछ ही देर में उसकी हत्या कर दी।

शौर्य के अपहरण और हत्या के मामले में एदलहातू टीओपी प्रभारी जमादार विजय पांडेय को लापरवाही बरतने के आरोप में एसएसपी किशोर कौशल ने लाइन हाजिर कर दिया है। बरियातू थाने से रिपोर्ट दी गयी थी कि सात मार्च को शव मिलने के बाद एदलहातू में हुए हंगामे को वह नहीं संभाल पाये।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।) 

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