जैन धर्मावलंबियों की संस्थाओं के खिलाफ एक दिवासीय सांकेतिक मधुबन बंद

Estimated read time 1 min read

झारखंड के गिरिडीह अंतर्गत मधुबन, जैन धर्मावलंबियों का विश्व स्तरीय धर्म स्थल के रूप में जाना जाता है। जैन धर्मावलंबियों के धर्म स्थल पर स्थित तीन संस्थाओं के सभी कर्मचारी चार महीने से ‘अनिश्चितकालीन असहयोग आंदोलन’ पर हैं। कारण है इन सस्थाओं में कार्यरत मजदूरों को उनकी न्यूनतम मजदूरी एवं स्थायी कर्मचारियों को उनकी अन्य सुविधाओं को नहीं देना।

इस ‘अनिश्चितकालीन असहयोग आंदोलन’ की कड़ी में 20 फरवरी को इन मजदूरों द्वारा झारखंड क्रांतिकारी मजदूर यूनियन के बैनर तले एक दिवासीय सांकेतिक मधुबन बंद किया गया। इसके तहत इन जैनियों की संस्थाओं के भीतर मजदूरों ने कोई काम नहीं किया, इन संस्थाओं के मुख्य द्वार पर ताले लटके रहे। यूनियन द्वारा की गई एक दिवसीय हड़ताल से बाजार को दूर रखा गया तथा वाहनों को चलने दिया गया। इस बंद में मुख्य रूप से संस्थाओं के अंतर्गत आने वाले कामकाज ही प्रभावित हुए।

बताते चलें कि गिरिडीह जिले का पारसनाथ पर्वत 1350 मीटर ऊंचा है, जो जैन धर्मावलंबियों का विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। जैन धर्म में इस पर्वत को श्री सम्मेद शिखरजी के नाम से जाना जाता है और जैन धर्मावलंबियों का मानना है कि यहीं पर जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की थी। इस पहाड़ की तलहटी में बसा है मधुबन, जहां पर जैनियों द्वारा 35-36 संस्थाएं है। प्रत्येक संस्था अलग-अलग ट्रस्ट द्वारा संचालित होती हैं। लोग बताते हैं कि इन ट्रस्टों के ट्रस्टी सिर्फ दिखावे के होते हैं, ट्रस्ट का अध्यक्ष या सचिव ही इस संस्था का मुख्य मालिक होता है। संस्था में काफी पैसा भी आता है।

मधुबन में स्थित तमाम संस्थाओं में सुरक्षा गार्ड, ऑफिसकर्मी, सफाईकर्मी, पुजारी, रसोड़ा, माली, ड्राइवर, बिजलीकर्मी आदि जैसे स्थायी और अस्थायी कर्मचारी काम करते हैं, जिनकी संख्या लगभग पांच हजार है।

बता दें कि मधुबन से जैन तीर्थयात्रियों को पर्वत का परिभ्रमण और वंदना कराने में लगभग 10 हजार डोली मजदूर लगे हुए हैं, जो पहाड़ की चढ़ाई नौ किलोमीटर, पहाड़ पर स्थित जैन मंदिरों की परिक्रमा नौ किलोमीटर और फिर पहाड़ से उतराई नौ किलोमीटर यानी कुल 27 किलोमीटर की यात्रा अपनी डोली पर बैठाकर करते हैं। प्रत्येक वर्ष देश-विदेश के लाखों जैन तीर्थ यात्री मधुबन आते हैं और जैनियों द्वारा संचालित संस्थाओं में रूक कर श्री सम्मेद शिखर (पारसनाथ पर्वत) का भ्रमण करते हैं, मधुबन के आस-पास के गांवों के लाखों लोगों का जीवन यापन इन्हीं यात्रियों से जुड़ा हुआ है।

मधुबन के तमाम संस्थाओं के कर्मचारी और डोली मजदूर भी ट्रेड यूनियन मजदूर संगठन समिति से शुरुआत से जुड़े हुए थे, लेकिन झारखंड सरकार द्वारा 22 दिसंबर 2017 को मजदूर संगठन समिति पर प्रतिबंध लगने के बाद अभी वर्तमान में ट्रेड यूनियन झारखंड क्रांतिकारी मजदूर यूनियन से जुड़े हुए हैं।

मजदूर अपने न्यूनतम मजदूरी व अन्य मांगों को लेकर पिछले कई महीनों से लगातार आंदोलनरत रहे हैं। आंदोलन में बैठे तीन संस्था के कर्मचारियों के समर्थन में मजदूर यूनियन ने 20 फरवरी को मधुबन में कार्यरत स्थायी और अस्थायी कर्मचारी, डोली मजदूर और अन्य सभी तबके के मेहनतकश अवाम को गोलबंद कर एक दिवसीय बंद बुलाया।

20 फरवरी को प्रातः बंद के पश्चात कर्मचारी मधुबन स्थित हटिया मैदान में गोलबंद होकर मजदूर यूनियन के नेतृत्व में बैठक की। बैठक में कर्मचारियों की समस्या को लेकर आगे के आंदोलन की रूप रेखा निर्धारित की गई। बैठक में मजदूर यूनियन के अलावा माले के भी जिला से कई पदाधिकारी शामिल थे, जिन्होंने पार्टी की ओर से मजदूरों के इस आंदोलन में अपना भरपूर समर्थन देने की घोषणा की।

बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार मजदूर यूनियन के शाखा सचिव ने बताया कि जिन तीन संस्था के मजदूर पिछले कई महीनों से आंदोलन में बैठे हैं और जिन मजदूरों को अकारण कार्य से हटा दिया गया है, उन संस्थाओं के ट्रस्ट को चार मार्च तक का समय दिया जाता है। चार मार्च तक कर्मचारियों की समस्या का निराकरण जैन संस्था के ट्रस्ट कर देती है तो ठीक, अन्यथा पांच मार्च को मधुबन जैन संस्था समेत मधुबन बाजार और वाहन आदि पूर्ण रूप से बंद किया जाएगा।

(रांची से जनचौक संवाददाता की रिपोर्ट।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author