झारखंड में आदिवासियों ने मोदी को नकारा सभी आरक्षित सीटों पर जीती इंडिया गठबंधन

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झारखंड। झारखंड में लोकसभा की 14 सीटों में से पिछले 2019 के चुनाव में भाजपा को 11 सीटें मिली थी, एनडीए की बात करें तो एक सीट आजसू पार्टी के हिस्से में आई थी। वहीं कांग्रेस को सिंहभूम और जेएमएम को राजमहल से संतोष करना पड़ा था। दोनों सीटें अनुसूचित जनजाति यानी आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित थी।

इस बार यानी 2024 लोकसभा चुनाव में राज्य के आरक्षित सभी पांच सीटों पर भाजपा को करारी हार मिली यानी आदिवासी समुदाय पर मोदी के भाषणों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। जबकि उन्होंने अपने भाषणों को बार-बार दुहराया कि कांग्रेस सत्ता में आई तो आदिवासियों का आरक्षण खत्म कर देगी और सब कुछ घुसपैठियों को दे देगी। और भी कई भड़काऊ बातें उन्होंने कही। लेकिन अंततः इसका कोई भी असर आदिवासी वोटरों पर नहीं पड़ा।

इस लोकसभा चुनाव में भाजपा के कई ऐसे चेहरे थे जिसे मतदाता जानते भी नहीं थे। कहने का मतलब यह है कि एक तरफ इस चुनाव में मोदी थे और दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार।
मैंने जब मतदाताओं से बात की तो भाजपा को वोट देने वालों ने साफ कहा उम्मीदवार कौन है वे नहीं जानते उन्होंने मोदी को वोट किया है। वहीं गठबंधन को वोट करने वालों साफ कहा कि उन्होंने बढ़ती मंहगाई, बेरोजगारी के खिलाफ बदलाव के लिए वोट किया है।

इन तमाम घटनाक्रम के बीच भी इस बार भाजपा को 8 सीटें मिली, जबकि एनडीए का सहयोगी दल आजसू पार्टी को एक सीट मिली। वहीं आरक्षित पांच सीटों में झामुमो ने 3 सीटों, राजमहल, दुमका और सिंहभूम पर तथा कांग्रेस ने 2 सीटों खूंटी और लोहरदगा पर जीत दर्ज की। इस चुनाव में सबसे बड़ा झटका केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को लगा है, उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र खूंटी से हार का सामना करना पड़ा।

इस बीच बात करें गांडेय विधानसभा उपचुनाव की तो पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी और झामुमो प्रत्याशी कल्पना सोरेन ने भाजपा के दिलीप वर्मा को शिकस्त देते हुए गांडेय विधानसभा सीट अपने कब्जे में कर ली।

वहीं राज्य में इस बार के लोकसभा चुनाव में कोडरमा लोकसभा सीट काफी चर्चे में रहा। यह सीट चुनाव के दौरान जितना चर्चा में रहा वहीं अब चुनाव के बाद भी उतना ही चर्चा में है। कारण है इंडिया गठबंधन से भाकपा माले के उम्मीदवार विनोद कुमार सिंह का हारना।

यहां भाजपा की अन्नपूर्णा देवी को कुल 7,91,657 मत मिले हैं और माले के विनोद कुमार सिंह को 4,14,643 मत मिले हैं। हालांकि हार का अंतर 3,77,014 का है बावजूद राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विनोद कुमार सिंह की हार भी सम्मानजनक इसलिए है कि कोडरमा में इस चुनाव से पूर्व दूसरे स्थान पर रहने वाले किसी भी उम्मीदवार ने 4 लाख का आंकड़ा नहीं छुआ है।

कोडरमा लोकसभा सीट के लिए वर्ष 2024 में मतदाताओं की कुल संख्या 22,06,318 रही।  जिसमें से 11,40,049 पुरुष और 10,65,246 महिलाओं और 23 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल थे। जिसमें से 82,337 मतदाता 18 से 19 वर्ष के रहे जिन्होंने पहली बार वोट डाला। वहीं 5,71,808 मतदाता 20 से 29 वर्ष आयु वर्ग के रहे जिन्हें निर्णायक मतदाता माना जा रहा है।
यह आंकड़ा इसलिए प्रासंगिक है कि इससे माले को यह समझने में सुविधा होगी कि आखिर उनसे चूक कहां हुई? किन-किन मतदाताओं को वे समझाने में नाकाम रहे कि उन्हें माले को वोट क्यों करना है?

कहना ना होगा कि एक चर्चित कहावत “हमाम में सभी नंगे हैं” को हम मान लें तो कुछ अपवादों को छोड़कर लगभग सभी राजनीतिक दल के लोग भ्रष्टाचार की गंगोत्री में आकंठ डूबे हुए हैं। बावजूद मोदी शासन में भ्रष्टाचार के आरोप में केवल विरोधियों के खिलाफ ही कारवाई होती रही है। वहीं सत्ता के अलोकतांत्रिक और फासीवादी चरित्र के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रगतिशील व जनवादी लोगों को देशद्रोही करार देकर जेलों में डाला जाता रहा है, उनके विचारों को कुंद करने की कोशिश की जाती रही है। न्यायपालिका हो या कार्यपालिका सभी का विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता रहा है। इनमें भी कुछ अपवाद हैं जिनका अस्तित्व नहीं के बराबर है। वहीं इन 10 सालों में सरकार की सभी संस्थानों का भगवाकरण किया जा चुका है।

तो क्या एनडीए के अंग बने गैर भाजपा दलों में इसे लेकर कोई हलचल है या वे खुद के लिए मौका का फायदा उठाने में लगे हैं? अगर वे इस प्रक्रिया में लगे हैं तो भी यह देश के भविष्य के लिए खतरनाक है।

ऐसे में अब एनडीए के अंग बने सहयोगी दलों को भी सोचना होगा।

इन तमाम हलचलों के बीच “जनमत मोदी सरकार के विरुद्ध है, भाजपा गद्दी छोड़े” के नारे साथ लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान झारखंड ने कहा है कि लोकसभा 2024 का परिणाम साफ़ रूप से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के विरुद्ध है। यह चुनाव शुरू से ही जनता बनाम भाजपा और मोदी था और जनता ने मोदी सरकार को नाकारा है। जिन परिस्थितियों में भाजपा 240 सीटों तक सिमट गयी है और इंडिया (INDIA) गठबंधन को 232 सीटें मिली हैं, यह चुनाव भाजपा और मोदी के लिए प्रचंड हार से कम नहीं है।

मोदी सरकार ने ED व CBI का दुरुपयोग कर लगातार विपक्ष को ख़त्म करने की कोशिश की। लोकप्रिय विपक्षी मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार किया। चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस पार्टी के बैंक खातों को सील कर दिया। देश के सभी लोकतांत्रिक व संवैधानिक संस्थाओं को लगातार कमज़ोर किया। अभिव्यक्ति की आज़ादी पर बार-बार  हमला किया। विभिन्न न्यायालय संविधान के विपरीत मोदी सरकार के पक्ष में कार्य करने लगे। चुनाव आयोग ने अपनी निष्पक्ष भूमिका के विपरीत भाजपा के एजेंट के रूप में काम किया और अधिकांश मुख्यधारा मीडिया पत्रकारिता छोड़कर मोदी सरकार और भाजपा के पक्ष में प्रचार करने में व्यस्त रहे। ऐसी परिस्थितियों में भी 232 सीट जीतने के लिए लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान INDIA गठबंधन को बधाई देता है। अगर लोकतांत्रिक परिस्थितियां स्वस्थ रहती, तो भाजपा इससे बहुत कम सीटें जीतती और INDIA गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलता।

मोदी समेत पूरी भाजपा इस बार चुनाव ‘400 पार’ के नारे पर लड़ी। भाजपा ने पूरा चुनाव मोदी पर केन्द्रित किया। प्रधान मंत्री का खुद का वाराणसी में जीतने का मार्जिन 2019 में 4.5 लाख से कम होकर 2024 में 1.5 लाख हो जाना यह इंगित करता है कि मोदी का झूठ का मुखौटा उतरने लगा है। अयोध्या सीट पर भाजपा की हार मोदी और भाजपा की साम्प्रदायिकता और नफरती चुनावी अभियान का करारा जवाब है।

2004 के बाद झारखंड में पहली बार पांचों आदिवासी सीटों पर भाजपा को मिली कड़ी हार दर्शाता है कि आदिवासी जनता ने मोदी सरकार को नकारा है। अभियान का मानना है कि अगर राज्य के INDIA गठबंधन दल समय से जनता की मांग अनुरूप गठबंधन और प्रत्याशी तय कर लेते एवं थोड़ी और ज़मीनी मेहनत करते, तो भाजपा कुछ और सीटों पर भी हारती।

जनता का जनमत भाजपा के विरुद्ध है। इसलिए भाजपा को केंद्र में सरकार नहीं बनानी चाहिए। लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान INDIA गठबंधन और सभी गैर-भाजपा दलों से अपील करता है कि वे आपस में चर्चा कर सरकार बनाएं। अभियान का यह भी मानना है कि जिनकी भी सरकार बने, वे मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों को रद्द करे और संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्था को पूर्ण रूप से बहाल करे।

(विशद कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं और झारखंड में रहते हैं।)

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