लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के महासचिव कामरेड सीताराम येचुरी की स्मृति में गुरुवार, 19 सितंबर 24 को एक स्मृति सभा का आयोजन सीपीएम लखनऊ कमेटी द्वारा सीपीएम कार्यालय में किया गया। इस मौके पर विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों के अतिरिक्त सामाजिक व सांस्कृतिक संगठनों सहित शहर के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हुए।
स्मृति सभा में सबसे पहले सीपीएम जिला सचिव मधु गर्ग द्वारा एक शोक प्रस्ताव पढ़ा गया जिसमें कामरेड सीताराम येचुरी के आरंभिक जीवन से लेकर छात्र आंदोलन और उनकी राजनैतिक यात्रा तथा गठबंधन की राजनीति में उनकी भूमिका पर बात की गई। कामरेड सीताराम की स्मृति में दो मिनट के मौन के बाद उनको श्रद्धांजलि दी गई।
स्मृति सभा में बोलते हुए सीपीएम राज्य सचिव मंडल के सदस्य कामरेड बाबूराम ने उनकी राजनैतिक दृढ़ता और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के लिए उनके संघर्षों को याद किया। प्रो. नदीम हसनैन ने कैफ़ी आज़मी के शेर को पढ़ते हुए उन्हें याद किया। सपा नेता वंदना मिश्रा ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के दिनों की याद करते हुए कहा कि 1977 में इमरजेंसी के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से सीताराम येचुरी ने छात्रों के जुलूस के साथ उनके घर जाकर कुलपति पद से इस्तीफा मांग कर अपनी राजनैतिक निडरता का परिचय दिया था।

इप्टा के राकेश ने उनके बहुआयामी व्यक्तित्व की चर्चा की। उनकी सहृदयता और ईमानदार प्रतिबद्धता के कारण उनके दोस्तों का दायरा बहुत व्यापक था। हिंदी आलोचक वीरेंद्र यादव ने कहा कि सीताराम येचुरी गठबंधन की राजनीति के सूत्रधार थे।कांग्रेस के दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय के दिनों में कामरेड सीताराम येचुरी उन्हें प्रेरित करते थे। समाजवादी छात्र सभा के महेंद्र यादव ने कहा कि येचुरी छात्र आंदोलन के प्रेरणास्रोत थे।
स्मृति सभा को संचालित करते हुए नलिन रंजन सिंह ने कहा कि दिल्ली में उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देने इंडिया गठबंधन के दलों के अतिरिक्त देश के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवी भी आये जो उनकी लोकप्रियता को बताते हैं।
दिनकर कपूर ने कहा कि वे एक राजनीतिज्ञ होने के साथ साथ बहुत अध्ययनशील थे। वह कई भाषाओं के ज्ञाता थे तथा कई किताबों के लेखक थे। स्मृति सभा में अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, एसएफआई, नौजवान सभा, किसान सभा, लेखक संगठन, कर्मचारियों के संगठनों सहित शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
स्मृति सभा में शोक प्रस्ताव
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) लखनऊ जिला कमेटी सीपीएम के महासचिव कामरेड सीताराम येचुरी के निधन पर गहरा शोक प्रकट कर श्रद्धांजलि अर्पित करती है। वह 72 वर्ष के थे। उनकी इच्छा के अनुरूप उनके पार्थिव शरीर को एम्स को दान कर दिया गया है।
वे सीपीआई (एम) के सर्वाेच्च नेता, वामपंथी आंदोलन के एक असाधारण नेता, जाने-माने मार्क्सवादी सिद्वांतकार, लेखक, पत्रकार, संपादक और उच्च कोटि के वक्ता थे। मौजूदा राजनीति के इस महत्वपूर्ण मुकाम पर कामरेड सीताराम येचुरी का असामायिक निधन सीपीएम के लिए एक बडा धक्का है और वामपंथी जनतांत्रिक तथा धर्मनिरपेक्ष ताकतों की एक बहुत भारी क्षति है।
हाल के दिनों में कामरेड येचुरी की धर्मनिरपेक्ष पार्टियों की एक व्यापक एकता के निर्माण में जिसने, इंडिया ब्लाक का रूप लिया, महत्वपूर्ण भूमिका थी। इससे पूर्व संयुक्त मोर्चा सरकार के दौर में और आगे चलकर यूपीए सरकार के दौर में भी कामरेड सीताराम (सीपीएम इन गठबंधनों को समर्थन दे रही थी) मुख्य वार्ताकार और न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाने वालों में से एक थे। वे गठबंधन की राजनीति के प्रबल पक्षधर थे। वे अक्सर त्रोत्स्की को कोट करते हुए कहते थे March seperately but strike together। न्यूनतम साझा कार्यक्रम से ही स्वामीनाथन कृषि आयोग, सूचना का अधिकार कानून, मनरेगा, वनाधिकार और खाद्यान्न सुरक्षा कानून, जैसे जनहित के कदम उठाये गये।
सीताराम का जन्म तेलुगू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके माता पिता दोनों ही सरकारी अधिकारी थे। वे धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के कितने प्रबल समर्थक थे यह उनके राज्य सभा सांसद के रूप में दी गई आखिरी स्पीच से पता लगता है जब वे कहते हैं कि उनका जन्म तेलुगू ब्राह्मण परिवार में हुआ था, विवाह सूफी परंपरा को मानने वाले मुस्लिम परिवार में हुआ तो उनका बेटा क्या कहलायेगा। निश्चित रूप से भारतीय कहलायेगा।
कामरेड सीताराम एक प्रतिभाशाली छात्र थे। उन्होंने हर परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की थी। सीबीएससी में देश में टापर थे। वह 19़74 में जेएनयू के छात्र आंदोलन में शामिल हुये और तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गये। वह 1984-86 तक एसएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे और इस संगठन को देश में बड़ी तादाद में छात्रों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
कामरेड येचुरी 1975 में सीपीएम में शामिल हो गये थे। उन्हें इमरजेंसी के दौरान जेल भी काटनी पड़ी। इमरजेंसी के बाद 1977 की वह ऐतिहासिक तस्वीर आज बहुत वायरल हो रही है जब वे छात्रों की भीड़ के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को एक पत्र पढ़कर सुना रहे हैं जिसमें वे जेएनयू के छात्रों की ओर से उनसे जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति पद से इस्तीफा मांग रहे हैं। एक 23-24 साल के लड़के का साहस उनकी राजनैतिक निडरता को दिखाता है।
कामरेड सीताराम येचुरी सीपीएम की केंद्रीय कमेटी में 1985 में और फिर 1992 में पार्टी की सर्वोच्च कमेटी पोलित ब्यूरो के सदस्य चुने गए। 2015 में हुई 21वीं पार्टी कांग्रेस में वे सीपीएम के महासचिव चुने गये जिस पद पर वे आज भी थे। वे 2005 से 2017 तक राज्य सभा के सदस्य रहे। वह एक प्रभावशाली वक्ता और सांसद थे। उनके विरोधी भी उनके भाषणों को बहुत ध्यान से सुनते थे। 2017 में उन्हें बेहतरीन सांसद का पुरस्कार भी मिला।
कामरेड येचुरी ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय विभाग के प्रमुख के रूप में दुनिया की कम्युनिस्ट तथा प्रगतिशील ताकतों के साथ विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों में हिस्सा लिया था और समाजवादी देशों के साथ साम्राज्यवाद विरोधी आंदोलन की एकजुटता को मज़बूत किया था। कामरेड येचुरी 20 वर्षों से ज्यादा अंग्रेजी के अखबार पीपुल्स डेमोक्रेसी के संपादक रहे। मार्क्सिस्ट पत्रिका के संपादक रहे। वे बेहद अध्ययनशील थे। एक विरले दर्जे के विद्वान जिन्हें हर क्षेत्र की जानकारी थी। वे बहुआयामी व्यक्तित्व के मालिक थे। अंग्रेजी, हिंदी, तेलुगू के अलावा भी कई भाषाओं पर उनकी अच्छी पकड़ थी। उन्होंने विभिन्न विषयों पर किताबें लिखीं जिनमें “हिंदू राष्ट्र क्या है?” Communalism and secularism काफी चर्चित है।
कामरेड येचुरी धैर्यवान और ठोस परिस्थितियों के आधार पर आकलन कर फैसले लेने में माहिर थे। विश्वस्तर पर समाजवाद को लगे धक्के और देश में वामपंथी आंदोलन को संसदीय नुकसान के संबंध में गहराई से समीक्षा कर पार्टी के राजनैतिक रुख़ को सूत्रबद्ध करने में प्रमुख भूमिका अदा की थी।
अपने मिलनसार स्वभाव और अपनी ईमानदार प्रतिबद्धता के कारण उनका राजनैतिक और सामाजिक दायरा बहुत व्यापक था। राजनीति के इस अहम मोड़ पर कामरेड सीताराम का जाना हमारी पार्टी सीपीएम के लिए बहुत बड़ा धक्का है और साथ ही वामपंथी, धर्मनिरपेक्ष व लोकतांत्रिक ताकतों के लिए भी बहुत बड़ी क्षति है।
हम लखनऊ सीपीएम जिला कमेटी व पार्टी हमदर्दों व वामपंथी दोस्तों की ओर से अपने प्रिय नेता कामरेड सीताराम येचुरी को याद करते हैं तथा संकल्प लेते हैं कि एक समतामूलक, शोषणविहीन समाज बनाने के लिए बराबर संघर्ष करने के साथ भारत के संवैधानिक, लोकतांत्रिक व धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा करेंगे और यही हमारे कामरेड को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
कामरेड सीताराम को लाल सलाम!
(प्रेस विज्ञप्ति)
+ There are no comments
Add yours