नियमित नियुक्तियां होतीं तो सुप्रीम कोर्ट का चेहरा कुछ और होता

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उच्चतम न्यायालय के लिए आज ऐतिहासिक दिन रहा जब एक साथ 9 नये जजों ने शपथ लिया। ऐसा इसलिए सम्भव हुआ क्योंकि निवर्तमान जस्टिस फली नरीमन जब उच्चतम न्यायालय के कालेजियम के सदस्य थे तब उनका आग्रह था कि उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठता के आधार पर त्रिपुरा के चीफ जस्टिस अकिल कुरैशी और कर्नाटक के चीफ जस्टिस ओका को पहले उच्चतम न्यायालय में लाया जाय, जिस पर कॉलेजियम में सर्व सहमति नहीं बनी और लगभग दो साल से उच्चतम न्यायालय में नई नियुक्ति नहीं हो सकी, नतीजतन हाईकोर्ट के अनेक वरिष्ठ जज रिटायर हो गये और उच्चतम न्यायालय में जजों के 10 पद रिक्त हो गये। यदि दो साल में नियमित तौर पर नियुक्तियां होतीं तो वर्तमान में उच्चतम न्यायालय का स्वरूप आज से अलग होता।

सुबह उच्चतम न्यायालय के ऑडिटोरियम में शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ। शपथ ग्रहण के साथ ही कई सारी चीजें ऐसी हुईं जो इसके पहले कभी नहीं देखने को मिलीं। पहली बार एक साथ नौ जजों ने शपथ लिया और शपथ ग्रहण भी कोर्टरूम में न होकर ऑडिटोरियम में हुआ। पहली बार ही शपथ ग्रहण लाइव टेलीकास्ट भी हुआ।

उच्चतम न्यायालय में एक साथ तीन महिला जजों ने शपथ लिया। अब ऐसा पहली बार देखने को मिलेगा जब एक साथ चार महिला जज काम करेंगी। कर्नाटक हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट की जज बनते ही जस्टिस बी वी नागरत्ना ने एक साथ कई इतिहास रच दिया है। कुछ साल बाद वो सीजेआई  भी बन सकती हैं और यदि ऐसा हुआ तो पहली बार होगा जब पिता के बाद पुत्री चीफ जस्टिस बनेंगी। इससे पहले इस कड़ी में एक और नाम जुड़ेगा।

वरिष्ठता क्रम का ध्यान रखते हुए देश में पहली बार 2027 में जस्टिस बी वी नागरत्ना महिला सीजेआई बनेंगी। हालांकि उनका कार्यकाल बहुत कम दिनों का होगा। उनके पिता जस्टिस ईएस वेंकटचलैया भी 1989 में चीफ जस्टिस बने थे। भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में यह पहला मौका बनेगा, जब पिता के बाद दूसरी जेनरेशन में बेटी चीफ जस्टिस बनेंगी।

हालांकि वरिष्ठता के हिसाब से देखा जाए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ नवंबर 2022 में चीफ जस्टिस बनेंगे। उनके पिता जस्टिस वाई बी चंद्रचूड़ 1978 में चीफ जस्टिस बने थे। जस्टिस वाईबी चंद्रचूड़ 7 साल भारत के चीफ जस्टिस रहे जो कि अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल है।

उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस रहे दीपक मिश्रा के चाचा जस्टिस रंगनाथ मिश्रा भी उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। जस्टिस दीपक मिश्रा 14 महीने देश के चीफ जस्टिस थे। जस्टिस रंगनाथ मिश्रा 25 सितंबर, 1990 से 24 नवंबर, 1991 तक चीफ जस्टिस रहे। 2017 अगस्त महीने में दीपक मिश्रा देश के 45 वें चीफ जस्टिस बने। वो 14 महीने तक देश के चीफ जस्टिस रहे।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर मंगलवार को कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एएस ओका, गुजरात हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस विक्रम नाथ, सिक्किम हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जेके माहेश्वरी, तेलंगाना हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस हीमा कोहली, कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना, केरल हाई कोर्ट के जस्टिस सीटी रवी कुमार, मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस एमएम सुंदरेश, गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और सीनियर ऐडवोकेट पीएस नरसिम्हा को शपथ दिलाया गया। उच्चतम न्यायालय के जस्टिस के तौर पर जिन तीन महिला जस्टिस ने शपथ लिया, उनमें जस्टिस बीवी नागरत्ना के अलावा जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस हीमा कोहली का नाम शामिल है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक साथ तीन-तीन महिला जजों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर हुई है।

उच्चतम न्यायालय अब कुल चार महिला न्यायाधीश हो गई हैं, जो इतिहास में पहली बार हुआ है। पिछली बार अगस्त 2018 से मई 2020 की अवधि के दौरान तीन महिला न्यायाधीश रह चुकी हैं, जब जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस इंदिरा बनर्जी (वर्तमान) और जस्टिस इंदु मल्होत्रा सेवा दे रही थीं। नवनियुक्त जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस इंदिरा बनर्जी (2018 में नियुक्त) अब उच्चतम न्यायालय में महिला जज हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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