सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूछा-चुनाव से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी क्यों?

दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (30 अप्रैल) को ईडी के वकील एएसजी एसवी राजू से पांच सवालों के जवाब के साथ एक केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय से संबंधित अगली तारीख पर तैयार रहने को कहा।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने सोमवार को एक घंटे की सुनवाई के बाद मामले की विस्तार से सुनवाई की थी। पीठ ने स्पष्टीकरण मांगते हुए ईडी से पूछा-

(1) क्या बिना किसी न्यायिक कार्यवाही के विजय मदनलाल चौधरी या अन्य के संदर्भ में आपराधिक कार्यवाही शुरू की जा सकती है? (जस्टिस खन्ना ने उल्लेख किया कि केजरीवाल के मामले में अब तक कोई कुर्की की कार्यवाही नहीं हुई है। हालांकि, अगर हुई है तो ईडी को यह दिखाना होगा कि उनका संबंध कैसे है।)

(2) मनीष सिसोदिया के मामले में फैसले के दो भाग हैं – एक, जो उनके पक्ष में है, और दूसरा, जो उनके पक्ष में नहीं है। केजरीवाल का मामला किस भाग में आता है?

(3) पीएमएलए एक्ट की धारा 19 की व्याख्या कैसे की जाए, क्योंकि केजरीवाल जमानत के लिए आवेदन करने के बजाय गिरफ्तारी और रिमांड के खिलाफ आ रहे हैं, क्योंकि यदि वह बाद का रास्ता अपनाते हैं तो उन्हें पीएमएलए एक्ट की धारा 45 के तहत उच्च सीमा का सामना करना पड़ेगा?

(जस्टिस खन्ना ने कहा कि क्या हम आरोप सही होने के आधार पर बोझ या मूल्यांकन को उस समय सामान्यतः अदालत द्वारा किए जाने वाले कार्य से कहीं अधिक और तुलनीय रखते हैं, लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करते हैं कि मानक वही होगा, जो खोजने के लिए है, व्यक्ति जो दोषी है…जो संदेह का लाभ है, आदि.. मूल्यांकन पूर्ण और गहन होना चाहिए।”)

(4) कार्यवाही शुरू होने और कुछ समय बाद बार-बार शिकायत दर्ज होने के बीच का समय अंतराल (इस संबंध में यह व्यक्त किया गया कि अंतर के परिणाम होंगे, खासकर क्योंकि धारा 8 न्यायिक प्रक्रिया के लिए 365 दिनों की अधिकतम समय सीमा निर्धारित करती है। जस्टिस खन्ना का उद्धरण, “स्वतंत्रता अत्यधिक महत्वपूर्ण है, हम इसे नकार नहीं सकते।”)

(5) गिरफ्तारी का समय (आम चुनाव से पहले)।

जस्टिस संजीव खन्ना ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को बताया, “स्वतंत्रता बहुत महत्वपूर्ण है, आप इससे इनकार नहीं कर सकते। आखिरी सवाल गिरफ्तारी के समय के संबंध में है, जैसा कि उन्होंने बताया, गिरफ्तारी का समय आम चुनाव से ठीक पहले है। आखिरी सवाल गिरफ्तारी के समय के संबंध में है। मामला अगली बार शुक्रवार को सूचीबद्ध है।

इससे पहले पीठ ने सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी को करीब दो घंटे तक विस्तार से सुना।

पीठ ने सुनवाई के दौरान ईडी से कहा, “जीवन और स्वतंत्रता बेहद महत्वपूर्ण हैं। आप इससे इनकार नहीं कर सकते। पीठ ने राजू से कई अन्य सवाल पूछे और जांच एजेंसी से केजरीवाल की उस याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख पर जवाब देने को कहा, जिसमें उन्होंने आबकारी नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी है। मामले की सुनवाई शुक्रवार को होने की संभावना है – बुधवार से दोनों न्यायाधीश अलग-अलग पीठ में बैठेंगे।

इससे एक दिन पहले, 29 अप्रैल को इसी मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से भी कई सवाल पूछे थे और कहा था कि आम आदमी पार्टी के नेता ने अधीनस्थ अदालत में जमानत याचिका दायर क्यों नहीं की। पीठ ने कहा था, “क्या आप यह कहकर अपनी ही बात का खंडन नहीं कर रहे हैं कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत उनके बयान दर्ज नहीं किए गए? आप धारा 50 के तहत बयान दर्ज कराने के लिए समन जारी किये जाने पर उपस्थित नहीं होते हैं और फिर कहते हैं कि यह दर्ज नहीं किया गया।

न्यायालय ने पूछा कि यदि केजरीवाल समन पर उपस्थित नहीं होते हैं तो जांच अधिकारी क्या करेंगे। जस्टिस खन्ना ने कहा, “यदि आप धारा 50 के तहत बयान दर्ज नहीं कराते हैं तो आप यह नहीं कह सकते कि उनके बयान दर्ज नहीं किये गए। सिंघवी ने इसके जवाब में कहा था, “मेरा कहना है कि अन्य सामग्रियां भी मेरे अपराध को स्थापित नहीं करतीं। ईडी मुझे गिरफ्तार करने मेरे घर आई थी, तो फिर ईडी मेरे घर पर धारा 50 के तहत मेरा बयान क्यों नहीं दर्ज कर सकती?

पीएमएलए की धारा 50 ईडी अधिकारियों को समन जारी करने और दस्तावेज, सबूत तथा अन्य सामग्री पेश करने की शक्ति प्रदान करने से संबंधित है। पीठ ने सिंघवी से पूछा था, “आपने जमानत के लिए कोई अर्जी अधीनस्थ अदालत में दायर नहीं की थी?” सिंघवी ने जवाब दिया था, ‘नहीं’। न्यायालय ने पूछा था, “आपने जमानत के लिए कोई अर्जी क्यों नहीं दायर की?” केजरीवाल के वकील ने कहा था कि इसके कई कारण हैं जिनमें मुख्यमंत्री की “गैरकानूनी” गिरफ्तारी भी शामिल है।

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन के मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत के तहत यहां तिहाड़ जेल में बंद हैं। शीर्ष अदालत ने 15 अप्रैल को ईडी को एक नोटिस जारी किया था और केजरीवाल की याचिका पर उसका जवाब मांगा था। यह विषय 2021-22 के लिए, दिल्ली सरकार की अब रद्द की जा चुकी आबकारी नीति तैयार करने और उसके क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और धन शोधन से संबंधित है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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