जनपक्षधर पत्रकारिता और डिजिटल सेंसरशिप
पत्रकारिता को दिन-ब-दिन मुश्किल बनाया जा रहा है। अख़बारों और टीवी चैनलों की धूर्तता अब किसी से छिपी नहीं है, लेकिन AI टूल्स, गूगल, फेसबुक, [more…]
पत्रकारिता को दिन-ब-दिन मुश्किल बनाया जा रहा है। अख़बारों और टीवी चैनलों की धूर्तता अब किसी से छिपी नहीं है, लेकिन AI टूल्स, गूगल, फेसबुक, [more…]
अगर मशीन झूठ नहीं बोल सकती तो भला एआई ग्रोक कैसे झूठ बोल सकता है? अगर ईवीएम गलत नहीं हो सकती तो फिर ग्रोक जैसी [more…]
एक बात स्पष्ट है कि जब एक वर्ग-विभाजित दुनिया और समाज में कोई भी तकनीक वर्ग-निरपेक्ष नहीं हो सकती, तो भला कृत्रिम बुद्धिमत्ता इसका अपवाद [more…]
भारतीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक सर्वेक्षण में लगातार दूसरी बार चीन की आर्थिक सफलताओं पर ‘क्या करें और क्या नहीं’ जैसी दुविधा देखने को मिली [more…]
चीन के एक स्टार्टअप द्वारा विकसित कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई, यानि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) ‘‘डीपसीक आर-1’ के लांच होते ही अमरीका से टोकियो तक तकनीकी कंपनियों के [more…]
आज के तेज़ी से बदलते आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) क्षेत्र में दो प्रमुख लैंग्वेज मॉडल लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं: OpenAI का ChatGPT और [more…]
क्या पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के भीतर सभी लोगों को रोजगार मुहैया कराना संभव है? आज भारत में जो हालात हैं, उनके बीच रोजगार के अधिकतम अवसर [more…]
पूंजीपतियों ने सामंती और पारंपरिक व्यवस्था को तोड़ते हुए एक नई औद्योगिक व्यवस्था की स्थापना की। इस प्रक्रिया में उन्होंने उत्पादन के साधनों को संगठित [more…]
लोकसभा चुनाव में रोजगार का सवाल तथा लोगों की जिंदगी के अन्य आर्थिक सवाल प्रमुख मुद्दा बने थे और उन्होंने भाजपा को अल्पमत में धकेल [more…]
शीतयुद्ध के दौरान अमेरिका और पश्चिमी जगत में ढेरों इस तरह उपन्यास लिखे गए और फ़िल्में बनाई गईं, जिसमें परमाणु युद्ध की विभीषिका से समूची [more…]