देश के दूसरे भाजपाई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले भाजपाई प्रधानमंत्री अटलबिहारी के मुकाबले कम से कम इस अर्थ में खुशकिस्मत रहे हैं कि उन्हें भाजपा कहें या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार की ओर से वैसी चुनौती का सामना नहीं...
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थापना को 42 साल पूरे हो चुके हैं। 6 अप्रैल 1980 को तत्कालीन जनता पार्टी से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी के नाम से अस्तित्व में आई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की यह राजनीतिक...
उत्तर प्रदेश में वे सभी खूबियां हैं जो इसकी जबर्दस्त राजनीतिक और आर्थिक सफलता की कहानी गढ़ सकती हैं। 2,43,286 वर्ग किमी की इसकी विशाल उपजाऊ जमीन, 20.4 करोड़ की विशाल आबादी, गंगा और यमुना जैसी इसकी अविरल प्रवाहमान...
रुख से नकाब उतरता जाए आहिस्ता आहिस्ता। कुछ ऐसा ही सियासत में भी होता है। कभी गोविंदाचार्य ने कहा था कि अटल बिहारी बाजपेई भाजपा के मुखौटा हैं। ममता बनर्जी कभी पूरे देश में भाजपा के खिलाफ एक मोर्चा...
इन दिनों जब प्रधानमंत्री अमेरिका प्रवास पर हैं देश में एक महंत की आत्म हत्या, असम की दुर्दांत गोलीबारी में मदमस्त फोटो ग्राफर का लाश पर कूदना, नाबालिग बच्चे का मारा जाना, किसान मोर्चे की 27 को भारत बंद...
रांची। आज 23 जनवरी, 2021 को झारखंड जनतांत्रिक महासभा और झारखंड ओर्गनाइजेशन फ़ॉर सोशल हार्मोनी के संयुक्त तत्वावधान में लोको कॉलोनी, टाटा नगर, जमशेदपुर में ग्राहम स्टेंस और उनके दो बेटे फिलिप और टिमोथी की श्रद्धांजलि सभा का आयोजन...
अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। यही दिन थे गोवा छुट्टी मनाने गए थे। शाम को समुद्र किनारे बैठे समंदर निहार रहे थे। शाम उन्हें बहुत अच्छी लगती थी। सामने की छोटी टेबल पर ग्लास भी थी। फ़ोटो एजेंसी ने...
एनडीए प्रथम सरकार के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आरएसएस की निजीकरण की नीति के तहत सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में सरकारी हिस्सेदारी के विनिवेश को अपने शासन का नीतिगत आचरण बना लिया था। उस दौर में मारुति, बाल्को, आईपीसीएल समेत...
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में अलग बने विनिवेश (डिसइन्वेस्टमेंट) मंत्रालय ने कई बड़ी सरकारी कंपनियों को बेचने की मंजूरी दी थी। मंत्रालय के मुखिया के तौर पर अरुण शौरी को तब आलोचनाओं का शिकार भी होना पड़ा था।...
(स्वामी जी का कर्म रण भूमि से हठात जाना किसे नहीं अखरेगा? मौजूदा दौर में तो उनकी हस्तक्षेपकारी भूमिका की पहले से अधिक ज़रूरत थी। यकीनन उनके जाने से फासीवादी शक्तियों को राहत की सांस लेने का अवसर ज़रूर मिल गया है। इन्हीं फासीवादी तत्वों ने 2018 में झारखण्ड में उनके लीवर को इतना आघात पहुँचाया कि वह तब से सामान्य नहीं हो सका। इसी कुकृत्य को 2019 में भी दोहराया गया था जब ...