साहिर की स्मृति दिवस पर विशेष: ‘आओ कि कोई ख़्वाब बुनें, कल के वास्ते’

साहिर लुधियानवी का शुरुआती दौर, देश की आज़ादी के संघर्षों का दौर था। लेखक, कलाकार और संस्कृतिकर्मी अपनी रचनाओं एवं…

गणतंत्र दोराहे पर: 26 जनवरी के मूल्य बनाम 30 जनवरी के हत्यारे गिरोह के मंसूबे

26 जनवरी और 30 जनवरी हमारे राष्ट्रीय इतिहास की दो अहम तारीखें हैं- 26 जनवरी, हमारा गणतंत्र दिवस, उन मूल्यों…

जनता पर भारी पड़ रही है सरकार के दिखावे की देशभक्ति

आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने नया फरमान जारी किया है। 15 अगस्त को हर…

आजादी की लड़ाई को बदनाम करके संघी अपने गद्दारी के कलंक को चाहते हैं मिटाना

आप क्रोनोलॉजी समझिए- गिरोह के सरगना ने गांधी को फूल चढ़ाए, गिरोह के टुटपुंजियों ने गांधी के फोटोशॉप बनाए। सरगना…

कमला भसीन का मतलब महिला मानवाधिकारों की अप्रतिम हिन्दुस्तानी योद्धा

महिला अधिकारवादी वैश्विक एक्टिविस्ट, समाज विज्ञानी, लेखिका और कवि कमला भसीन ( 1946-2021 ) के आज तड़के तीन बजे गुजर…

हिंदू राष्ट्रवाद का खौफ़नाक मंजर पेश करती है अरुंधति की किताब ‘आज़ादी’

अरुंधति रॉय भारत की उन चंद लेखकों में हैं, जिनकी समकालीन भारत की नब्ज़ पर उंगली है और जो भारत…

हसरत मोहानी की पुण्यतिथि पर विशेष: जिन्होंने दिया ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा और मांगी मुकम्मल आजादी

जंग-ए-आजादी में सबसे अव्वल ‘इन्क़लाब ज़िंदाबाद’ का जोशीला नारा बुलंद करना और हिंदुस्तान की मुकम्मल आज़ादी की मांग, महज ये…

शाहीन बाग में हर तरफ खिल रहे हैं लोकतंत्र के फूल

शाहीन बाग की हर गली में बाग दिखता है। हर गली-मोहल्ले से एक झुंड निकलता है। हाथ में तिरंगा झंडा…

“एका” किसान आन्दोलन और आजादी की लड़ाई में वर्ग हितों की टकराहट का दस्तावेज

1920 से 1928 के बीच अवध के दो महान किसान नेताओं बाबा रामचंद्र और मदारी पासी के नेतृत्व में चले…