Thursday, March 28, 2024

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केन्द्रीय विश्वविद्यालय: वर्चस्वशाली जातियों के नए ठिकाने ?

क्या हम कभी जान सकेंगे कि मुल्क के चालीस केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में नियुक्त उपकुलपतियों के श्रेणीबद्ध वितरण- अर्थात वह किन सामाजिक श्रेणियों से ताल्लुक रखते हैं -के बारे में? शायद कभी नहीं ! विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के केन्द्रीय विश्वविद्यालय...

आरएसएस नेता ठेंगड़ी के धर्म और जाति संरक्षित ‘हिंदू अर्थव्यवस्था’ का कॉर्बन कॉपी है पीएम मोदी का आत्मनिर्भरता का नया ‘दर्शन’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 मई को राष्ट्र के नाम संबोधन से आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया। उस दिन राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को 39 दिन पूरे हो रहे थे और यह घोषणा विनाशकारी आर्थिक गिरावट से निपटने के लिए सरकार...

कार्पोरेटी मुनाफे की टकसाल के दरबारी बने हिंदुत्व को दिखानी होगी उसकी जगह

14 जुलाई को मध्यप्रदेश के गुना में हुयी पुलिस की निर्ममता ने उसका वीडियो देखने वालों को स्तब्ध कर दिया। कोई बीसेक पुलिस वाले बंटाई पर खेती करने वाले दलित किसान राजकुमार अहिरवार और उसकी पत्नी सावित्री को मीडिया...

दलित: मौत के बाद भी अपमान का अन्त नहीं !

क्या कोई जानता है 21 वीं सदी की शुरुआत में चकवारा के दलितों के एक अहम संघर्ष को। याद है जयपुर से बमुश्किल पचास किलोमीटर दूर चकवारा के दलितों ने गांव के सार्वजनिक तालाब पर समान हक पाने के...

जम्मू में दलित उत्पीड़न: जहां कभी थे रोटी-बेटी के रिश्ते, अब हो रही हैं जाति के नाम पर हत्याएं

8 जुलाई की शाम पूरन चंद, उनका बेटा अशोक कुमार और बहू आशा देवी जम्मू के सरूइंसार, मनवाल के गांव चिल्ला स्थित अपने खेत में खेती का काम कर रहे थे। ठीक शाम के 6 बजे सवर्ण समाज के...

मनु कब इतिहास बनेंगे?

कितने लोगों ने डॉ. अम्बेडकर की अगुआई में छेड़े गए पहले ‘दलित विद्रोह’ अर्थात महाड़ सत्याग्रह (1927) के बारे में पढ़ा होगा और यह जाना होगा कि किस तरह उसके पहले चरण में 19-20 मार्च को महाड़ नामक जगह...

प्रवासी श्रमिकों का बहुलांश दलित एवं पिछड़ी जातियां हैं

(इंडियन एक्सप्रेस में 9 जून को प्रकाशित सर्वे के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी आपदा के बाद अपने घरों को पलायन करने वाले श्रमिक दलित एवं पिछड़ी जातियों से हैं) भारत में कोरोना वायरस आपदा के शुरू होने के पश्चात बड़े...

हम खुद एक ऐसे बीमार समाज में रहते हैं, जिसमें भाईचारे और एकजुटता की भावनाओं के लिए कोई जगह नहीं है: अरुंधति

(विश्व प्रसिद्ध लेखिका अरुंधति रॉय ने दलित कैमरा पोर्टल को एक लंबा साक्षात्कार दिया है। इसमें उन्होंने अमेरिका और यूरोप में चल रहे नस्लभेद विरोधी आंदोलन से लेकर भारत में कोरोना की स्थित तक पर अपने विचार जाहिर किए...

फैंसी ड्रेस में रंग और नस्लभेद

भारतीय सिनेमा को प्रेम से बड़ा प्रेम है। वह अमीर और गरीब के बीच होने वाले प्रेम, धर्म-क्षेत्र-भाषा की सीमाओं के आर-पार होने वाले प्रेम को बड़े जश्न से मनाता है, यहाँ तक कि जेंडर और सेक्सुआलिटी के परंपरागत विचारों...

‘गुलामगिरी’: शूद्रों-अतिशूद्रों की मुक्ति का दस्तावेज

1 जून यानी आज 2020 को ‘गुलामगिरी’ पुस्तक के 147 वर्ष पूरे हो रहे हैं। यह महात्मा ज्योतिबा फुले (11 अप्रैल 1827 - 28 नवंबर 1890) की प्रमुख रचना है। ‘गुलामगिरी’ अंधविश्वास, पाखंड, छल-कपट पर आधारित ब्राह्मणी ग्रंथों एवं...

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ग्रेट निकोबार द्वीप की प्राचीन जनजातियों के अस्तित्व पर संकट, द्वीप को सैन्य और व्यापार केंद्र में बदलने की योजना

आज दुनिया भर में सरकारें और कॉर्पोरेट मुनाफ़े की होड़ में सदियों पुराने जंगलों को नष्ट कर रही हैं,...