Wednesday, April 24, 2024

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कितनी जहरीली है जातिवादी मानसिकता

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। परंतु मेरी राय में देश के आत्मनिर्भर बनने की राह में अनेक बाधाएं हैं। जब तक इन बाधाओं को दूर नहीं किया जाता देश का आत्मनिर्भर बनना कठिन है। इन...

गोलवलकर की पतनशील विचारधारा को प्रेरक तत्व मानता है मौजूदा सत्ताधारी दल

भारत के वर्तमान सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता भले ही हमारे धर्मनिरपेक्ष-बहुवादी और संघात्मक संविधान के नाम पर शपथ लेते हों परन्तु सच यह है कि यह पार्टी देश को आरएसएस के एजेंडे में निर्धारित दिशा...

यूपी: लव जिहाद और जाति उन्माद का पुलिस स्टेट

नए वर्ष में भी भाजपा सरकारों ने समाज को ऐसे कानूनों का तोहफा देने की जिद नहीं छोड़ी है जिनकी सम्बंधित तबकों को जरूरत नहीं है| स्वयं नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार इसी अंदाज में लेबर कोड...

बिहार के चुनावों में मीडियाः तमाशबीन या खिलाड़ी?

बिहार में एनडीए किसी तरह दोबारा सत्ता में आ गया है। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को मीडिया ऐसी शाबासी दे रहा है, जैसे उन्होंने चुनाव में जीत का कोई रिकार्ड बना लिया हो। बेहिसाब पैसा, टीवी चैनलों को प्रोपैंगडा...

देश की एकता के लिये अभिशाप हैं धर्म और जाति से प्रेरित दंगे

धर्म के नाम पर हुए उन व्यापक दंगों या नर संहारों को याद रखा जाना चाहिए। उन्हें याद रखना इसलिए भी ज़रूरी है कि ताकि धर्मान्धता या अन्य पागलपन के दौर में हम, जो अक्सर भूल जाते हैं कि...

पुण्यतिथि पर विशेषः अंदरूनी अत्याचारियों से विद्रोह चाहते थे लोहिया

अगर माखनलाल चतुर्वेदी एक भारतीय आत्मा थे तो डॉ. राममनोहर लोहिया एक बेचैन भारतीय आत्मा थे। वे चाहते थे कि इस देश की जनता भीतरी अत्याचारियों के विरुद्ध विद्रोह करे। सरोजिनी नायडू ने महात्मा गांधी के निधन के बाद...

हाथरस गैंगरेप: “हम दलित हैं और यही हमारा पाप है….हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे गांव छोड़ दें”

हाथरस। हमेशा जब वह 50 वर्षीय शख्स स्थानीय स्टोर पर जाता है तो दुकानदार उसे कुछ दूरी पर खड़े रहने को कहता है और वह जो भी खरीदता है उसको वह एक कोने से पकड़ता है। ऊपरी जातियों की...

वंचितों के लिए आजीवन संघर्षरत रहे स्वामी अग्निवेश

स्वामी अग्निवेश जी कई दिनों गंभीर रूप से थे । वे लीवर की समस्या से पीड़ित थे, लीवर का ट्रांसप्लांट होना था, डोनर भी मिले लेकिन समय ने साथ नहीं दिया। शाम को खबर मिली कि वे नहीं रहे...

‘शिक्षक दिवस’ और सर्वपल्ली राधाकृष्णन के गौरव-गान के मायने

कहते हैं कि इतिहास एक ‘ट्रेचरस टेरेन’ है जहां बतायी जाने वाली चीजें कम होती हैं और छिपाई गई या तोड़-मरोड़कर बतायी जाने वाली चीजें ज्यादा। कुछ विद्वान इतिहास को ‘स्टेग्नोग्राफी’ के रूप में भी देखते हैं यानी एक...

सोशल मीडिया से नहीं चलेगा काम, तोड़नी होगी जमीन

भारतीय राजनीति आज एक संकट से गुजर रही है। संसद से सड़क तक भविष्य को लेकर एक बेचैनी मौजूद है। वामपंथी संसदीय राजनीति हाशिए पर आ चुकी है। 2014 और 2019 के चुनावों ने संसदीय वामपंथ को मुख्यधारा की...

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स्मृति शेष: सत्यजीत राय- वह जीनियस फ़िल्मकार जिसने पहली फिल्म से इतिहास रचा

सत्यजित राय देश के ऐसे फ़िल्मकार हैं, जिनकी पहली ही फ़िल्म से उन्हें एक दुनियावी शिनाख़्त और बेशुमार शोहरत...