सवाल न्याय का है तो नूह की नौका में विचार और विवेक को बचाने का भी है
सभ्यता की शुरुआत से ही अनवरत आवाज गूंजती रही है, ‘न्याय चाहिए, न्याय चाहिए’! कानून का राज बहाल रहने की स्थिति में जब नीति-नैतिकता सिर [more…]
सभ्यता की शुरुआत से ही अनवरत आवाज गूंजती रही है, ‘न्याय चाहिए, न्याय चाहिए’! कानून का राज बहाल रहने की स्थिति में जब नीति-नैतिकता सिर [more…]
न्याय का सवाल सभ्यता का मौलिक सवाल है। अन्याय शक्तिशालियों का आयुध होता है और न्याय शक्ति-हीनों का रडार। शक्ति-हीन लोग न्याय के रडार से [more…]
भारत की विवेकवादी परंपरा में लोकायत प्राचीनतम परंपराओं में से एक है जिसे तांत्रिक बौद्ध और वेदांती हिंदुत्व के अनुयायियों द्वारा बहुत बदनाम किया गया [more…]