अपनी ऐतिहासिक विजय के बाद 31 जनवरी को किसान संगठन फिर जुट रहे हैं, अपने अभूतपूर्व और शांतिपूर्ण आंदोलन की…
भारतीय गणतंत्र पर छाया संकट का घटाटोप
भारतीय गणतंत्र की स्थापना का 73वां शुरू होने जा रहा है। किसी भी राष्ट्र या गणतंत्र के जीवन में सात…
काशी विश्वनाथ धाम कोरिडोर: धर्म क्षेत्र का कारपोरेटीकरण
प्रथमचरण 30 वर्ष पहले उदारीकरण निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियां भारत में लागू की गईं। जहां से भारत के विविध…
चुनाव सुधार: ज्यों-ज्यों दवा दिया मर्ज बढ़ता ही गया
भारत में चुनाव सुधारों की चर्चा 90 के दशक के प्रारंभ में शुरू हुई थी। उस समय बैलेट पेपर से…
पांच साल बेमिसाल: ईन्यूज़रूम ने स्वतंत्र मीडिया के तौर पर बनाई खास पहचान
शाहनवाज़ अख़्तर द्वारा बनाई संस्था ईन्यूज़रूम इंडिया ने बिना किसी राजनीतिक समर्थन, कॉर्पोरेट सहयोग और बड़ी ग्रांट्स के अब तक…
कारपोरेट शक्ति पर लोक शक्ति की विजय का वर्ष
देश के किसानों के लिए यह वर्ष ऐतिहासिक आंदोलन की सफलता का वर्ष रहा। वर्ष की शुरुआत बॉर्डरों पर किसान…
कॉरपोरेटी हिंदुत्व के फासीवादी फंदे से देश को निकालना ही नये साल का असली संकल्प
2021 के अंतिम तिमाही में कालिनेम, शिखंडी, खड्गसिंह और गोडसे का जिंदा होना क्या महज संयोग है कि सोचा समझा…
कृषि कानूनों के फिर आने का बरकरार है खतरा
19 नवंबर को किसान आंदोलन के दबाव में तीन कृषि कानूनों को एक तरफा प्रधानमंत्री द्वारा घोषणा करके वापस लेने…
किसान आंदोलन ने बदला देश का राजनैतिक एजेंडा: तपन सेन
कोरबा। किसान आंदोलन ने देश का राजनैतिक एजेंडा बदल दिया है। इस आंदोलन ने दिखा दिया है कि कॉर्पोरेट लूट…
किसान आंदोलन: जश्न के बीच से झांकती चुनौतियां
यहां सड़क पर कीले उगीं हैं। कंटीले तारों ने अपने ही देश के नागरिकों को जानवरों की तरह घेर रखा…