Saturday, April 20, 2024

criticism

सिब्बल, दुष्यंत दवे की कड़ी में प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की तीखी आलोचना की

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और दुष्यंत दवे की कड़ी में मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाले देश के मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने भारत के सुप्रीम कोर्ट की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की...

हिंदुत्ववादी नफ़रत का विदेशों में बजा डंका, आरएसएस-बीजेपी और मोदी की चौतरफा निंदा

''एक समाज जनसंहार को रोकना चाहता है। इससे जुड़े कार्यक्रमों को रोका जाता है और गिरफ़्तारियां होती हैं ताकि फिर से ना हो। लेकिन मोदी के भारत में? बीजेपी के नेता ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं और कोई...

पुण्यतिथिः नामवर सिंह को बाबा नागार्जुन मानते थे चलता-फिरता विद्यापीठ

हिंदी साहित्य के आकाश में नामवर सिंह उन नक्षत्रों में से एक हैं, जो अपनी चमक हमेशा बिखेरते रहेंगे। उनकी चमक कभी खत्म नहीं होगी। नामवर की विद्वता का कोई सानी नहीं था। साहित्य, संस्कृति, राजनीति और समाज कोई...

धर्म उत्पीड़ित की आह है, हृदयविहीन दुनिया का हृदय है: मार्क्स

मार्क्सवाद समाज को समझने का विज्ञान और उसे बदलने का आह्वान है। समाज के हर पहलू पर इसकी सत्यापित स्पष्ट राय है, धर्म पर भी। ‘हेगेल के अधिकार के दर्शन की समीक्षा में एक योगदान’ में मार्क्स ने लिखा...

‘न्यायिक बर्बरता’ की संज्ञा पर तिलमिला गए कानून मंत्री!

26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री और इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने न्यायपालिका की ‘निष्पक्ष आलोचना’ और ‘परेशान करने वाली प्रवृत्ति’ की बात की, जो...

भाजपा के जाल में फंसने से बच रहा है महागठबंधन

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और वामपंथी दलों का महागठबंधन अपने चुनाव अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने से परहेज कर रहा है। इतना ही नहीं, वे भाजपा नेताओं द्वारा उठाए जा रहे विवादास्पद और भड़काऊ...

आलोचना पत्रिका के बहानेः बाजार और जंगल के नियम में कोई फर्क नहीं होता!

पांच दिन पहले ‘आलोचना’ पत्रिका का 62वां (अक्तूबर-दिसंबर 2019) अंक मिला। कोई विशेषांक नहीं, एक सामान्य अंक। आज के काल में जब पत्रिकाओं के विशेषांकों का अर्थ होता है कोरा पिष्टपेषण, एक अधकचरी संपादित किताब, तब किसी भी साहित्यिक...

कोर्ट में अनर्गल आलोचनाओं को भी बर्दाश्त करने की क्षमता होनी चाहिए: प्रशांत भूषण

सवाल: आपने कहा कि आलोचना और कड़ी आलोचना कोर्ट की रक्षा करती है कोर्ट ने कहा कि आलोचना साफ सुथरी होनी चाहिए। उसे लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए। तो क्या कोर्ट आलोचकों से आत्म अनुशासित होने की बात कह रही है? या फिर कोर्ट सार्वजनिक तौर पर बोलने पर उनसे बेहतर जजमेंट की अपील कर रही है?  प्रशांत भूषण: वो दोनों काम कर रहे हैं। जब हम यह कह रहे हैं कि कोर्ट को अनर्गल आलोचनाओं को बर्दास्त...

‘संवैधानिक कर्तव्यों से विमुख हो गए हैं सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश’

उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने कहा है कि मैं अपनी न्यायपालिका से प्यार करता हूं और मैं अपने न्यायाधीशों से प्यार करता हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं उनकी आलोचना नहीं करूंगा।...

शिक्षा नीतिः ऑनलाइन शिक्षा के दायरे से 70 फीसदी बच्चे हो जाएंगे बाहर

कांग्रेस ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (एनईपी 2020) की आलोचना की है। पार्टी ने कहा है कि इसका उद्देश्य ‘स्कूल एवं उच्च शिक्षा’ में परिवर्तनकारी सुधार लाना होना चाहिए, वह केवल शब्दों, चमक-दमक, दिखावे और आडंबर के आवरण तक...

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तब की घोषित इमरजेंसी से भयानक है आज का अघोषित आपातकाल?

18 वीं लोकसभा के लिए चुनावों का पहला चरण हो चुका है; 62 प्रतिशत  से अधिक मतदान के साथ...