डॉ. भीमराव अम्बेडकर असमानता, दासता, अन्याय, जातीय और धार्मिक उत्पीड़न जैसी सामाजिक विसंगतियों के मुखर विरोधी रहे क्योंकि इन सामाजिक विसंगतियों से उपजी पीड़ाओं को उन्होंने ख़ुद भोगा था। इसीलिए उन्होंने इन सामाजिक विसंगतियों के ख़िलाफ़ आजीवन संघर्ष भी...
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस के आर्यभट्ट कॉलेज में दो दिनों तक देश भर से आए दलित साहित्यकारों, चिंतकों, फिल्मकारों और लोक कलाकारों ने दलित साहित्य-संस्कृति पर चिंतन मनन किया। 3-4 फरवरी को आयोजित इस कार्यक्रम के...
जब यह फ्रेम गांधी जी के लिए है ही नहीं तब क्यों उनकी प्रासंगिकता पर चिंतन किया जाए। ऐसा चिंतन फिजूल की क़वायद ही होगी।यह सही है, कोई भी नायक-महानायक अपने, चिंतन, विचारधारा और क्रिया में समय-समाज सापेक्ष होते हैं।...